भारत में इंडिगो, एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की कई उड़ानें परेशानी झेल सकती हैं, क्योंकि उनके ए320 परिवार के फ्लीट में एक तकनीकी खामी मिली है. फ्रांस की विमानन कंपनी एयरबस ने बताया कि तेज सूरज की किरणें कुछ प्लेन्स के फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम के लिए जरूरी डेटा को खराब कर सकती हैं. यह डेटा अगर गलत हो जाए, तो विमान के कंट्रोल पर असर पड़ सकता है.
देश में 560 से ज़्यादा ए320 प्लेन्स उड़ते हैं, और इनमें से करीब 200–250 प्लेन्स को तुरंत जांच और बदलाव की जरूरत है. कुछ में सॉफ्टवेयर बदलेगा और कुछ में हार्डवेयर सीधा या रिप्लेस किया जाएगा. इस दौरान प्लेन्स को ग्राउंड करना पड़ेगा, इसलिए उड़ानें लेट होंगी या रद्द भी हो सकती हैं.
यूरोपियन यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (ईएएसए) ने इमरजेंसी नोटिस जारी करते हुए कहा कि प्लेन्स में एक अच्छा ईएलएसी कंप्यूटर लगाना जरूरी है, जो फ्लाइट कंट्रोल को संभालता है.
एयरबस के एक प्रवक्ता का अनुमान है कि इस तकनीकी समस्या या मरम्मत प्रक्रिया से कुल 6,000 विमानों पर असर पड़ेगा.
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने ए320 विमान अलर्ट के बाद एहतियाती कदम उठाए
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, एयरबस A320 विमानों के लिए एक सॉफ्टवेयर फिक्स से जुड़ा अलर्ट मिलने के बाद उन्होंने एहतियाती कदम उठाए हैं.
कंपनी ने कहा कि उनके अधिकांश विमान इस समस्या से प्रभावित नहीं हैं, लेकिन वैश्विक निर्देशों के कारण कुछ उड़ानों में देरी या कैंसिलेशन हो सकता है. एयरलाइन ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि वे अपने संपर्क विवरण अपडेट रखें और अपनी उड़ान की ताज़ा स्थिति वेबसाइट, चैटबॉट या मोबाइल ऐप पर चेक करते रहें.
हाल में एक ए320 प्लेन में ऑटोपायलट ऑन रहते हुए बिना कमांड के हल्का नीचे झुकाव देखा गया था. जांच में ईएलएसी मॉड्यूल में खामी सामने आई थी.
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एयरबस को तगड़ा झटका: A320 रिकॉल कंपनी के 55 साल में सबसे बड़ा
कंपनी को अपने कुछ विमानों के पार्ट्स या सिस्टम की जांच या बदलाव करने पड़ रहे हैं। इसे “रिकॉल” कहा जाता है यानी विमान कंपनी अपने बनाए हुए विमानों को सुरक्षा जाँच के लिए वापस बुला रही है.
यह रिकॉल एयरबस के 55 साल के इतिहास में सबसे बड़ा माना जा रहा है. बात इसलिए भी गंभीर है क्योंकि कुछ ही हफ्ते पहले एयरबस का A320 मॉडल दुनिया का सबसे ज़्यादा बिकने वाला विमान बना था, जिसने बोइंग 737 को पीछे छोड़ दिया था.
जब कंपनी ने यह सेफ़्टी चेतावनी (सेफ़्टी बुलेटिन) अपने ग्राहकों - यानी एयरलाइनों को भेजी, उस समय लगभग 3,000 A320 परिवार के विमान (जैसे A320, A321, A319 आदि) दुनिया के आसमान में उड़ रहे थे.
इसका मतलब है कि यह समस्या सीधे तौर पर दुनियाभर की बड़ी एयरलाइनों, उनके उड़ान कार्यक्रमों, और लाखों यात्रियों की यात्रा योजनाओं को प्रभावित कर सकती है.
भारत में भी उड़ानों पर असर
इंडिगो ने कहा कि उन्हें एयरबस की नोटिफिकेशन मिल चुकी है और वे कोशिश करेंगे कि यात्रियों को कम परेशानी हो. एयर इंडिया एक्सप्रेस ने कहा कि उनके 31 प्लेन्स प्रभावित होंगे, लेकिन वे सावधानी के सभी कदम उठा रहे हैं. एयर इंडिया ने भी यात्रियों से माफी मांगते हुए कहा कि खाने के दौरान कई उड़ानें प्रभावित रहेंगी.
एयरबस ने माना है कि ये बदलाव यात्रियों के लिए परेशानी पैदा करेंगे, लेकिन सुरक्षा सबसे पहले है. उन्होंने ऑपरेटर्स को अलर्ट जारी करते हुए सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर फिक्स तुरंत लागू करने को कहा है.
दुनियाभर के उड़ानें हुईं प्रभावित
एयरबस की इस बड़ी तकनीकी समस्या का असर अब कई बड़ी एयरलाइनों पर दिखने लगा है. एयर फ्रांस ने बताया कि उसे 35 उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जो उसके कुल दैनिक उड़ानों का लगभग 5 फीसदी हिस्सा हैं.
मेक्सिको की वोलारिस ने कहा कि उसके विमानों में मरम्मत चलने के कारण अगले 72 घंटे यानी तीन दिन तक उड़ानों में देरी या कैंसिलेशन हो सकता है.
अमेरिकन एयरलाइंस, जो दुनिया में सबसे ज्यादा A320 विमानों की ऑपरेटर है, के पास 480 A320 जेट हैं. इनमें से करीब 340 विमानों में यह तकनीकी सुधार करना पड़ेगा. कंपनी का कहना है कि हर विमान में करीब दो घंटे लगेंगे और ज़्यादातर काम शनिवार तक पूरा हो जाएगा.
अन्य एयरलाइंस जैसे लुफ्थांसा (जर्मनी) और ईज़ीजेट (यूके) भी अपने कुछ विमानों को थोड़े समय के लिए उड़ान से बाहर रखकर मरम्मत कर रही हैं.
कोलंबिया की अवियांका ने कहा कि यह रिकॉल उसके 70 फीसदी से ज़्यादा विमानों को प्रभावित कर रहा है. इसी वजह से उसने 8 दिसंबर तक की यात्रा के लिए टिकट बिक्री रोक दी है.
एयरबस कंपनी ने क्या कहा?
एयरबस कंपनी ने बयान जारी करते हुए बताया है कि सूर्य से निकलने वाली तेज ऊर्जा कि वजह से फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से जुड़े कुछ अहम डेटा को करप्ट कर सकता है. इसलिए दुनिया भर में A320 परिवार के बड़ी संख्या में विमान प्रभावित हो सकते हैं.
एयरबस ने इसे बेहद गंभीर तकनीकी जोखिम माना है. कंपनी का कहना है कि इसकी वजह से उड़ान नियंत्रण से जुड़े डेटा की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकती है. इस फैसले का सीधा असर दुनिया भर में उड़ानों पर पड़ रहा है और बड़े पैमाने पर एविएशन डिसरप्शन होने की आशंका जताई जा रही है.
इनपुट: पीटीआई और रॉयटर्स
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