राजधानी दिल्ली के ताज होटल पैलेस में आज से दो दिवसीय इंडिया टुडे कॉन्कलेव की शुरुआत हो गई. कॉन्कलेव में आयोजित एक सत्र 'द स्मोकलेस वॉर' पर लेखक और सीनियर फेलो फॉर चाइना स्ट्रैटेजी माइकल पिल्सबरी और तक्षशिला इंस्टीट्यूशन में इंडो-पैसिफिक स्टडीज प्रोग्राम के चेयरपर्सन मनोज केवलरमनी ने अपनी-अपनी बात रखी.
इस दौरान उन्होंने अमेरिका को सुपरपावर से हटाकर खुद को स्थापित करने की चीन की गुप्त रणनीति और इसका भारत और दुनिया के लिए क्या निहितार्थ हैं, इस पर खुलकर बात की.
2030 तक अमेरिका को रिप्लेस कर देगा चीनः माइकल
लेखक और सीनियर फेलो फॉर चाइना स्ट्रैटेजी माइकल पिल्सबरी ने एक सवाल के जबाव में कहा कि चीन उम्मीद से भी ज्यादा तेज है. चीन 2049 से पहले अमेरिका रिप्लेस कर देगा. कई संकेतों से यह पता चलता है कि चीन बहुत तेजी से अपने मिशन पर काम कर रहा है.
वाशिंगटन स्थित हडसन इंस्टीट्यूट में सेंटर ऑन चाइनीज स्ट्रेटजी के कोर्स डायरेक्ट रह चुके पल्सबरी ने कहा कि चीन 20 साल आगे का सोचते हुए काम कर रहा है कि कैसे वो अमेरिका को पीछे छोड़ दुनिया का नंबर 1 यानी सुपरपावर बन सकता है. पिछले दस साल के अंदर चीन ने नई पॉलिसी बनाई है. इस पॉलिसी के तहत 'कन्फ्यूजन इज नाउ सिंबल ऑफ चाइना' है.
'चीन को रोकने के लिए गठबंधन जरूरी'
माइकल पल्सबरी ने आगे कहा कि चीन अराउंड द वर्ल्ड हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च कर चुका है. बायोटेक क्षेत्र में भी चीन अमेरिका से आगे निकल चुका है. चीन को रोकने के लिए अमेरिका सहित दुनिया के सभी देशों का एक गठबंधन होना चाहिए था. इस गठबंधन में भारत एक अहम देश होता. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. चीन को रोकने के लिए इस तरह का कोई गठबंधन नहीं बन पाया. एक गठबंधन क्वाड बना भी तो वह चीन के खिलाफ कोई स्टेटमेंट नहीं जारी कर पाता है. चीन काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन दुनिया की प्रतिक्रिया उम्मीद से कम है.
भारत और मीडिया का रोल काफी महत्वपूर्णः माइकल
इसके जबाव में माइकल ने कहा कि आप जब क्रिकेट देखते हैं तो वहां दर्शक होते हैं, स्कोरबोर्ड होता है, अंपायर होता है. आप सभी प्रकार के अनाउंसमेंट और फैसला देखते हैं. लेकिन चीन में क्या हो रहा है इसका अनाउंसमेंट नहीं होता है. किसी तरह की जानकारी पब्लिक नहीं होती है. और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वहां कोई अंपायर भी नहीं होता है. इस स्थिति में भारत और मीडिया का रोल काफी महत्वपूर्ण है. लोगों को यह जानना जरूरी है कि पर्दे के पीछे क्या चल रहा है.
कन्फ्यूजन इज नाउ सिंबल ऑफ द चाइनाः पल्सबरी
माइकल पल्सबरी ने कहा कि चीन ने कुछ दिनों पहले घोषणा की है कि उसके पास अमेरिका से भी ज्यादा न्यूक्लियर वेपन है जो आश्चर्यजनक है. चीन के पास 1500 से ज्यादा न्यूक्लियर वेपन है जो भारत से 7 गुणा अधिक है. चीन कई मामलों में अमेरिका और रूस को ओवरटेक कर चुका है.
उन्होंने कहा कि चीन वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ को अनाउंस करने से मना कर दिया है. चीन इस मामले में बहुत ही सेंसेटिव है. हो सकता है कि चीन अमेरिकी इकॉनमी को सरपास कर गया होगा. चीन पिछले दस साल से न्यू पॉलिसी के तहत काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि कन्फ्यूजन इज नाउ सिंबल ऑफ द चाइना है.
'चीन की इच्छा क्या है और वो कर क्या सकता है, इसे समझना जरूरी'
माइकल पल्सबरी के दावों को नकारते हुए तक्षशिला इंस्टीट्यूशन में इंडो-पैसिफिक स्टडीज प्रोग्राम के चेयरपर्सन मनोज केवलरमनी ने कहा कि अभी भी इंडियन ओशियन में चीनी सेना की क्षमता सीमित है. किसी भी दो देशों के बीच समझौता कराने में भी उसकी क्षमता बहुत ही लिमिटेड है. इरान और सऊदी अरब के बीच भी चीन ने शांति समझौता नहीं बल्कि बातचीत का समझौता करवा पाया है.
पल्सबरी की ओर से चीन की सीक्रेट प्लानिंग की बात पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि चीन सब कुछ प्राइवेट रखना चाहता है. रोड एंड बेल्ट प्रोजेक्ट, ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव और अब ग्लोबल सिविलाइजेशन इसका उदाहरण है. वो दुनिया को बता रहे हैं कि वो क्या करना चाहते हैं.
मनोज केवलरमनी ने कहा कि चीन कोशिश कर रहा है कि वह ग्लोबल पावर बने. इसके लिए आप कई मैट्रिक्स की तुलना कर सकते हैं. लेकन हमें नहीं लगता है कि चीन अभी अपना गोल हासिल करने में सक्षम है. सुपरपावर बनने की अभी चीन के पास वो कैपेबिलिटी नहीं है. हमें यह समझना होगा कि चीन की इच्छा क्या है और वो कर क्या सकता है.
दो दिवसीय कॉन्कलेव
इंडिया टुडे कॉन्कलेव का यह 20वां संस्करण है. दो दिवसीय 20वें इंडिया टुडे कॉन्कलेव का आगाज इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी के स्वागत भाषण से हुआ.
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