वैवाहिक रिश्ते में बाहरी हस्तक्षेप से आई दरार के बाद हर्जाना मांग सकती है पत्नी, दिल्ली HC का फैसला

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला द्वारा 'एलिनेशन ऑफ अफेक्शन' (AoA) के लिए हर्जाने की मांग करने वाले मुकदमे को अनुमति दी है. कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटाने का मतलब यह नहीं है कि शादी के बाहर के संबंधों के कानूनी नतीजे नहीं होंगे.

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एलिनेशन ऑफ अफेक्शन मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला (File Photo: ITG) एलिनेशन ऑफ अफेक्शन मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला (File Photo: ITG)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक पत्नी द्वारा 'एलिनेशन ऑफ अफेक्शन' (Alienation of Affection)यानी किसी तीसरे शख्स की वजह से संबंध में विवाद होने के मामले में हर्जाना मांगने वाला मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दे दी है. 

पत्नी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एक महिला ने जानबूझकर उसके वैवाहिक रिश्ते में हस्तक्षेप किया, जिससे रिश्ता टूट गया. 

कोर्ट ने कहा कि जोसेफ शाइन मामले में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शादी के बाहर संबंध बनाने की छूट मिल गई है, जिसके नागरिक या कानूनी परिणाम नहीं होंगे.

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वैवाहिक संबंधों में हस्तक्षेप...

पत्नी का आरोप है कि दूसरी महिला के हस्तक्षेप की वजह से उसका वैवाहिक संबंध खत्म हो गया. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के हस्तक्षेप की प्रकृति और यह स्वैच्छिक था या नहीं, यह सब कुछ ट्रायल के दौरान तय किया जाएगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ नुकसान की मांग करने वाली कार्रवाई को नागरिक अदालत में किया जा सकता है, क्योंकि वैवाहिक कानून में ऐसा कोई उपाय नहीं है. कोर्ट ने कहा कि पति और महिला, या कोई भी शख्स, यह बात समझ ले कि उनके कार्यों के परिणाम और प्रभाव होते हैं. 

यह भी पढ़ें: दिल्ली हाई कोर्ट में आज होगा 6 नए जजों का शपथ ग्रहण, कॉलेजियम का भी होगा पुनर्गठन

कोर्ट ने कहा कि पति का आचरण किसी बाहरी प्रभाव का नतीजा था या पूरी तरह से उसकी अपनी मर्जी से था, यह एक तथ्यात्मक सवाल है, जिसे सबूतों के जरिए स्थापित किया जाएगा. कोर्ट ने यह भी माना कि भारत में 'एलिनेशन ऑफ अफेक्शन' के आधार पर हर्जाना मांगने वाले किसी भी सिविल मुकदमे में कोई राहत नहीं दी गई है, क्योंकि यह अवधारणा अभी तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हुई है.

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