राजस्थान: अशोक गहलोत के आरोपों पर बोले बीजेपी नेता, कांग्रेस के भीतरी संकट से हमारा लेना- देना नहीं

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों को निराधार बताया कि 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक समूह द्वारा विद्रोह में उनकी पार्टी की भूमिका थी. पूनिया ने यह भी कहा कि भाजपा का प्रदेश कांग्रेस के भीतर मौजूदा संकट से भी कोई लेना-देना नहीं है.

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राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:28 AM IST

राजस्थान में साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान से प्रदेश कांग्रेस में बवाल छिड़ गया है. गहलोत ने सचिन पायलट के अलावा बीजेपी पर भी कई आरोप लगाए थे.

ऐसे में अब राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों को निराधार बताया कि 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक समूह द्वारा विद्रोह में उनकी पार्टी की भूमिका थी. पूनिया ने यह भी कहा कि भाजपा का प्रदेश कांग्रेस के भीतर मौजूदा संकट से भी कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "गहलोत पिछले चार साल से ये आरोप लगा रहे हैं और इन आरोपों का कोई आधार नहीं है और भाजपा का इस प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है."

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गहलोत ने अमित शाह पर लगाए थे आरोप 

दरअसल, एक निजी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में, गहलोत ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह पायलट के विद्रोह प्रकरण में शामिल थे, जब उनके प्रति वफादार कुछ कांग्रेस विधायक एक महीने से अधिक समय तक गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में छिपे हुए थे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अक्सर बागी विधायकों से मुलाकात की. साथ ही दावा किया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि पायलट सहित उन सभी विधायकों को 10 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया था. गहलोत ने कहा कि पायलट एक 'गद्दार' (देशद्रोही) हैं और उनकी जगह नहीं ले सकते.क्योंकि उन्होंने 2020 में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह किया था और राज्य सरकार को गिराने की कोशिश की थी.गहलोत की टिप्पणी ने उनके और पायलट के बीच बयानबाजी शुरू कर दी है. ये राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी में व्यापक दरार का संकेत है.

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'पता नहीं ऐसे बयानों की सलाह कौन दे रहा है'

गहलोत के इस बयान के बाद हलचल राजस्थान के साथ-साथ दिल्ली में भी देखने को मिली. सबसे पहले इसपर सचिन पायलट की ही प्रतिक्रिया आई. उन्होंने कहा, 'मैंने अशोक गहलोत की बात सुनी. पहले भी उन्होंने बहुत बातें मेरे बारे में बोली हैं. इस प्रकार के झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाने की आज जरूरत नहीं है. आज जरूरत इस बात की है कि हम कैसे पार्टी को मजबूत करें.' पायलट ने यह भी कहा कि गहलोत सीनियर और अनुभवी नेता हैं. मुझे नहीं पता कि कौन उनको मेरे बारे में झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाने की सलाह दे रहा है.

'कांग्रेस तोड़ो यात्रा शुरू कर दी है गहलोत ने'

इधर, कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए, विधानसभा में विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के आगमन से पहले ही राजस्थान में, गहलोत ने "कांग्रेस तोड़ो यात्रा" शुरू कर दी है.राठौर ने एक ट्वीट में कहा, ''चार साल से चली आ रही मुख्यमंत्री पद की लड़ाई सरकार के जाने के साथ खत्म हो जाएगी. 

'80% विधायक साथ नहीं हुए तो CM पद का दावा छोड़ देंगे पायलट'

इस बीच पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग का समर्थन करने वाले राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा ने कहा कि पार्टी आलाकमान को हर विधायक से बात करनी चाहिए. मैं कह रहा हूं कि अगर 80 फीसदी विधायक सचिन पायलट के साथ नहीं हैं, तो वह अपना दावा छोड़ देंगे. गौरतलब है कि राजेंद्र गुढ़ा बसपा के उन 6 विधायकों में से एक थे, जो कांग्रेस में शामिल हुए थे. इसके बाद गुढ़ा को मंत्री बनाया गया था. 2020 में जब सचिन पायलट ने बगावत की थी, तब गहलोत सरकार को गिरने से बचाने में इन बसपा विधायकों ने अहम रोल अदा किया था. राजेंद्र गुढ़ा को पहले सीएम गहलोत के कैंप का माना जाता था. लेकिन कुछ दिनों से उनके सुर बदले हुए हैं. वे कभी सचिन पायलट की तारीफ करते नजर आते हैं, तो कभी अपने बयानों से गहलोत की मुसीबत बढ़ा रहे हैं.

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