हाईटेक सड़कें नहीं, ये है नितिन गडकरी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि, मंत्री ने खुद बताया

मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने को लेकर आजतक ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से खास बातचीत की. इस दौरान गड़करी ने कई सवालों के जवाब दिए. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही है. पढ़ें सवालों के जवाब में गडकरी के जवाब.

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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (File Photo) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (File Photo)

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 10 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:52 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए हैं. इसके साथ ही BJP सरकार के सत्ता में 9 साल हो गए हैं. एक तरफ विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी से लेकर महंगाई तक के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने में जुटी है तो वहीं मोदी सरकार लगातार दावा कर रही है कि जो काम कांग्रेस के 60 साल में नहीं हो सके, वो काम पिछले 9 साल में किए गए हैं. सरकार के 9 साल पूरे होने को लेकर आजतक ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से खास बातचीत की. इस दौरान गड़करी ने कई सवालों के जवाब दिए. साथ ही उन्होंने बताया कि उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही है. 

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9 साल के कार्यकाल मोदी सरकार को किस तरह देखते हैं?

नितिन गडकरी ने कहा कि हमारे देश में अमृतकाल के दौर से हम गुजर रहे हैं. देश में 75 साल का इतिहास प्रगति और विकास का इतिहास रहा है. इसमें महत्वपूर्ण ये है कि 60 साल इस देश में लगातार सत्ता कांग्रेस के हाथ में रही है. 60 साल में कांग्रेस और फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ने काम किया. उसके बाद मोदी जी के नेतृत्व में हमने 9 साल काम किया. मैं ये मानता हूं कि कांग्रेस जो 60 साल में नहीं कर सकी, वो हमने 9 साल में करके दिखाया है और उसका परिणाम लोगों को देखने को मिल रहा है. ये हमारी सरकारी की सबसे बड़ी उपलब्धि है. 

आपका ड्रीम प्रोजेक्ट कौन सा है? 

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इस सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि मेरे 9 साल में सबसे अच्छा काम अगर कुछ होगा तो कंधे पर लोगों को ढोने वाली प्रथा को बंद कराकर ई-रिक्शा चलवाना मेरे हिसाब से सबसे अच्छा काम मेरे जीवन का है. उन्होंने कहा कि मैंने बचपन से ही एक बात सोच रखी थी. जब मैं अपनी मां और बहनों के साथ स्टेशन पर जाता था तो साइकिल रिक्शा पर बैठता था. हमारे यहां तिलक पुतला करके एक चढ़ाव था, वहां से जब रिक्शा चढ़ता था तो रिक्शा चालक बहुत थक जाता था. तब से मेरे मन में कल्पना था कि इसको कितना कष्ट होता है, ये मानवीय शोषण है. 

'मैंने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी'

गडकरी ने कहा कि 2014 में मंत्री बनने के बाद मुझे राम मनोहर लोहिया की बात याद आती थी, जिसमें वे कहते थे कि ये इतनी अनिष्ट प्रथा है, मैं जिंदगी भर साइकिल रिक्शा में नहीं बैठूंगा. दीनदयाल उपाध्याय कहते थे कि जिस दिन ये पद्धति बदल जाएगी, वो हमारे देश का सुनहरा दिन होगा. इतना नहीं, कुछ जगह तो आदमी- आदमी को ढोने का काम करते थे. 2014 के बाद मुझे अवसर मिला, मैंने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और नया एक्ट लाया ई-रिक्शा का. 

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'ये मेरे जीवन का सबसे अच्छा काम'

उन्होंने कहा कि 1 करोड़ ऐसे लोग, जो आदमी को आदमी ढोने का काम करते थे, जो आदमी को अपने कंधे पर लेकर चलते थे, वो प्रथा बंद हो गई. अब जब ई-कार्ट आई तो 1 क्विंटल का बोरा कोई पीठ पर लेकर नहीं चलता, वो इसमें लेकर जाता है. महिला और दिव्यांग भी ई-रिक्शा भी चला रहे हैं. करीब डेढ़ करोड़ लोगों को रोजगार मिला है. इन गरीबों के साथ जो न्याय हुआ और जो अमानवीय प्रथा थी शोषण की, वो बंद हुई, ये ही मेरे जीवन का सबसे अच्छा काम हुआ. 

9 साल के अपने काम का मूल्यांकन कैसे करते हैं?

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेरे मन में भाव है कि ज्यादा से ज्यादा काम करूं. मैं मानता हूं कि राजनीति के जरिए सामाजिक सुधार लाया जा सकता है. देश के विकास के लिए गुड गवर्नेंस और विकास होना चाहिए. मोदी जी के नेृतत्व में हमने जो भी कार्यक्रम किए और काम किए, उसमें गरीबों को अच्छा जीवन कैसे मिले, उसके जीवन को सुखी-समृद्ध कैसे करें, उसको भयमुक्त आतंक और भ्रष्टाचार से कैसे मुक्त करें, गांव-गरीब और मजदूर का कल्याण कैसे करें, इसी भाव से हमने काम किया है. यही मैं मानता हूं कि राजनीति का सही अर्थ है.

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कौन-से वर्ल्ड रिकॉर्ड है जो आपके मंत्रालय ने बनाए हैं?

उन्होंने कहा कि रोड में हमने सात वर्ल्ड रिकॉर्ड किए हैं. हम 32 इकोनॉमिक एक्सप्रेसवे और ग्रीन कॉरिडोर बना रहे हैं. दिसंबर तक उसके परिणाम मिलेंगे. दिल्ली के आसपास हम 65 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट कर रहे हैं. दिल्ली से देहरादून दिसंबर से पहले दो घंटे में, दिल्ली से हरिद्वार डेढ घंटे में, दिल्ली से चंडीगढ़ ढाई घंटे में, चंडीगढ़ से मनाली 9 घंटे लगते थे वो अब साढ़े तीन घंटे में यानी दिल्ली से मनाली अब 6 सवा 6 घंटे में पहुंच जाएंगे. दिल्ली से जयपुर दो घंटे में, दिल्ली से कटरा 6 घंटे में, अमृतसर 4 घंटे में, श्रीनगर 8 घंटे में, दिल्ली से मुंबई 12 घंटे में और दिल्ली से मेरठ साढ़े चार घंटे लगते थे, अब वो 45 मिनट हुआ है. दिल्ली का रिंग रोड हमने बनाया. हमने दिल्ली को वायु प्रदूषण और ट्रैफिक फ्री करने के लिए 65 हजार का प्रोजेक्ट लिए. 

दिल्ली वालों को प्रदूषण और जाम से कब मुक्ति मिलेगी?

इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने एक एक्सपर्ट कमेटी से दिल्ली के ट्रैफिक का अध्ययन कराया है. ये रिपोर्ट मैंने दिल्ली सरकार को भी दी है. मैं मानता हूं कि कुछ काम करके ये सुधार किया जा सकता है. जैसे हार्ट में बाईपास सर्जरी करके ब्लॉकेज निकाला जा सकता है, वैसे ही सड़कों में बाईपास सर्जरी करके प्रदूषण और ट्रैफिक जाम से मुक्ति पा सकते हैं. मैं दिल्ली की सड़कों के किनारे फुटपाथ को पक्का करने के लिए 1600 करोड़ रुपये दे रहा हूं. 40 प्रतिशत प्रदूषण फॉसिल्स फ्यूल के कारण होता है. इलेक्ट्रिक वाहन और इथेनॉल इंजन आने से प्रदूषण कम होगा. पराली से बायो सीएनजी और बायो पीएनजी बनेगी, उससे ट्रैक्टर और बसें चलेंगी. ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल से भी प्रदूषण कम होगा. 

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आपके मंत्रालय की कोई कमी, जो आप पूरा नहीं कर पाए?

नितिन गडकरी ने कहा कि एक बात से मैं दुखी हूं कि ट्रांसपोर्ट मंत्री के नाते मैं हादसों को नहीं रोक सका हूं. देश में हर साल 5 लाख से हादसे होते हैं, डेढ लाख मृत्यु होती हैं और तीन लाख लोगों के हाथ-पैर टूट जाते हैं. इसके लिए जो बेसिक सुधार करना है, इसमें ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और रोड इंजीनियरिंग है, इसमें हम सुधार रहे हैं. ब्लैक स्पॉट को पहचान कर सुधार रहे हैं. तीसरी महत्वपूर्ण बात है एजुकेशन. इसमें बच्चों को ट्रैफिक नियम और कानून का महत्व समझाकर उन्हें जागरूक कर रहे हैं. हम लोग जुर्माना तो लगा रहे हैं लेकिन लोगों को व्यवहार में जो बदलाव होना चाहिए था, वो नहीं हुआ और जब तक ये बदलेगा नहीं, तब तक हादसे रुकेंगे नहीं.  

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