'लोकतंत्र के लिए फ्री मीडिया जरूरी'....पढ़ें-India Today Conclave 2023 में अरुण पुरी का स्वागत भाषण

India Today Conclave: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 20वें संस्करण का आज आगाज हो गया. कॉन्क्लेव की वेलकम स्पीच में इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने कहा कि 21वीं सदी का बड़ा हिस्सा गुजर चुका है और अब विशालकाय भारत सभी के सामने है. भारत की तरक्की का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.

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इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन एवंं एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन एवंं एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

India Today Conclave 2023 की शुरुआत हो गई है. दो दिन चलने वाले इस आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेता राम चरण, आर्मी चीफ मनोज पांडे जैसी हस्तियां शामिल हो रही हैं. आयोजन के स्वागत भाषण में इंडिया टुडे समूह के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी ने कहा कि दुनिया में भारत का कद लगातार बढ़ रहा है. आज दुनिया के सामने एक विशालकाय भारत है. यह भारत का पल है. अर्थव्यवस्था से लेकर जियोपॉलिटिक्स, मनोरंजन और खेल जगत तक हम उभरकर सामने आए हैं. भारत की तरक्की का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. नीचे पढ़ें अरुण पुरी का पूरा भाषणः-

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सम्मानित अतिथियों
सुप्रभात

कृपया मेरी बातों पर ध्यान दें, मैं सामान्य संदर्भ में आप सभी को संबोधित नहीं कर रहा हूं. हम ऐसे लैंगिक विविधता भरे युग में जी रहे हैं, जहां लोग आसानी से नाराज हो जाते हैं. इसलिए सम्मानित अतिथियों, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 20वें संस्करण में आप सभी का गर्मजोशी से स्वागत है. 

आज से 19 साल पहले इसी सभागार में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उपस्थिति में हमने इंडिया टुडे के दो दिवसीय कॉन्क्लेव की शुरुआत की थी, जिसका विषय भारतीय सदी का निर्माण था. हम जानते थे कि यह आइडिया ही महत्वाकांक्षी है और समय इसकी भी परीक्षा लेगा. 

रोचक बात यह है कि इस समारोह में शामिल हुए वक्ताओं ने न सिर्फ इस विचार का समर्थन किया बल्कि भारतीय सदी के निर्माण में मदद भी की. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विपक्ष की नेता सोनिया गांधी, मुकेश अंबानी, रघुराम राजन और कॉलिन पावेल जैसी हस्तियां शामिल थीं. इसके अगले साल इंडिया टुडे कॉन्क्लेव की थीम थी 'इंडिया: ग्लोबल जाएंट ओर पिग्मी'. उस समय समारोह के स्पीकर अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा था और मैं उनके शब्दों को दोहरा रहा हूं कि भारत का कद दुनिया में छोटा नहीं रह सकता. आपको विशाल बनना पड़ेगा, अपनी तरह का विशालकाय देश. 21वीं सदी का एक बड़ा हिस्सा गुजर चुका है और वह विशालकाय भारत अब सभी के सामने है. यह भारत का पल है. अर्थव्यवस्था से लेकर जियोपॉलिटिक्स, मनोरंजन और खेल जगत तक हम उभरकर सामने आए हैं. भारत की तरक्की का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. 

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आइए कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर नजर डालते हैं कि किस तरह भारत ने इस सदी को आकार दिया है. 2000 में भारत की अर्थव्यवस्था डॉलर के संदर्भ में अमेरिकी अर्थव्यवस्था से पांच फीसदी कम थी. लेकिन आज यह 14 फीसदी है. पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. हम दुनिया में तेजी से बढ़ रही सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी हैं.

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हम हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी भी बन गए. 1.4 अरब लोगों की आबादी के साथ हम सबसे अधिक आबादी वाला देश हैं, जिनमें से एक अरब लोगों की उम्र 35 साल से भी कम है. जबकि दुनिया के कई अन्य देशों की आबादी बूढ़ी होती जा रही है. इसका मतलब है कि हम उम्मीदों भरा देश हैं, जो दर्शाता है कि भारत हर किसी के लिए एक बेहतरीन बाजार है.

हाल के सालों में जिस एक डेवलपमेंट ने देश को बदला है, वह है डिजिटलीकरण की बेहतरीन रफ्तार. यह समाज में हर वर्ग के लोगों की जिंदगी को बदल रहा है. दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल डेटा की खपत भारत में होती है. भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर देश है. यहां हर सेकंड तीन लोग इंटरनेट से जुड़ रहे हैं. 

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शायद, भारत के सामाजिक-आर्थिक बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण स्टार्टअप ईकोसिस्टम की तेज रफ्तार है, परिजनों को इसमें जोखिम दिखाई देता है जबकि आज का युवा इसे एक वरदान की तरह देखता है. इसी मानसिकता का नतीजा है कि आज के समय में दुनिया में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है.

2021 में भारत में हर 29 दिन पर एक यूनिकॉर्न की स्थापना हुई जबकि 2022 में हर नौ दिन में एक यूनिकॉर्न बना. इसका इससे बेहतर कोई प्रमाण नहीं हो सकता कि भारतीय इंटरप्रेन्योरशिप जीवंत और लगातार आगे बढ़ रही है.

आज हर कोई क्लाइमेट चेंज की बात कर रहा है. भारत शायद आगामी सालों में रिन्यूएबल एनर्जी में विश्वगुरु की भूमिका निभाएगा. और बेशक हमने बीते हफ्ते दो ऑस्कर भी जीते हैं. यह सॉफ्ट पावर के तौर पर भारत की विकास का साक्ष्य है. भारत ने यकीनन दुनिया को नाटू नाटू की धुन पर नचा दिया है. भारत के प्रयासों के अलावा बाहरी परिस्थितियों की वजह से भी देश एक लाभप्रद स्थिति में है. 

साल 2019 में पहले कोरोना आया, जिसने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी और वैश्वीकरण के इस पूरे गुबार को कमतर दिखा दिया. कोरोना की वजह से दुनियाभर में सप्लाई चेन बाधित हुई और हमें यह सोचने को मजबूर होना पड़ा कि किस तरह यह दुनिया एक दूसरे पर निर्भर है.

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दुनियाभर में कारोबार का दायरा बढ़ रहा है, जो भारत के सामने एक सुनहरा अवसर है और यकीन मानिए हम इस मोर्चे पर भी अच्छा कर रहे हैं. आंकड़े इसकी गवाही देते हैं. 1947 में आजादी के बाद से भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 950 अरब डॉलर रहा है, जिसमें से 56 फीसदी यानी 532 अरब डॉलर बीते 90 महीनों का ही आंकड़ा है.

दूसरा घटनाक्रम यूक्रेन युद्ध है, जो एक साल पहले शुरू हुआ. इस युद्ध में कई लोगों की जानें गईं, वैश्विक कारोबार बाधित हुआ, भोजन संकट उत्पन्न हुआ, तेल की कीमतें बढ़ीं और सबसे बड़ी बात दुनिया दो खेमों में बंट गई. 

भारत ने मुश्किल से ही लेकिन रूस के साथ अपने संबंधों को संभाला है और इस वजह से भारत को ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच मुख्य वार्ताकार के तौर पर देखा जा रहा है. हमने पिछले साल इसके कई सबूत भी दिए हैं और इस साल जी-0 के अध्यक्ष के तौर पर भारत यह काम बखूबी करता रहेगा.

चीन के साथ अधिकतर देशों का मोहभंग भी हमारे लिए लाभप्रद है. आज दुनिया के अधिकतर देश चीन को एक खतरे की तरह देखते हैं जबकि भारत के विकास को दुनियाभर के लिए एक अच्छा संकेत माना जा रहा है.

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भारत एक लोकतंत्र है और इसके लिए दुनिया हमारा सम्मान भी करती है. कोई भी लोकतंत्र परफेक्ट नहीं है. हम भी शोरगुल और उथल-पुथल भरा लोकतंत्र हैं. यहां तक कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे लोकतंत्रों के समक्ष भी गंभीर मुद्दे उभरे हैं. हमारा लोकतंत्र हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है. हमें इसे संजोकर रखना होगा. इसके बिना हम सर्वाइव नहीं कर पाएंगे.

मुझे मीडिया के बारे में भी चंद शब्द कहने हैं. हम कई के लिए बलि का बकरा भी हैं. यहां गोदी मीडिया और तोड़ो मीडिया की भी बातें होती हैं. लेकिन आपके पास विकल्प हैं. आप वही पढ़ते और देखते हैं, जो आपको पसंद आता है.

देश में लगभग 400 न्यूज चैनल हैं, जो चौबीस घंटे काम करते हैं. इसी तरह एक लाख पचास हजार के आसपास अखबार हैं और अनगिनत वेबसाइट हैं. क्या आपको लगता है कि कोई किसी को भी कंट्रोल कर सकता है? मैं सोशल मीडिया को तो गिन भी नहीं रहा. हमारे लोकतंत्र के लिए फ्री मीडिया जरूरी है. जरा सोचिए क्या इसके बिना हमारा देश बेहतर हो सकता है?

कई कठिन चुनौतियों के बावजूद मैं भारत को लेकर आशावादी हूं. कई कमियां भी हैं लेकिन भारत की अपनी एक रफ्तार है और यह किसी भी नेता से बड़ी है. मैं आशावादी हूं क्योंकि भारत का नजरिया 'चलता है' से अब 'कर सकते हैं' और 'कर रहे हैं' और 'कर दिया है' तक बदल गया है. मेरा मानना है कि भारत के पास अब सभी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता, दक्षता, विश्वसनीयता, रचनात्मकता और नेतृत्व है. यही बात आज भारत को पहले से बेहतर करती है.

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सम्मानित अतिथियो, कॉन्क्लेव समस्याओं का समाधान नहीं करते. लेकिन इसके जरिए समाधान और विकल्प निकलकर सामने आ सकते हैं. इस साल कॉन्क्लेव के आज और कल के सत्र में आप विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े ऐसे नायकों से मिलेंगे, जो देश को आकार देंगे. 

सबसे महत्वपूर्ण, कल हमारे साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी होंगे. इसके साथ ही अलग-अलग पार्टियों के नेता, चीफ जस्टिस, विभन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट, फिल्म स्टार्स और अन्य हस्तियां होंगी, जिनके साथ मिलकर हम उन संभावित रास्तों पर चर्चा करेंगे, जिनसे होकर ही भारत के निर्माण का रास्ता आगे बढ़ता है.

मैं उम्मीद करता हूं कि जब यह कॉन्क्लेव समाप्त होगा. आपका ह्रदय उम्मीदों से भरा हुआ होगा और सिर फख्र से ऊंचा उठा होगा.

बता दें कि यह इंडिया टुडे कॉन्क्लेव का यह 20वां संस्करण है. कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के होटल ताज पैलेस में हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले भी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शामिल होते रहे हैं. 2019 में कोरोना काल से पहले पीएम मोदी ने कॉन्क्लेव को संबोधित किया था. पिछले दो दशक में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव दुनिया भर के उद्यमियों, लेखकों, अन्वेषकों, कार्यकर्ताओं, कलाकारों और सियासी नेताओं के विचारों के लिए खास मंच बनकर विकसित हुआ है.

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