'रामदेव को अपनी पहचान बताने में दिक्कत नहीं तो रहमान को क्यों...?', नेमप्लेट विवाद पर बोले योग गुरु

Nameplate Controversy: कांवड़ यात्रा के मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों पर नमेप्लेट लगाने के आदेश की आलोचना करते हुए विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति बताया है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि हिंदुओं को भी अपनी आस्था की शुद्धता बनाए रखने का वैसे ही पूरा हक है, जैसे अन्य धर्मों के लोगों को. अब इस मामले में योग गुरु बाबा रामदेव की प्रतिक्रिया सामने आई है.

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 योग गुरु बाबा रामदेव. (ANI/File Photo) योग गुरु बाबा रामदेव. (ANI/File Photo)

aajtak.in

  • हरिद्वार,
  • 21 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुक्रवार को कांवड़ तीर्थयात्रियों की आस्था की शुद्धता बनाए रखने के लिए राज्य भर में कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाले सभी फलों की दुकानों, भोजनालयों, रेस्टोरेंट के मालिकों की 'नेमप्लेट' लगाने का आदेश दिया. इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति बताया है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि हिंदुओं को भी अपनी आस्था की शुद्धता बनाए रखने का वैसे ही पूरा हक है, जैसे अन्य धर्मों के लोगों को. अब इस मामले में योग गुरु बाबा रामदेव की प्रतिक्रिया सामने आई है.

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बाबा रामदेव ने कहा है, 'अगर रामदेव को अपनी पहचान बताने में दिक्कत नहीं है तो रहमान को अपनी पहचान बताने में क्यों दिक्कत होनी चाहिए? अपने नाम पर गौरव सबको होता है. नाम छिपाने की कोई जरूरत नहीं है, काम में शुद्धता चाहिए बस.' बता दें कि यूपी सरकार के इस पहल के बाद, उत्तराखंड ने भी तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली फलों की दुकानों, भोजनालयों पर मालिक का नेमप्लेट लगाने को लेकर एक आदेश जारी किया है.

यूपी सरकार ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि हलाल सर्टिफिकेशन वाले उत्पाद बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जबकि उत्तराखंड पुलिस ने नेमप्लेट लगाने से संबंधित नियमों का पालन करने में विफल रहने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. सबसे पहले यह निर्णय मुजफ्फरनगर में लिया गया, जहां जिला पुलिस ने किसी भी 'भ्रम' से बचने के लिए कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले सभी फलों की दुकानों और भोजनालयों को अपने मालिक का नाम प्रदर्शित करने का निर्देश जारी किया.

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विपक्ष ने आदेश को बताया विभाजनकारी

हालांकि, विपक्षी दलों द्वारा इस कदम को राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित 'कट्टरता' और 'मुस्लिम' दुकानदारों को टारगेट करने वाली कार्रवाई करार दिया. इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी जिलों में कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों, रेस्टोरेंट इत्यादि पर उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का फरमान जारी कर दिया. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं. सरकार शांतिपूर्ण माहौल को खराब करना चाहती है.'

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी राज्य सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने चुनावी लाभ के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को अपना पूरा नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है. कांग्रेस की यूपी इकाई के प्रमुख अजय राय ने फैसले की निंदा की और कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार लोगों के बीच दूरियां पैदा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने इस फैसले को तुरंत रद्द करने की मांग की.

भाजपा नेताओं ने किया फैसले का बचाव

इस बीच, यूपी के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कुछ मुस्लिम दुकानदार हिंदू नामों की आड़ में तीर्थयात्रियों को नॉन वेज खाद्य पदार्थ बेचते हैं. उन्होंने कहस, 'वे वैष्णो ढाबा भंडार, शाकुंभरी देवी भोजनालय और शुद्ध भोजनालय जैसे नाम लिखते हैं और मांसाहारी भोजन बेचते हैं.' भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा कि जिस क्षेत्र में आदेश पारित किया गया है, वहां रहने वाले मुसलमानों को इससे कोई समस्या नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग बेवजह मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं. यूपी पुलिस ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि इस आदेश का इरादा किसी भी प्रकार का 'धार्मिक भेदभाव' पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल ​शिव भक्तों को सुविधा प्रदान करना है. कांवड़ यात्रा सोमवार, 22 जुलाई से शुरू हो रही है.

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