'जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं मारा करते', फडणवीस का संजय राउत पर पलटवार

मुंबई में बीजेपी के नए पार्टी ऑफिस के भूमि पूजन से ठीक पहले शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने ‘गैरकानूनी ज़मीन कब्जे’ के गंभीर आरोप लगाए हैं. अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन आरोपों पर सख्त प्रतिक्रिया दी है.

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फडणवीस ने कहा कि नया पार्टी ऑफिस आम लोगों के लिए न्याय का केंद्र बनेगा फडणवीस ने कहा कि नया पार्टी ऑफिस आम लोगों के लिए न्याय का केंद्र बनेगा

ऋत्विक भालेकर

  • मुंबई,
  • 27 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत द्वारा लगाए गए पार्टी कार्यालय के लिए अवैध भूमि अधिग्रहण के आरोपों का करारा जवाब दिया है. भूमि पूजन समारोह से पहले आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने कहा, “मुझे पहले से पता था कि भूमि पूजन के दिन कुछ नेता आरोप लगाएंगे, इसलिए हमने पहले ही तय कर लिया था कि पार्टी ऑफिस की ज़मीन सभी नियमों और बीएमसी की मंज़ूरी के साथ खरीदी जाएगी.”

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फडणवीस ने जोर देकर कहा कि पार्टी कार्यालय के लिए प्लॉट खरीदने का निर्णय उचित प्रक्रिया और BMC के सभी नियमों का पालन करते हुए लिया गया था. उन्होंने कहा कि यह भवन किसी व्यावसायिक या व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं, बल्कि आम लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है.

फडणवीस ने पलटवार करते हुए तंज कसा, "जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं मारा करते." उन्होंने आरोप लगाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "जो लोग खुद पैसे की हेराफेरी और ज़मीन हड़पने के आदी हैं, उन्हें हम पर ज़मीन हड़पने का आरोप नहीं लगाना चाहिए." उन्होंने यह भी बताया कि कार्यालय निर्माण के लिए पार्टी के सभी नेताओं से दान करने की अपील की गई है.

संजय राउत के आरोप

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इससे पहले, संजय राउत ने मुंबई के मरीन लाइन्स इलाके में भाजपा के नए कार्यालय के लिए जमीन के प्लॉट को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में राउत ने दावा किया था कि जमीन मूल रूप से एक परिवार की थी जिसने बिना अनुमति के प्लॉट के एक हिस्से को कई बैंकों के पास गिरवी रखा था.

यह भी पढ़ें: 'हिंसा भड़काना अपराध, संजय राउत पर तुरंत हो कार्रवाई', संजय निरुपम की डिमांड, दर्ज कराई शिकायत

राउत ने आरोप लगाया कि 1377.79 वर्ग मीटर की यह जमीन मूल रूप से 99 साल के लिए लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि 2001 में समाप्त हो गई. उन्होंने भूमि हस्तांतरण की गति और पारदर्शिता पर सवाल उठाए. राउत ने सवाल किया कि यह प्रक्रिया इतनी तेजी से क्यों पूरी हुई और आरोप लगाया कि यह जमीन नियमों को 'तेज गति से मोड़कर' हासिल की गई है.

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