चेन्नई की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ideaForge टेक्नोलॉजी लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) विपुल जोशी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया है. हालांकि ideaForge ने अब दावा किया है कि मामला सुलझा लिया गया है और वारंट वापस लेने के साथ ही उसे रद्द कर दिया गया है.
यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि विपुल जोशी अदालत में पेश नहीं हुए और न ही उन्होंने तय शर्तों के अनुसार जमानत राशि जमा की. कोर्ट ने कंपनी के CEO अंकित मेहता, निदेशक राहुल सिंह और जनरल मैनेजर सोमिल गौतम पर भी नाराज़गी जताई है. इन अधिकारियों ने अदालत में फर्जी जमानती पेश कर न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की, जिसे कोर्ट ने गंभीर अपराध माना है.
फर्जी जमानती भेजे जाएंगे जेल
चेन्नई के अधिवक्ता टॉम विल्फ्रेड ने बताया, “4 मार्च 2025 को ही आरोपियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे 1 अप्रैल 2025 तक जमानत की शर्तें पूरी करें. लेकिन CFO विपुल जोशी कोर्ट में नहीं आए और बाकी अधिकारियों ने ऐसे जमानती पेश किए जिन्हें कंपनी का नाम तक नहीं पता था.” कोर्ट ने इसे गंभीर धोखाधड़ी माना और चेतावनी दी कि भविष्य में यदि ऐसा फिर हुआ तो फर्जी जमानतियों को भी जेल भेजा जाएगा.
कंपनी की सफाई
वहीं ideaForge ने इस पूरे मामले पर बयान जारी करते हुए कहा, "यह मामला उस घटना से जुड़ा है, जिसमें हमारे एक ग्राहक ने हमारी बौद्धिक संपत्ति (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) को अपना बताने की कोशिश की और हमारे उपकरणों से छेड़छाड़ कर राज्य सरकारों को गुमराह करने वाले झूठे बयान दिए. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया, तो उन्होंने कंपनी को परेशान करने के इरादे से बेबुनियाद कार्यवाहियां की. व्यक्तिगत मजबूरियों समेत कुछ निजी कारणों से उत्पन्न हुई अंतरिम प्रक्रिया संबंधी समस्याएं अब सुलझा ली गई हैं. वारंट वापस लेने के साथ ही उसे रद्द कर दिया गया है और सभी उचित कानूनी प्रक्रियाएं नियमों के अनुसार पूरी की जा रही हैं. यह मामला हमारे अनुभवी वकीलों की सलाह पर कानून के तहत उपलब्ध उपायों के अनुसार आगे बढ़ाया जा रहा है, और हर कदम पर उनकी राय ली जा रही है."
क्या है मामला?
यह मामला साइबर क्राइम से जुड़ा है. ideaForge ने एक ग्राहक को ₹2.2 करोड़ में 15 ड्रोन (UAV) सप्लाई किए थे, लेकिन आरोप है कि कंपनी ने ही इन ड्रोन को हैक कर निष्क्रिय कर दिया, जिससे ग्राहक के व्यापार और छवि को भारी नुकसान हुआ.
ग्राहक के ये ड्रोन सरकार की ₹70 करोड़ की परियोजनाओं में इस्तेमाल हो रहे थे, लेकिन हैकिंग के कारण पूरी योजना प्रभावित हुई. इस मामले में 31 अगस्त 2023 को चेन्नई साइबर क्राइम पुलिस ने धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में FIR दर्ज की थी.
ideaForge ने पहले मद्रास हाईकोर्ट में FIR रद्द कराने की कोशिश की, लेकिन 31 जनवरी 2025 को याचिका खारिज कर दी गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में स्टे देने से इनकार कर दिया.
दीपेश त्रिपाठी