'...अवॉर्ड नहीं लेता तो विवाद खड़ा हो जाता', पद्म भूषण मिलने के बाद बोले गुलाम नबी आजाद

गुलाम नबी आजाद ने द कश्मीर फाइल्स को एकतरफा बताते हुए कहा कि कश्मीरियों का खून एक है. 600 साल पहले सभी कश्मीरी पंडित ही थे. मैं भी.

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पद्म भूषण अवॉर्ड ग्रहण करते गुलाम नबी आजाद पद्म भूषण अवॉर्ड ग्रहण करते गुलाम नबी आजाद

मौसमी सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 21 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST
  • अवॉर्ड किसी पार्टी का नहीं, देश का है- गुलाम नबी आजाद
  • कहा- कश्मीरियों का खून एक, 600 साल पहले सभी थे पंडित

कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के नेता गुलाम नबी आजाद को राष्ट्रपति ने पद्म भूषण अवॉर्ड से अलंकृत किया. पद्म भूषण सम्मान ग्रहण करने के बाद गुलाम नबी आजाद ने आजतक से खास बातचीत की. गुलाम नबी आजाद ने इस दौरान अपनी आलोचना से लेकर फिल्म द कश्मीर फाइल्स तक, हर मसले पर बेबाकी से राय रखी.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अवॉर्ड नहीं लेता तो सबसे बड़ा विवाद खड़ा हो जाता. कहा जाता कि कश्मीर के लोग अवॉर्ड इसलिए वापस दे रहे हैं कि 370 को हटाया गया है, कश्मीर को अलग किया गया है. ये नई डिबेट चालू हो जाती. उन्होंने कहा कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर ये सम्मान स्वीकार किया. आजाद ने ये भी कहा कि अवॉर्ड किसी पार्टी का नहीं, देश का है. इसे पंडित नेहरू ने शुरू किया था.

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उन्होंने कहा कि पंजाब में मिलिटेंसी के समय मैं और बेत सिंह एक ही गाड़ी में थे और इसे लेकर जनसंपर्क किया था कि कितने लोग मारे गए. हम लोग प्लानिंग कर अलग-अलग जगह जाते थे. कितनी बार हम लोगों को भी मारने की कोशिश की गई. उन्होंने कहा कि कुछ नेता कुएं के मेंढक हैं. वे संसद में सब्जेक्ट पर तो बोल नहीं पाते. उनको पार्टी के नेता और अन्य दलों के बारे में भी पता होना चाहिए. यूथ कांग्रेस से आया नेता नहीं बोलेगा. जो नेता नीचे से आए हैं, उन्हें पता है.

अज्ञानी नेताओं के लिए लिख रहा ऑटोबायोग्राफी

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जामा मस्जिद से संसद तक, क्या किया है जगदीश टाइटलर से पूछें. उस समय इंदिरा गांधी भी थीं. उस समय कोई कहीं नौकरी कर रहा होगा, उसे क्या पता. उन्होंने कहा कि ऐसे अज्ञानी नेताओं के लिए ऑटोबायोग्राफी लिख रहा हूं ताकि उनको पता चले कि क्या हुआ है, मेरे सियासी सफर में और कितने लोगों ने देश के लिए कुर्बानी दी है. हमारी पार्टी के नेताओं को हमारे ही पार्टी का इतिहास नहीं मालूम.

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इतिहास पढ़ें फिर बयान दें हमारी पार्टी के नेता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे नेताओं को पार्टी का इतिहास पढ़ना पड़ेगा. अपने सहयोगियों का इतिहास पढ़ना पड़ेगा. इतिहास पढ़ें और फिर बयान देना चाहिए. सरकार वाले हमारा करियर पढ़कर पहचान दे रहे हैं, पुरस्कार दे रहे हैं और हमारी पार्टी वाले अपने ही सहयोगियों को नहीं पहचान पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब जमाना बदल गया है. कई बारी अपनी ही पार्टी में मंत्री रहते हुए बगावत की तब उस समय बगावत के तौर पर नहीं देखा जाता था. उसे सुझाव के तौर पर देखा जाता था लेकिन अब सब कुछ बदल गया है. पार्टी ही नहीं, दरअसल जमाना बदल चुका है.

एक है सभी कश्मीरियों का खून

गुलाम नबी आजाद ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म से जुड़े एक सवाल पर कहा कि सभी कश्मीरियों का खून एक है. 600 साल पहले सब कश्मीरी पंडित थे. कश्मीरी पंडितों के साथ नाइंसाफी हुई, इसमें कोई दो राय नहीं है. मैंने कितनी बार बोला कि कश्मीरी पंडितों के बगैर कश्मीर अधूरा है. उन्होंने कहा कि हकीकत ये है कि जितने ओरिजिनल कश्मीरी हैं, जो मुसलमान हैं, वे सब 600 साल पहले कश्मीरी पंडित थे. सभी कन्वर्ट हुए हैं. कईयों को शर्म आती है पर यह इतिहास है. मैं भी कश्मीरी पंडित था. सभी पार्टी के नेता पहले कश्मीरी पंडित ही थे. हमारा खून एक है उसको जुदा कैसे कर सकते हैं.

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एकतरफा बनाई गई है द कश्मीर फाइल्स

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स एकतरफा बनाई गई है. फिल्म को एकतरफा दिखाया गया है. आतंक के दौरान कई मुसलमान भी मारे गए. जिन्होंने फिल्म बनाई, उन्होंने देश की कोई सेवा नहीं की. मैंने पहले भी कहा था कि सियासी दलों को भी समाज को एकजुट करना चाहिए. पहले भी एक फिल्म आई थी जो एक अलग समुदाय के बारे में बता रही थी तो हम लोगों ने उसे दबाया क्योंकि उससे नफरत फैलती. सच दिखाना चाहिए लेकिन एकतरफा नहीं. अधिकतर कश्मीरी पंडित मारे गए लेकिन मुसलमान भी मारे गए. यह भी सच है.

फारूक अब्दुल्ला को गाली देना सही नहीं

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि फिल्म में अगर ये दिखा रहे हैं तो ये भी कहना चाहिए कि बीजेपी सपोर्ट में थी और केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी. तब गवर्नर भी बीजेपी के थे. उसकी जगह आप फारूक अब्दुल्ला को गाली दे रहे हैं तो ये कहां सही है. आप पेंट कर रहे हैं कि कांग्रेस की गलती है. कांग्रेस तब न स्टेट में थी और ना ही केंद्र में. पलायन के लिए गाड़ियां जगमोहन ने दी थीं. पीएम ने फिल्म की तारीफ की है. फिल्म में सिक्के का सिर्फ एक पहलू दिखाया गया है. दोनों पहलू दिखाते तो नफरत पैदा नहीं होती. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में एक लाख से अधिक स्पीच दी है और सभी में देश की एकता और अखंडता की बात की है.

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