एंबुश में फंस गए थे मणिपुर पुलिस के जवान, असम राइफल्स ने यूं बचाई जान, देंखे रेस्क्यू का Video

असम राइफल्स के जवानों ने मणिपुर में फायरिंग के बीच घिरे मणिपुर पुलिस के जवानों की जान बचाई है. इस घटना के कई वीडियो सामने आए हैं. वीडियो में दिख रहा है कि गोलीबारी के बीच मणिपुर पुलिस के जवान फंसे हुए हैं और असम राइफल्स के जवान उनका रेस्क्यू कर रहे हैं.

Advertisement
उग्रवादियों की गोलीबारी के बीच फंसे मणिपुर पुलिस के जवान. (फोटो-वीडियो ग्रैब) उग्रवादियों की गोलीबारी के बीच फंसे मणिपुर पुलिस के जवान. (फोटो-वीडियो ग्रैब)

aajtak.in

  • इंफाल,
  • 07 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:42 AM IST

हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में लगातार सिक्योरिटी फोर्सेज को भी निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में तेंगनौपाल जिले की एक घटना सामने आई है, जिसमें असम राइफल्स के जवानों के जांबाजी दिखाते हुए फायरिंग जोन में घुसकर मणिपुर पुलिस के जवानों की जान बचाई है. इस घटना के कई Video सामने आए हैं, जिसमें साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे असम राइफल्स के जवान अपनी जान खतरे में डालकर मणिपुर पुलिस के जवानों को रेस्क्यू कर रहे हैं.

Advertisement

दरअसल, मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में मोरेह नाम का एक कस्बा है. म्यांमार बार्डर से सटे इस कस्बे में 31 अक्टूबर को स्नाइपर ने एक पुलिस अधिकारी (SDOP) चिंगथम आनंद कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद पुलिस की टीम को मदद के लिए वहां भेजा गया, लेकिन उग्रवादियों ने तेंगनौपाल जिले में इंफाल-मोरेह नेशनल हाईवे-102 से गुजर रही पुलिस टीम पर घात लगाकर पहाड़ियों से हमला कर दिया.

फायरिंग के बीच पहुंच गई असम राइफल्स की टीम

वीडियो में नजर आ रहा है कि कैसे ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से अचानक हुई ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद मणिपुर पुलिस के जवान वहां फंस जाते हैं. उग्रवादियों ने इस हमले के लिए बकायदा एंबुश बनाया था. इस फायरिंग में गोली लगने के कारण पुलिस के जवान बुरी तरह से घायल हो जाते हैं. उग्रवादियों के स्नाइपर पहाड़ियों से फायरिंग कर ही रहे थे कि तभी वहां असम राइफल्स के जवानों की एक टीम पहुंच गई. 

Advertisement

घायल पुलिसवालों को लेकर सीधे पहुंचे अस्पताल

भीषण गोलीबारी के बीच असम राइफल्स के जवान अपनी गाड़ी को लेकर सीधे वहां पहुंच गए, जहां मणिपुर पुलिस के जावन बुरी तरह से फंसे हुए थे. असम राइफल्स की टीम ने अपनी गाड़ी को धीरे-धीरे घायल पुलिसवालों के पास पहुंचाया और घायल पुलिस कर्मियों को एक-एक करके अपनी गाड़ी में चढ़ा लिया. इस घटना के वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे गोलीबारी में घायल हो चुके मणिपुर पुलिस के जवान एक के बाद एक असम राइफल्स की गाड़ी में सवार हो गए, जिसके बाद गाड़ी को सीधे अस्पताल ले जाया गया, जहां पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. 

6 महीने से हिंसा की आग में जल रहा है मणिपुर

बता दें कि मणिपुर में हिंसा की आग 3 मई को फैलनी शुरू हुई थी. इसके बाद से लेकर अब तक 6 महीने बाद भी यह आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. यहां कुकी और मैतेई समुदाय के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं. 

आदिवासी एकता मार्च के बाद शुरू हुई थी हिंसा

- तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.

- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.

Advertisement

- तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.

- ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग रहा है.

- 20 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया.

- मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement