हेट स्पीच पर 10 साल तक की जेल... कर्नाटक के बिल में क्या-क्या है खास?

कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में 'हेट स्पीच और हेट क्राइम रोकथाम बिल 2025' पेश किया, जिसमें पहली और दोबारा अपराध पर कड़ी सजा, भारी जुर्माना, कंटेंट हटाने की शक्ति और संगठनों को भी दोषी ठहराने के प्रावधान शामिल हैं.

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कर्नाटक विधानसभा में पेश हुआ हेट स्पीच के खिलाफ बिल (File Photo: ITG) कर्नाटक विधानसभा में पेश हुआ हेट स्पीच के खिलाफ बिल (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:00 AM IST

कर्नाटक सरकार ने बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम (रोकथाम) बिल, 2025 पेश किया. इस बिल का मकसद 'हेट स्पीच और अपराधों के फैलान, प्रकाशन या बढ़ावा देने पर रोक लगाना और उन्हें रोकना है, जो समाज में किसी शख्स या व्यक्तियों के समूह, संगठनों के खिलाफ असामंजस्य, नफरत पैदा करते हैं' और अपराधियों को सज़ा देना और पीड़ितों को मुआवज़ा देना है.

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यह बिल सामाजिक असामंजस्य और नफरत को जन्म देने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने और ऐसे अपराधों में शामिल व्यक्तियों, समूहों और संगठनों को दंडित करने की कोशिश करता है. 

विधानसभा में गृह मंत्री जी परमेश्वर द्वारा पेश किया गया यह बिल एक हफ़्ते पहले कैबिनेट द्वारा पास किया गया था. 

बिल में क्या-क्या प्रावधान है?

  • पहली बार अपराध करने वालों को एक से सात साल तक की जेल और 5,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.
  • वहीं, बार-बार अपराध करने वालों को 1 लाख रुपये तक के जुर्माने के अलावा 2 से 10 साल तक की जेल हो सकती है.
  • जब यह बिल कानून बन जाएगा, तो यह सरकार को अलग-अलग मीडिया पोर्टल्स से हेट क्राइम वाले कंटेंट हटाने का अधिकार भी देगा, जहां इसे पोस्ट किया गया था.
  • प्रस्तावित कानून 'हेट स्पीच' को किसी भी सार्वजनिक अभिव्यक्ति- मौखिक, लिखित, दृश्य, या इलेक्ट्रॉनिक के रूप में परिभाषित करता है. ऐसी अभिव्यक्ति जिसका मकसद धर्म, जाति, लिंग, यौन रुझान, भाषा, या विकलांगता जैसे पूर्वाग्रहों के आधार पर व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ दुश्मनी, नफरत, या दुर्भावना भड़काना है. 
  • हेट क्राइम को मोटे तौर पर हेट स्पीच को फैलाने या बढ़ावा देने वाले कामों को शामिल करने के लिए परिभाषित किया गया है. इस बिल में ऐसे अपराधों के लिए संगठनों को दोषी ठहराने के प्रावधान भी हैं. 
  • बिल में कहा गया है, "अगर इस कानून के तहत अपराध करने वाला शख्स कोई संगठन या संस्थान है, तो अपराध के वक्त उस संगठन या संस्थान के कारोबार का प्रभारी हर शख्स, साथ ही वह संगठन या संस्थान भी, अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उसे उसी के अनुसार दंडित किया जाएगा."
  • राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक नामित अधिकारी को सर्विस प्रोवाइडर्स को उनके डोमेन से कंटेंट हटाने का निर्देश देकर हेट क्राइम वाले कंटेंट को ब्लॉक करने या हटाने का अधिकार होगा.
  • अपराध संज्ञेय (Cognizable), गैर-जमानती (Non-bailable) होंगे और उनकी सुनवाई न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी द्वारा की जाएगी.

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कानून मंत्री ने क्या कहा है?

संसदीय कार्य एवं कानून मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट द्वारा हेट स्पीच बिल 2025 को मंजूरी देने पर कहा, "सोसाइटी में गैर-जरूरी डिस्टर्बेंस क्रिएट न हो, इस पर यह बिल बहुत सटीक है. हमने जुर्माना और सजा के संबंध में काफी अच्छे प्रावधान किए हैं." 

उन्होंने कहा कि यह कानून हेट स्पीच के खिलाफ सख्ती से निपटेगा. सरकार के मुताबिक, हेट स्पीच वह है, जो समुदायों, लोगों या समूहों के बीच नफरत पैदा करता है या लोगों को भड़काता है.

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देश में क्यों जरूरी था यह कानून?

एचके पाटिल ने कहा, "अभी भारत में कोई पर्याप्त कानून मौजूद नहीं है और इसीलिए हमने यह कानून लाने का फैसला किया." उन्होंने साफ किया है कि असहमति को दबाया नहीं जा रहा है, लेकिन नफरत पैदा करने के खिलाफ कानून सख्ती से निपटा जाएगा. उन्होंने विधेयक को वर्णनात्मक और विस्तृत बताते हुए कहा कि यह हर सवाल का जवाब देगा. 

(सगाय राज के इनपुट के साथ)

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