लैंड फॉर जॉब स्कैम में फिर टली सुनवाई, लालू एंड फैमिली पर अब इस दिन तय होंगे आरोप

दिल्ली के एक कोर्ट ने लैंड-फॉर-जॉब स्कैम केस में सीबीआई को सभी आरोपितों की वेरिफिकेशन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है. अदालत ने आरोप तय करने पर सुनवाई 19 दिसंबर तक टाल दी है.

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लैंड फॉर जॉब स्कैम केस में वेरिफिकेशन रिपोर्ट दायर करने के लिए कोर्ट ने सीबीआई को और समय दिया. (File Photo: X/@RJD) लैंड फॉर जॉब स्कैम केस में वेरिफिकेशन रिपोर्ट दायर करने के लिए कोर्ट ने सीबीआई को और समय दिया. (File Photo: X/@RJD)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को लैंड-फॉर-जॉब स्कैम केस में सीबीआई को सभी आरोपियों की वेरिफिकेशन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान कर दिया. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) विशाल गोगने ने आरोप तय करने के लिए सुनवाई 19 दिसंबर तक टाल दी. यह मामला राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य आरोपियों से जुड़ा है. सीबीआई ने इस मामले में आईपीसी की धाराओं 120B (साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 और 471 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम-1988 की धाराओं 11,12,13,8,9 के अंतर्गत चार्जशीट दाखिल की थी.

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कोर्ट को यह विचार करना है कि क्या इन धाराओं के तहत ही आरोपितों के खिला आरोप तय किए जाएं. 11 दिसंबर की पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने सीबीआई को वेरिफिकेशन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिसंबर तक का समय दिया था. इस मामले में CBI ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत 103 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें से चार आरोपितों की मौत हो चुकी है. सीबीआई का आरोप है कि 2004-2009 के दौरान जब लालू प्रसाद रेल मंत्री थे, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ.

यह भी पढ़ें: लैंड फॉर जॉब स्कैम: दिल्ली HC से लालू यादव को झटका, ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की याचिका खारिज

उनके परिवार के सदस्यों और उनसे संबंधित कंपनियों के नाम पर बाजार मूल्य से कम दरों पर जमीनें हस्तांतरित की गईं, जिसके लिए ज्यादातर नकद लेन-देन हुई थी. बदले में विभिन्न रेलवे जोन में अपनी जमीन देने वालों को ग्रुप 'डी' पदों पर नौकरियां दी गईं. इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही CBI को लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे चुका है. वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और CBI दोनों ही पटना में भूमि लेन-देन से जुड़े करीब 600 करोड़ रुपये के कथित मनी लॉन्ड्रिंग ट्रेल की समानांतर जांच कर रहे हैं. इस साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने ट्रायल पर रोक लगाने की मांग की थी.

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उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें CBI द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद ट्रायल पर रोक से इनकार किया गया था. हाल ही में, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-विशेष न्यायाधीश ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की ओर से दायर ट्रांसफर याचिका पर CBI को नोटिस जारी किया था. याचिका में राबड़ी देवी ने अपने मामले को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत से स्थानांतरित करने की मांग की है. 
 

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