कतर में 8 भारतीयों को मौत की सजा के खिलाफ भारत ने उठाया ये बड़ा कदम

अक्टूबर में कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई, जो एक साल से अधिक समय से देश में हिरासत में थे. इसको लेकर पीड़ित परिवारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई थी. इसके चलते अब मोदी सरकार ने सजा के खिलाफ अपील दायर की है.

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कतर ने 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी (प्रतीकात्मक तस्वीर) कतर ने 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गीता मोहन

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

कतर में आठ भारतीयों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार ने अपील दायर की है. इस संबंध में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को जानकारी दी कि फैसला गोपनीय है. प्रथम दृष्टया एक अदालत है, जिसने निर्णय दिया, जिसे हमारी कानूनी टीम के साथ साझा किया गया. सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए अपील दायर की गई है. हम कतरी अधिकारियों के संपर्क में हैं.

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दरअसल, अक्टूबर में कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाई, जो एक साल से अधिक समय से देश में हिरासत में थे. इसको लेकर पीड़ित परिवारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई थी. 

इस बाबत विदेश मंत्रालय ने बताया, "हमें 7 नवंबर को आठ भारतीयों के साथ कांसुलर एक्सेस का एक और दौर मिला. हम परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं. हम सभी कानूनी और कांसुलर समर्थन देना जारी रखेंगे और हम सभी से मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अटकलों में शामिल नहीं होने का आग्रह करते हैं."

बता दें कि अगस्त 2022 में कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को इजरायल के लिए जासूस के रूप में काम करने के शक में हिरासत में लिया था. हालांकि वे कतर में एक कंपनी में कार्यरत थे. भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों - कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश को कतर खुफिया एजेंसी ने 30 अगस्त 2022 में दोहा से गिरफ्तार किया था. 

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नौसेना के पूर्व अधिकारियों की जमानत याचिकाएं कतर के अधिकारियों द्वारा कई बार खारिज कर दी गईं. कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने अक्टूबर में मौत की सजा की घोषणा की थी. इसके खिलाफ अब भारत सरकार ने अपील दायर की है. 

कैसे गए थे कतर? 

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार ये नेवी में काम कर चुके इन सभी अफसरों की भारतीय नौसेना में बेदाग पारी रही है. इन अफसरों ने नेवी में 20 साल तक काम किया है और महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. पीटीआई के अनुसार इन अफसरों ने नौसेना में तय समय तक सेवा देने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृति (voluntary retirement)ली और बेहतर मौके की तलाश में नौसेना की सर्विस छोड़ी. इसके बाद इन अधिकारियों ने कतर की प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी अल दहारा ( Al Dahra) के साथ काम करना शुरू किया. 

कतर में क्या करते थे नौसेना के ये पूर्व अधिकारी? 

पीटीआई के अनुसार अल दहारा ( Al Dahra) कंपनी में भारत के ये पूर्व अधिकारी पिछले कुछ सालों से कतर के नौसेना अधिकारियों को ट्रेनिंग दे रहे थे. प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी अल दहारा ने एक समझौते के तहत कतर की नौसेना को प्रशिक्षण देने का अधिकार प्राप्त किया था. कैसे सामने आया केस? रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल अगस्त में जासूसी के कथित आरोप में इंडियन नेवी के इन पूर्व अफसरों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन न तो कतर ने और न ही भारत की एजेंसियों ने इन अफसरों पर लगे आरोपों की डिटेल दी. 

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इधर अल दहारा कंपनी ने अपने एक अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद मई में कतर में अपना काम-काज ही बंद कर दिया. इस बाबत ये भी रिपोर्ट आई कि अल दहारा के शीर्ष अधिकारी को कस्टडी में लिया गया था, लेकिन कुछ महीनों बाद उसे छोड़ दिया गया. . इस कंपनी में लगभग 75 भारतीय नागरिक काम करते थे, जिनमें ज्यादातर नौसेना के पूर्व अफसर थे. कंपनी बंद होने के बाद इन सभी भारतीयों को नौकरी से निकाल दिया गया था.

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