दंगे के आरोपियों को नहीं है पुलिस से जांच की स्थिति जानने का अधिकारः दिल्ली पुलिस

एसपीपी (स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर) अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि कानून के तहत इन आरोपियों को आरोप पर बहस शुरू होने से पहले जांच की स्थिति जानने का कोई अधिकार नहीं है. प्रसाद के मुताबिक, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो उन्हें इस तरह की राहत की मांग करने का अधिकार दे.

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दिल्ली में साल 2020 में हुए थे दंगे (फाइल फोटो) दिल्ली में साल 2020 में हुए थे दंगे (फाइल फोटो)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST

दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में आरोपितों द्वारा जांच की स्थिति पूछे जाने का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया. कड़कड़डूमा कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि मामले के आरोपियों के पास पुलिस से जांच का स्टेटस जानने का अधिकार नहीं है. यह कानून में अस्वीकार्य है.अपनी दलील में दिल्ली पुलिस ने कहा कि कई बार केस डायरी पर कोर्ट विचार कर चुका है. पुलिस ने कहा कि, ये आवेदन मुकदमे को पटरी से उतारने के अलावा और कुछ नहीं है. अभियुक्त अभियोजन पक्ष से सवाल पूछने के लिए अदालत पर दबाव नहीं बना सकता है. इसके साथ ही जांच एजेंसी के जांच के अधिकार को कम नहीं किया जा सकता है.'

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'जांच की स्थिति जानने का कोई अधिकार नहीं'
एसपीपी (स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर) अमित प्रसाद ने अदालत को बताया कि कानून के तहत इन आरोपियों को आरोप पर बहस शुरू होने से पहले जांच की स्थिति जानने का कोई अधिकार नहीं है. प्रसाद के मुताबिक, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो उन्हें इस तरह की राहत की मांग करने का अधिकार दे. उन्होंने तर्क दिया, आरोपी राहत पाने के लिए  बैक डोर एंट्री चाह रहे हैं जिसके उन्हें कानूनी अनुमति नहीं है. 

आरोपियों ने क्यों नहीं कि पूरक चार्जशीट को रद्द करने की मांग
एसपीपी (स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर)  ने बताया कि दिल्ली पुलिस पहले ही मामले में अपनी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, और अगर आरोपियों को लगता है कि पूरक चार्जशीट को अदालत द्वारा स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए था तो वे इसे रद्द करने की मांग कर सकते थे.

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आरोपी द्वारा मुकदमे में देरी की कोशिश के बारे में पिछली बार उन्होंने जो तर्क दिया था, उसे दोहराते हुए एसपीपी प्रसाद ने कहा कि आरोपी ने अच्छे समय का इंतजार किया. 40 दिन बाद अदालत ने दैनिक आधार पर आरोप पर बहस की तारीख तय की. इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि यदि आरोपी के पास एचसी के समक्ष आदेश को चुनौती देने का अधिकार था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा कि अब दायर आवेदन केवल मुकदमे को पटरी से उतारने के लिए हैं.

आरोपियों के कदम को कहा साजिश
इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा अदालत को बताया कि उत्तरपूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के आरोपी मामले की सुनवाई में देरी करने के लिए "रणनीति" का उपयोग कर रहे हैं. ये आरोपी जमानत पर हैं. दिल्ली पुलिस के वकील एसपीपी अमित प्रसाद ने तर्क दिया था, "आरोप पर बहस की तारीख एक महीने पहले तय की गई थी, और आरोपी के वकील के पास इस पर अपनी आपत्ति दायर करने के लिए पर्याप्त समय था." अमित प्रसाद ने आरोपियों के इस कदम को साजिश करार दिया है.

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