ABG Shipyard Bank Fraud: पहले कर्ज और फिर न लौटाने का खेल, जहाज बनाने वाली कंपनी पर ED ने भी बैठाई जांच

ABG Shipyard Bank Fraud: 1985 में शुरू हुई एबीजी शिपयार्ड पर देश के 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है. इस मामले में 7 फरवरी को CBI ने केस दर्ज किया था. अब ED ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है.

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एबीजी शिपयार्ड की धोखाधड़ी देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड है. (फाइल फोटो) एबीजी शिपयार्ड की धोखाधड़ी देश का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड है. (फाइल फोटो)

मुनीष पांडे

  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST
  • 28 बैंकों को 22,842 करोड़ का चूना लगाया
  • 7 फरवरी को सीबीआई ने दर्ज की थी FIR

ABG Shipyard Bank Fraud: 28 बैंकों के साथ 22 हजार 842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. ED ने एबीजी शिपयार्ड और उसके अधिकारियों के खिलाफ प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया है. इससे पहले 7 फरवरी को CBI ने धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज किया था. 

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कभी देश की सबसे बड़ी निजी शिपयार्ड फर्म रही एबीजी शिपयार्ड पर देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला करने का आरोप है. एबीजी शिपयार्ड नौसेना, कोस्टगार्ड समेत दुनिया के कई देशों के लिए जहाज बनाने और मरम्मत का काम करती है. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में पूछताछ के लिए डायरेक्टर ऋषि अग्रवाल (Rishi Agarwal) को समन भेजा जा सकता है.

इस मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया. चूंकि एबीजी शिपयार्ड गुजरात की कंपनी है, इसलिए कांग्रेस ने बीजेपी पर मिलीभगत का आरोप लगाया है. वहीं, CBI ने एक बयान जारी कर कहा है कि 30 नवंबर 2013 को एबीजी शिपयार्ड का बैंक अकाउंट NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट्स घोषित कर दिया गया था. CBI ने ये भी कहा कि ज्यादातर लोन 2005 से 2012 के दौरान दिया गया था.

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ऐसे पता चली धोखाधड़ी

- CBI के मुताबिक, एबीजी शिपयार्ड 2001 से SBI के साथ कारोबार कर रही थी. कंपनी को सबसे ज्यादा लोग 2005 से 2012 के बीच दिया गया. ये लोन SBI और ICICI बैंक समेत 28 बैंकों ने दिया. 

- 27 मार्च 2014 को कॉर्पोरेट डेट रिस्ट्रक्चरिंग (CDR) के तहत कंपनी का खाता पुनर्गठित किया गया. हालांकि, कंपनी का कामकाज दोबारा शुरू नहीं हो पाया.

- CBI ने बताया कि 10 सितंबर 2014 को एनवी दांड एंड एसोसिएट्स को एबीजी शिपयार्ड के स्टॉक ऑडिट करने का काम सौंपा गया. ऑडिट फर्म ने 30 अप्रैल 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंपी और कंपनी को कई मामलों के लिए दोषी पाया.

- इसके बाद 30 जुलाई 2016 को एबीजी शिपयार्ड के बैंक खातों को NPA घोषित किया गया. ये फैसला 30 नवंबर 2013 से लागू हुआ.

फिर फोरेंसिक ऑडिट का काम शुरू हुआ

- CBI ने बताया कि पॉलिसी के मुताबिक कर्ज देने वाले बैंकों ने अप्रैल 2018 में फोरेंसिक ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की. इसका काम Ernst & Young LLP को सौंपा गया.

- आमतौर पर फोरेंसिक ऑडिट में अकाउंट के NPA घोषित होने से 3-4 साल पहले के पीरियड को कवर किया जाता है. इस मामले में 2016 में NPA घोषित किया गया, इसलिए 2012 से 2017 का पीरियड कवर किया गया.

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- इसी बीच 1 अगस्त 2017 को ICICI ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड को दिवालिया प्रक्रिया के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास भेजा. अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच कई बैंकों ने एबीजी शिपयार्ड के खातों को फ्रॉड घोषित किया.

किस बैंक की कितनी रकम बकाया?

एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर 28 बैंकों से करीब 23 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है. इसमें 7 हजार 89 करोड़ रुपये ICICI बैंक, 3 हजार 634 करोड़ IDBI, 2 हजार 925 करोड़ SBI, 1 हजार 614 करोड़ बैंक ऑफ बड़ौदा, 1 हजार 244 करोड़ PNB और 1 हजार 228 करोड़ इंडियन ओवरसीज के बकाया हैं. यानी, इन 6 बैंकों के ही 17 हजार 734 करोड़ रुपये बकाया है. इनके अलावा 22 और बैंकों के 5 हजार 108 करोड़ रुपये बकाया है.

 

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