दिल्ली-NCR के लोगों को प्रदूषण से थोड़ी भी राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. कई इलाकों में लगातार एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार बना हुआ है. इस बीच सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की सैटेलाइट आधारित लेटेस्ट रिपोर्ट ने दिल्ली को देश का सबसे प्रदूषित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश बताया है.
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 से फरवरी 2025 तक के आंकड़ों की बात करें तो दिल्ली की एयर क्वालिटी इतनी खराब है कि यहां साल भर का औसत PM2.5 स्तर 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है, जो भारत के तय मानक 40 µg/m³ से ढाई गुना ज्यादा और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक 5 µg/m³ से 20 गुना ज्यादा है.
प्रदूषण के मामले में चंडीगढ़ दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की रिपोर्ट में कहा गया है कि चंडीगढ़ का औसत PM2.5 स्तर 70 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो दूसरे स्थान पर है. इसके बाद हरियाणा (63) और त्रिपुरा (62) हैं. इसी तरह असम (60), बिहार (59), पश्चिम बंगाल (57), पंजाब (56), मेघालय (53) और नगालैंड (52) भी राष्ट्रीय मानक से काफी ऊपर हैं.
देशभर के 60 फीसदी जिलों में हवा की स्थिति खराब
अध्ययन किए गए देश के 749 जिलों में से 447 जिले यानी लगभग 60 फीसदी जिले PM2.5 साल भर के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) के 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा को पार करते पाए गए. सबसे ज्यादा प्रदूषित 50 जिलों में से दिल्ली (11 जिले) और असम (11 जिले) शामिल हैं. बिहार और हरियाणा के 7-7 जिले, उत्तर प्रदेश के 4, त्रिपुरा के 3, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के 2-2 जिले शामिल हैं.
कई राज्यों के सभी जिले फेल
दिल्ली, असम, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में जितने भी जिलों की निगरानी हुई, सभी ने राष्ट्रीय मानक को पार किया. बिहार के 38 में से 37, पश्चिम बंगाल के 23 में से 22, गुजरात के 33 में से 32, नगालैंड के 12 में से 11, राजस्थान के 33 में से 30 और झारखंड के 24 में से 21 जिलों में भी हवा खराब स्तर पर दर्ज की गई.
इस रिपोर्ट में लद्दाख, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप को डाटा कम होने की वजह से शामिल नहीं किया गया.विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण कम करने के लिए वाहनों, उद्योगों, पराली जलाने और निर्माण कार्यों पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है. नहीं तो स्वास्थ्य पर बुरा असर लगातार बढ़ता रहेगा.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली और आसपास के कई हिस्सों में एक्यूआई 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया है. CPCB के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार सुबह इंडिया गेट पर एक्यूआई 328, एम्स-सफदरजंग अस्पताल पर 323, आनंद विहार में 402, आईटीओ में 380 दर्ज किया गया. वहीं, नोएडा का AQI 397 दर्ज किया गया, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में है.
स्वास्थ्य पर प्रदूषण का कितना गंभीर असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे प्रदूषक कण (PM2.5) और बारीक होते जाते हैं, उनका असर शरीर पर ज़्यादा खतरनाक होता है. ये सूक्ष्म कण इतने छोटे होते हैं कि सीधे रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकते हैं.
सुशांत मेहरा