कोरोना से हुई मौत के मामले में परिजनों को दिए जाएंगे 50 हजार, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा

मुआवजे की रकम स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की तरफ से दी जाएगी. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार मृत्यु के कारण के तौर पर कोविड -19 को प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी.

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कोरोना मृतकों के परिजनों को मिलेगा मुआवजा (फाइल फोटो) कोरोना मृतकों के परिजनों को मिलेगा मुआवजा (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST
  • कोरोना मृतकों के परिजनों को मिलेगा मुआवजा
  • सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने हलफनामा देकर दी यह जानकारी

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि अगर किसी परिवार में कोरोना पीड़ित की जान गई है तो उन परिवारों को  50,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा. साथ ही ये भी कहा है कि मुआवजे की रकम स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की तरफ से दी जाएगी. इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार मृत्यु के कारण के तौर पर कोविड -19 को प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी. इसके साथ ही गरीबों, कमजोर वर्ग, खेती करने वाले मजदूरों और हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए इंश्योरेंस देने को लेकर भी चर्चा हुई है.

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दरअसल बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है. केंद्र ने कहा कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी.

सरकार ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोविड-19 से मौत होने की बात प्रमाणित होने पर अनुग्रह राशि दी जाएगी. केंद्र ने कहा कि अनुग्रह राशि राज्य आपदा मोचन कोष (SDRF) से राज्यों द्वारा मुहैया की जाएगी.

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केंद्र सरकार के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगी. कोविड मुआवजा केस आइटम नंबर चार है. 11 बजे के बाद इस मामले में सुनवाई होगी. 

गौरतलब है कि तीन सितंबर को शीर्ष न्यायालय ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिवारों को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश तय करने में देरी होने को लेकर नाखुशी प्रकट की थी. इसके बाद न्यायालय ने 30 जून को अपने फैसले में एनडीएमए को छह हफ्तों के अंदर अनुग्रह राशि के लिए दिशानिर्देशों की सिफारिश करने का निर्देश दिया था. 

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