उपेक्षा से अपना चरित्र और दिशा बदल सकता है संगठन, ABVP के नए कार्यालय का उद्घाटन कर बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

ABVP के नए कार्यालय भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मंगलवार को आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब कोई संगठन छोटा होता है तो वह सीमित संसाधनों के साथ अपना काम करता है. किसी संगठन को अत्यधिक दिखावटी नहीं होना चाहिए और न ही उसे अपना काम करने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी होनी चाहिए.

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RSS प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल फोटो) RSS प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल फोटो)

अनमोल नाथ

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने  चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी संगठन की उपेक्षा की जाती है तो इस बात की पूरी संभावना है कि वह अपना चरित्र और दिशा बदल सकता है. उन्होंने ये बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नए कार्यालय यशवंत के उद्घाटन के बाद कही हैं, जिसका नाम यशवंतराव केलकर के नाम पर रखा गया है.

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ABVP के नए कार्यालय भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मंगलवार को आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब कोई संगठन छोटा होता है तो वह सीमित संसाधनों के साथ अपना काम करता है.

पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र शेखावत समेत कई गणमान्य लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए. इस अवसर पर बीजेपी अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी उपस्थित थीं.

भागवत ने कहा, 'जब कोई संगठन बढ़ता है तो अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है. जब वह राष्ट्र के जीवन में स्थान प्राप्त करता है, तो उसे विभिन्न प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता होती है. प्रत्येक संगठन की अपनी आत्मा और शरीर होता है.'

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भागवत ने कहा, 'यदि किसी संगठन का बाहरी स्वरूप खराब है तो उसे उपेक्षित किया जाता है. यदि वह समृद्ध है तो उससे ईर्ष्या होती है. कभी-कभी, यदि संगठन की उपेक्षा की जाती है तो उसका चरित्र और दिशा भी बदल जाती है.'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने कहा कि किसी संगठन को अत्यधिक दिखावटी नहीं होना चाहिए और न ही उसे अपना काम करने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, 'श्रमिकों को एक संतुलित, मध्यम मार्ग अपनाना होगा और ऐसी सोच जागरूक, समर्पित कार्यकर्ताओं से आती है.'

उन्होंने कहा, अगर आप विद्यार्थी परिषद के असली उद्देश्यों को समझना चाहते हैं तो ABVP के किसी कार्यकर्ता को देख लीजिए. ये छात्रों का, छात्रों द्वारा और छात्रों के लिए एक संगठन है. जब RSS पर प्रतिबंध लगा था, तब ABVP ने ही युवाओं के बीच राष्ट्रहित की मशाल को आगे बढ़ाया था. हमने देश भर के परिसरों में सेवा और देशभक्ति की भावना को जीवित रखा.

'दुनिया के सबसे बड़े संगठनों में से एक है ABVP'

आरएसएस प्रमुख ने ये भी कहा कि मुख्यालय का निर्माण हमें उसका प्रशासक बना सकता है, लेकिन इससे हमारे कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी भी आ जाती है. आज हम दुनिया के सबसे बड़े छात्र संगठनों में से एक हैं, जिसके 58 लाख से ज़्यादा सदस्य हैं. पर हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ है. हमें शिक्षा, छात्रों और अपने देश के भविष्य के लिए लड़ना जारी रखना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि परिस्थितियां-दिशाएं बदलती हैं, दशा बदल जाती है, दिशा बदल जाती है. लेकिन हमारा कर्तव्य राष्ट्र-निर्माण के पथ पर केंद्रित रहें.

भारत की ओर देख रहा है विश्व

आरएसएस प्रमुख ने एकता का संदेश देते हुए कहा कि विश्व मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रहा है.

उन्होंने कहा, 'हमारे देश का भाग्य बदल रहा है. पूरा विश्व मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रहा है. विश्व के सामने सही आदर्श प्रस्तुत करना हमारा कर्तव्य है. हमारे पास ज्ञान है और हमें एकता की भावना के साथ दृष्टिकोण अपनाना होगा.'

भागवत ने कहा कि विभिन्न संप्रदायों, भाषाओं, जातियों और उपजातियों के लोगों के बीच एकता की भावना से ही राष्ट्र निर्माण और वैश्विक कल्याण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.

उन्होंने कहा, 'मैं भारत के युवाओं में देश को अग्रणी राष्ट्र बनाने का नया उत्साह देख सकता हूं.' उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी में विश्व के समक्ष प्रगति के वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत करने की क्षमता है.

उन्होंने कहा, 'हमें अपने देश का भाग्य पूरी तरह से उपनिवेश-मुक्त मन से बनाना होगा. हमें उसी आधार पर अपने प्रयोग करने होंगे. युवाओं में राष्ट्र निर्माण का उत्साह और काम करने की क्षमता है. उन्हें दिशा और उचित ज्ञान दिए जाने की आवश्यकता है. यह ज्ञान एकता से आता है.'

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