केरल हाईकोर्ट ने शादी के वक्त दुल्हन को मिलने वाले सोने के आभूषण को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'शादी के वक्त दुल्हन को दिए जाने वाले सोने के आभूषण और नकदी को महिला का 'स्त्रीधन' माना जाता है, जिसका अर्थ है कि ये उसकी विशेष संपत्ति है.'
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन और न्यायमूर्ति एमबी स्नेहलता की खंडपीठ ने ये महत्वपूर्ण फैसला कलमस्सेरी, एर्नाकुलम निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनाया है.
दालत ने कहा, 'दुर्भाग्य से ऐसे कई मामले हैं. जहां ऐसी मूल्यवान संपत्ति पति या ससुराल वालों द्वारा गलत तरीके से हथिया ली जाती है. ऐसे हस्तांतरणों की निजी और अक्सर अनौपचारिक प्रकृति के कारण, महिलाओं के लिए स्वामित्व या गलत तरीके से हथियाई गई संपत्ति के डॉक्यूमेंट सबूत पेश करना असंभव हो जाता है. ऐसी स्थिति में न्यायालयों को न्याय देने के लिए संभावनाओं की प्रबलता के सिद्धांत पर निर्भर रहना पड़ता है.'
याचिकाकर्ता ने बताया कि तलाक के वक्त शादी में मिले सोने समेत गिफ्ट्स की वापसी की मांग की थी, लेकिन एर्नाकुलम फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
अदालत ने कहा, 'शादी के समय दुल्हन को दिया गया सोना अक्सर पति या उसके परिवार द्वारा पारिवारिक रीति-रिवाजों की सुरक्षा की आड़ में रखा जाता है. महिला को इस तरह के हस्तांतरण के लिए शायद ही कभी कोई लिखित रिकॉर्ड या रसीद मिलती है और महिला की अपने खुद के आभूषणों तक पहुंच प्रतिबंधित हो सकती है. जब विवाद उत्पन्न होते हैं, खासकर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न या तलाक के मामलों में, महिला दावा कर सकती है कि उसके सोने के आभूषणों का दुरुपयोग किया गया है या कभी वापस नहीं किया गया है. हालांकि, उसे शायद ही कभी दी गई वस्तुओं की सूची या पावती मिलती है, इसलिए स्वामित्व साबित करना मुश्किल हो जाता है. अदालतों को इस व्यावहारिक कठिनाई को समझना होगा और आपराधिक मामलों की तरह कठोर कानूनी सबूतों पर जोर नहीं देना चाहिए.'
'सास-सुसर के पास रखे थे गहने'
महिला ने तर्क दिया कि साल 2010 में विवाह के वक्त परिवार ने याचिकाकर्ता को 63 तोले सोने के सिक्के और दो तोलों की चेन दी थी. रिश्तेदारों ने भी उपहार स्वरूप 6 तोले सोने के सिक्के दिए थे. उसके नियमित पहनने वाले मंगलसूत्र, एक चूड़ी और दो अंगूठियों को छोड़कर अन्य आभूषणों को पति के माता-पिता के कमरे में यह कहकर रख दिया गया था कि यह सुरक्षित रखने के लिए है. बाद में पति द्वारा मांगे गए 5 लाख रुपये का भुगतान न किए जाने के कारण दंपती के बीच संबंध खराब हो गए.
डॉक्यूमेंट से मिले सबूत
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में अपने दावे की पुष्टि करते हुए कुछ डॉक्यूमेंट पेश किए, जिनसे ये पता चलता है कि सोना उसके माता-पिता द्वारा फिक्स डिपॉजिट में जमा की गई राशि से खरीदा गया था. दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पति को याचिकाकर्ता को 59 1/2 तोले सोने के आभूषण या उसका बाजार कीमत लौटाना चाहिए.
हालांकि, कोर्ट ने पाया कि पत्नी सोने के छह सिक्कों के बारे में कोई सबूत नहीं दे पाई. जिसके बारे में उसने दावा किया कि उसे उसके रिश्तेदारों ने गिफ्ट में दिया था. याचिकाकर्ता ने कुछ घरेलू सामान वापस करने का भी दावा किया था. कोर्ट ने इसे भी ये कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि पत्नी उन सामानों के दुरुपयोग के बारे में कोई सबूत नहीं दे पाई.
शिबिमोल