'इमोशन के बिना इंसान पशु के समान', DMK नेता अंबिल महेश का ट्रोलर्स को जवाब

करूर भगदड़ में 39 लोगों की मौत के बाद अस्पताल में शव देखकर तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश रोने लगे थे. इसके लिए उनकी सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग हुई थी. अब उन्होंने एक इंटरव्यू में ट्रोलर्स को जवाब दिया है...

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तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश. (File Photo: PTI) तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश. (File Photo: PTI)

प्रमोद माधव

  • चेन्नई,
  • 22 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST

तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी करूर भगदड़ के बाद जब गर्वनमेंट हॉस्पिटल पहुंचे थे, तो वहां लोगों के शव देखकर वह रोने लगे थे.  उनके रोने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अंबिल महेश को ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था. यह भगदड़ 27 सितंबर को करूर में अभिनेता से नेता बने तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) प्रमुख विजय की रैली के दौरान मची थी. 

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इस हादसे में 39 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 9 बच्चे भी शामिल थे और 80 से अधिक लोग घायल हुए थे. तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश ने ट्रोलिंग का जवाब देते हुए कहा कि भाषण या जीवन में ज्ञान और भावनाओं का संतुलन होना चाहिए. उन्होंने तमिल कवि वल्लुवन का हवाला देते हुए कहा, 'अधिक भावना और कम ज्ञान वाले व्यक्ति को पशु के समान, जबकि अधिक ज्ञान और कम भावना वाले को वृक्ष के समान माना जाता है.'

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भावुक होना इंसान का मूल स्वभाव है

उन्होंने जोर देकर कहा, 'हम पहले इंसान हैं. संक्षेप में कहें तो, जो व्यक्ति पत्थर को भगवान बना सकता है, वह इंसान होने का मूल सिद्धांत भूल गया.' उन्होंने कहा कि भावुकता इंसान का मूल स्वाभाव होता है. यह बयान उन्होंने एक इंटरव्यू में दिया, जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी नेता या व्यक्ति को बच्चों के शव देखकर दुख न महसूस हो, यह अस्वाभाविक होगा.

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करूर भगदड़ के बाद डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शिक्षा मंत्री अंबिल महेश और स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम को तुरंत राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए मौके पर भेजा था. मंत्री महेश अस्पताल पहुंचे, जहां वह शवों को देखकर भावुक हो गए. उनके रोने का वीडियो वायरल होने पर पीएमके नेता अंबुमणि रामदॉस समेत कई अन्य ने उनकी प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए थे.

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अंबिल महेश ने TVK को आड़े हाथों लिया

अंबिल महेश ने करूर भगदड़ के लिए टीवीके को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि रैली आयोजकों ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया था. उन्होंने छात्रों से अपील की कि नेताओं का अनुसरण ठीक है, लेकिन शिक्षा और सुरक्षा पहले है. स्टालिन सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख और घायलों को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की थी. विजय की पार्टी टीवीके ने हर पीड़ित परिवार को 20 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी. डीएमके सरकार ने करूर भगदड़ की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.
 

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