' यह दुखद होगा जब इतिहास...',  धनखड़ की चिट्ठी के जवाब में खड़गे का लेटर वॉर

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर मिलने के लिए बुलाया था. अब खड़गे ने धनखड़ की चिट्ठी का जवाब चिट्ठी से दिया है. खड़गे ने सभापति धनखड़ की कार्यशैली को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है.

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मल्लिकार्जुन खड़गे और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (फाइल फोटो) मल्लिकार्जुन खड़गे और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली  ,
  • 25 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

संसद के शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहा. संसद के दोनों सदनों से विपक्ष के 146 सांसद पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिए गए तो वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री को लेकर भी सियासी घमासान जारी है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा था. खड़गे ने अब सभापति की चिट्ठी का जवाब चिट्ठी से ही दिया है.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर कहा है कि वह इस समय दिल्ली से बाहर हैं और इस वजह से उनसे मिल नहीं पाएंगे. खड़गे ने ये भी कहा है कि सभापति सदन का संरक्षक होता है. उन्होंने अपने पत्र में आगे यह भी लिखा है कि सदन की गरिमा बनाए रखने, संसदीय विशेषाधिकारों की रक्षा के साथ ही संसद में बहस, चर्चा पर जवाब के जरिए सरकार को जवाबदेह ठहराने के मामले में आगे रहना चाहिए.

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राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे ने ये भी कहा है कि दुखद होगा जब इतिहास बिना बहस के पारित विधेयकों और सरकार से जवाबदेही की मांग नहीं करने को लेकर पीठासीन अधिकारियों का कठोरता से मूल्यांकन करेगा. गौरतलब है कि संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर हंगामा करने पर अमर्यादित आचरण के लिए लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों से 146 विपक्षी सांसदों को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था.

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इसे लेकर कुछ दिनों पहले मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जाहिर की थी. खड़गे ने अपने पत्र में कहा था कि इतने अधिक सांसदों के निलंबन से दुखी, व्यथित, हताश और निराश महसूस कर रहा हूं. इसके जवाब में धनखड़ ने पत्र लिखकर खड़गे को अपने आवास पर मिलने के लिए बुलाया था. उपराष्ट्रपति ने अपने पत्र में ये भी कहा था कि पूरे सत्र के दौरान कभी सदन के अंदर आग्रह किया तो कभी पत्र लिखकर आपसे संवाद और परामर्श करने का अनुरोध किया. आपसे बातचीत करने के लिए किया गया मेरा हर प्रयास असफल रहा.

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