1971 की जंग लड़ चुके 75 साल के रिटायर कैप्टन अमरजीत ने लिखा आर्मी चीफ को लेटर, दोबारा सेना में शामिल होने की जताई इच्छा

कैप्टन अमरजीत कुमार ने लिखा कि मैं भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा बनने को अपना सौभाग्य मानता हूं. मौजूदा हालात को देखते हुए यह युद्ध निर्णायक हो सकता है, सेना को अनुभवी और प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता हो सकती है, और मैं आगे बढ़ने को तैयार हूं.

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कैप्टन अमरजीत कुमार कैप्टन अमरजीत कुमार

अमन भारद्वाज

  • चंडीगढ़,
  • 06 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:08 PM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, इसी बीच 75 वर्षीय सेवानिवृत्त कैप्टन अमरजीत कुमार ने कहा कि वह एक बार फिर देश की सेवा के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि एक सैनिक से युद्ध को अलग नहीं किया जा सकता. पहलगाम में हुए आतंकी हमले बाद कैप्टन अमरजीत कुमार ने सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी को पत्र लिखकर वॉलंटियर के रूप में सेना में दोबारा शामिल होने की इच्छा जताई है.

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1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग ले चुके कैप्टन (सेवानिवृत्त) अमरजीत कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि वे देश में कहीं भी तैनाती के लिए तैयार हैं. उन्होंने अपने सैन्य सेवाकाल के दौरान बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के तहत नवंबर 1971 में 'जेसोर' के पास 'गरीबपुर की लड़ाई' में अपनी भागीदारी को याद करते हुए कहा कि वह युद्ध उस समय की निर्णायक लड़ाइयों में एक था. 

कैप्टन अमरजीत कुमार ने लिखा कि मैं भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा बनने को अपना सौभाग्य मानता हूं. मौजूदा हालात को देखते हुए यह युद्ध निर्णायक हो सकता है, सेना को अनुभवी और प्रशिक्षित जनशक्ति की आवश्यकता हो सकती है, और मैं आगे बढ़ने को तैयार हूं.

'240 पूर्व सैनिक भी देश सेवा में फिर लौटने को तत्पर'

कैप्टन कुमार ने बताया कि भले ही वे 75 वर्ष के हो चुके हों, लेकिन आज भी शारीरिक रूप से फिट हैं और मानसिक रूप से सक्रिय हैं. उनके ही बैच के 240 अन्य पूर्व सैनिक भी देश की सेवा में फिर से लौटने को तत्पर हैं. उन्होंने कहा कि एक सच्चा सैनिक कभी रिटायर नहीं होता, यह जज़्बा जीवन भर हमारे भीतर जीवित रहता है. 

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'किसी भी तरह के वेतन या लाभ की अपेक्षा नहीं'

कैप्टन अमरजीत कुमार ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल योगदान देना है, और वे किसी भी तरह के वेतन या लाभ की अपेक्षा नहीं रखते. उन्होंने सेना प्रमुख से आग्रह किया कि वे उनके जैसे स्वयंसेवकों को एक मौका दें. उन्होंने यह भी जोड़ा कि संकट की घड़ी में कई अन्य पूर्व सैनिक भी राष्ट्र की पुकार पर आगे आने के लिए तैयार हैं.

सीमावर्ती गांवों में नागरिकों ने बंकरों की मरम्मत शुरू

22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है. पाकिस्तान द्वारा LoC और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर लगातार 8 रात से गोलीबारी की जा रही है, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. ऐसे में सेना को हाईअलर्ट पर रखा गया है. सीमावर्ती गांवों में नागरिकों ने बंकरों की मरम्मत शुरू कर दी है और जरूरी वस्तुओं का भंडारण किया जा रहा है. 7 मई को पूरे देश में मॉक ड्रिल भी आयोजित की जाएगी.

नागरिकों को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाए

कैप्टन अमरजीत कुमार ने नागरिकों को भी सैन्य प्रशिक्षण देने की वकालत की. उन्होंने कहा, "हम 140 करोड़ की आबादी वाला देश हैं, यदि 100 करोड़ लोगों को बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाए, तो कोई भी देश हमसे युद्ध नहीं लड़ सकता. उन्होंने काह कि पाकिस्तान के आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों पर टारगेट अटैक की जरूरत है.

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