2 लाख वर्ग फुट ​एरिया, 54m ऊंचा गर्भगृह, 172 मूर्तियां... ममता बनर्जी ने रखी 'दुर्गा आंगन' की नींव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में ‘दुर्गा अंगन’ परिसर की आधारशिला रखी. उन्होंने इसे बंगाल की सांस्कृतिक विरासत और एकता में विविधता का प्रतीक बताया और कहा कि यह परिसर संस्कृति, पर्यटन और स्थानीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देगा.

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ममता बनर्जी ने कोलकाता में भव्य दुर्गा आंगन की आधारशिला रखी. (Photo: ITG) ममता बनर्जी ने कोलकाता में भव्य दुर्गा आंगन की आधारशिला रखी. (Photo: ITG)

इंद्रजीत कुंडू

  • कोलकाता,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपने महत्वाकांक्षी ‘दुर्गा आंगन’ कॉम्प्लेक्स की आधारशिला रखी. इस मौके पर उन्होंने कहा कि यहां साल के 365 दिन मां दुर्गा के दर्शन होंगे और यह बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का प्रयास है. सीएम ममता ने बताया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा दुर्गा आंगन होगा, जहां रोजाना एक लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्गा पूजा के साथ-साथ यह परिसर एक सांस्कृतिक केंद्र होगा, जो स्थानीय व्यापार और हस्तशिल्प को बढ़ावा देगा. यूनेस्को द्वारा कोलकाता की दुर्गा पूजा को ‘अमूर्त विरासत’ का दर्जा दिए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दुर्गा आंगन बंगाल की ‘एकता में विविधता’ का प्रतीक है. इस कॉम्प्लेक्स का निर्माण दो लाख वर्ग फुट में होगा, इसका गर्भगृह 54 मीटर ऊंचा होगा.

पूरे दुर्गा आंगन परिसर में 108 प्रतिमाएं और 64 सिंह मूर्तियां होंगी, साथ ही एक सांस्कृतिक संग्रहालय (Cultural Meuseam) भी बनेगा. ममता बनर्जी ने कहा कि इस परिसर के संचालन के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में एक ट्रस्ट बनाया गया है. उन्होंने दावा किया कि विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में पश्चिम बंगाल देश में दूसरे स्थान पर है और जल्द ही यह पहले स्थान पर होगा.

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ममता ने हिंदू स्थलों के लिए गिनाए अपने काम

उन्होंने दक्षिणेश्वर स्काईवॉक, कालीघाट मंदिर पुनर्विकास, गंगासागर के कपिल मुनि आश्रम और नए पुल के निर्माण सहित हिंदू धार्मिक स्थलों के लिए अपनी सरकार के कार्यों की सूची भी गिनाई. ममता बनर्जी ने कहा, 'गंगासागर मेला पूरी तरह से राज्य सरकार द्वारा अपने स्वयं के कोष से आयोजित किया जाता है, हमें किसी से कोई सहायता नहीं मिलती. मैंने वहां पुल निर्माण के लिए केंद्र से 12 वर्षों तक सहायता प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब हमने नए पुल के लिए 1700 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को नदी पार न करनी पड़े. मैं 5 जनवरी को इसकी आधारशिला रखूंगी. हमने नवद्वीप (Nabadwip) को एक पवित्र नगर घोषित किया है और हम मायापुर मायापुर (चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली) के लिए सरकारी सहायता प्रदान कर रहे हैं.'

मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों पर BJP को घेरा

बीजेपी के मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपों पर ममता बनर्जी ने कहा कि वह सच्ची धर्मनिरपेक्ष हैं और हर धर्म के आयोजनों में हिस्सा लेती हैं. उन्होंने कहा कि हर धर्म की अपनी परंपराएं होती हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'आप मुझे एक भी ऐसा धर्म नहीं दिखा सकते जिसके किसी भी कार्यक्रम में मैं शामिल न होती हूं. जब मैं गुरुद्वारे के कार्यक्रमों में जाती हूँ तो अपना सिर ढकती हूं, तो फिर रोजा के दौरान ऐसा करने पर सवाल क्यों उठाया जाता है? आज मैं यहां आई हूं इसलिए मैंने यह शॉल पहनी है. क्योंकि हिंदू महिलाएं धार्मिक आयोजनों के दौरान अपना सिर (घूंघट से) ढकती हैं, यह हमारी संस्कृति है. हर धर्म के अपने नियम होते हैं. लेकिन ये लोग सब कुछ नष्ट करना चाहते हैं.'

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मैं एक सच्ची धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हूं: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए मां दुर्गा से मानवता की रक्षा और बुराई के विनाश की प्रार्थना की. उन्होंने कहा, 'हम रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस, विद्यासागर, गांधी, वंदे मातरम, मातंगिनी हाजरा विद्रोह, राममोहन राय के सुधार की भूमि से हैं.  कुछ लोग मुझ पर तुष्टीकरण का आरोप लगाते हैं, लेकिन मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि मैं तुष्टीकरण नहीं करता, मैं एक सच्ची धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति हूं.' ममता बनर्जी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा पार्टी के शासन वाले राज्यों में बंगालियों से भारतीय होने का सबूत मांगा जा रहा है और बंगला बोलने वालों को बांग्लादेशी कहा जा रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है. 

बांग्ला बोलने वालों को बांग्लादेशी बताया जा रहा

उन्होंने कहा, 'बंगाल में रहने वालों को अब यह साबित करना होगा कि वे भारतीय हैं? नागरिकता और मतदान के अधिकार का क्या संबंध है? मैं यहीं रहती हूं, यहीं पैदा हुई हूं, यही मेरी पहचान है, यही मेरी अस्मिता है, यही मेरा प्यार है. लेकिन बांग्ला बोलने वालों को बांग्लादेशी करार दिया जा रहा है. देश का विभाजन 1947 में हुआ था, लेकिन उससे पहले हम सब एक साथ थे. लेकिन जो लोग 1971 (बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन) के दौरान आए, उनमें से अधिकतर यहीं के नागरिक हैं. अगर 2024 तक देश में आने वालों को नागरिकता दी जा सकती है, तो उन लोगों का क्या जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी? क्या आप उनके बारे में नहीं सोचेंगे?'

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लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए जारी रहेगी लड़ाई

ममता बनर्जी ने कहा कि लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा, 'याद रखिए, हम सब पर नजर रख रहे हैं. लेकिन हमारे सब्र की भी एक सीमा होती है. यह मत भूलिए कि बंगाल के लोग कभी सिर नहीं झुकाएंगे. हर व्यक्ति का लोकतांत्रिक अधिकार सर्वोपरि होना चाहिए और हम यह लड़ाई जारी रखेंगे. हमें मां दुर्गा को समर्पित इस पवित्र स्थान पर एक बार फिर इसकी शपथ लेनी होगी.' उन्होंने ‘जय मां दुर्गा’ और ‘जय बंगला’ के नारे के साथ अपना भाषण खत्म किया.

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