विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को बदलते भू-राजनीतिक माहौल पर बड़ा बयान दिया. कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था इस समय असामान्य संक्रमण के दौर से गुजर रही है, जहां अमेरिका और चीन की नई रणनीतियों ने दुनिया के सामने जटिल विकल्प खड़े कर दिए हैं.
उन्होंने कहा कि लंबे समय से आधुनिक वैश्विक व्यवस्था के संरक्षक रहे संयुक्त राज्य अमेरिका ने अब पूरी तरह नए नियम तय कर दिए हैं और वह देशों से बहुपक्षीय ढांचे के बजाय एक-एक करके डील कर रहा है. यह रुख पहले की अमेरिकी विदेश नीति से बहुत अलग है और इससे वैश्विक संतुलन पर सीधा असर पड़ा है.
जयशंकर ने कहा कि चीन काफी समय से अपने तरीके से काम करता आया है और अब इसका स्तर और बढ़ गया है. ऐसे में कई देशों के सामने यह दुविधा है कि वे अमेरिका-चीन की प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा पर ध्यान दें या फिर उन सौदों और समझौतों पर, जो इस प्रतिस्पर्धा के बीच चुपचाप आकार लेते रहते हैं.
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण, बढ़ती खेमेबंदी और सप्लाई चेन की असुरक्षा ने बाकी दुनिया को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने वाली नीति अपनाने पर मजबूर कर दिया है.
विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश आज दोनों अमेरिका और चीन से सीधे जुड़ने के साथ-साथ अपने विकल्प भी मजबूत कर रहे हैं. जहां तक संभव है, वे किसी एक पक्ष का स्पष्ट चुनाव करने से बच रहे हैं और तभी निर्णय ले रहे हैं, जब वह उनके हित में हो.
उन्होंने इसे ‘हेजिंग’ की नीति बताया और कहा कि इस स्थिति ने देशों को आपस में नए विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया है. इसका एक प्रमुख संकेत है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (एफटीए) के प्रति बढ़ता वैश्विक उत्साह.
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