संजय लाखे पाटिल ने उद्धव ठाकरे की पार्टी छोड़ी, संजय राउत और अंबादास दानवे पर लगाए गंभीर आरोप

शिवसेना (यूबीटी) के राष्ट्रीय सचिव संजय लाखे पाटिल ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया है. पाटिल ने संजय राउत और अंबादास दानवे पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

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शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो) शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे को एक और बड़ा झटका लगा है. शिवसेना (यूबीटी) के सचिव संजय लाखे पाटिल ने पार्टी छोड़ दी है. संजय लाखे पाटिल पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का हाथ छोड़कर शिवसेना (यूबीटी) में शामिल हुए थे. पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर किया गया वादा नहीं निभाने का आरोप लगाया है. संजय लाखे पाटिल ने राज्यसभा सांसद संजय राउत पर भी हमला बोला है.

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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, संजय लाखे पाटिल ने दावा किया है कि जब वह कांग्रेस छोड़कर शिवसेना यूबीटी में शामिल हुए थे, तब उनसे जालना सीट से टिकट का वादा किया गया था. उन्होंने कहा कि जालना सीट से चुनाव लड़ना चाहता था और मुझे पार्टी की ओर से यह जानकारी दी भी गई थी कि जालना सीट शिवसेना यूबीटी के ही पास रहेगी और पार्टी इसके बदले सांगली सीट सहयोगियों के लिए छोड़ देगी.

जालना सीट से उम्मीदवारी के नाम पर खुद को शिवसेना (यूबीटी) में शामिल कराए जाने का दावा करते हुए संजय लाखे पाटिल ने आरोप लगाया कि अंतिम समय में मुझे नजरअंदाज कर दिया गया. उन्होंने कहा कि संजय राउत ने अपने निजी एजेंडे के तहत ऐसा होने नहीं दिया. संजय ने विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे पर भी गंभीर आरोप लगाए और कहा कि दानवे ने उनके विचार बार-बार हाईजैक कर उसकी क्रेडिट खुद ले लिए.

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उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) में उन्हें बार-बार दरकिनार किया जा रहा था और इसके पीछे दानवे की अहम भूमिका थी. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब संजय लाखे पाटिल के शिवसेना (यूबीटी) छोड़ने को उद्धव ठाकरे के लिए करारा झटका माना जा रहा है.

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गौरतलब है कि जालना सीट लोकसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) की सहयोगी कांग्रेस के हिस्से में गई थी. इस सीट से कांग्रेस ने कल्याण काले को टिकट दिया था और वह चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में सफल रहे थे. जालना क्षेत्र में शिवसेना (यूबीटी) को विरोधी तो विरोधी, सहयोगी दलों की चुनौती से भी जूझना पड़ रहा है.

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