मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई के नगर निगम (BMC) कमिश्नर और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के मेंबर सेक्रेटरी को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, 'सिर्फ अधिकारी के रूप में ही नहीं, बल्कि एक नागरिक के रूप में भी आपका कर्तव्य है कि आप पर्यावरण की सुरक्षा करें. यह अब नागरिकों का मौलिक अधिकार बन चुका है और इसके साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी है. इसलिए कृपया प्रस्ताव लेकर आएं, मीटिंग्स बुलाएं और निर्देश लें. हर सुझाव की कोर्ट और अन्य पक्षों द्वारा जांच हो सकती है.'
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखढ़ की पीठ ने चेतावनी दी कि लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता आने वाले सालों में स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. कोर्ट ने कहा, 'एक बार ये नियंत्रण से बाहर हो गया, तो कुछ भी आपके हाथ में नहीं रहेगा. दिल्ली में हमने पिछले 45 साल में यही देखा है.'
पीठ ने MPCB और सभी पक्षों को निर्देश दिया कि वे निर्माण स्थलों पर काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सुझाव लेकर आएं. कम से कम जो उपाय इस सप्ताह से लागू किए जा सकते हैं, उन्हें पहले ही पेश करना होगा.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने BMC कमिश्नर भुषण गगरानी से सीधे सवाल किए. कोर्ट ने बीएमसी से पूछा कि आपने अपने ऑफिस से आखिरी बार कब निकलकर अचानक निरीक्षण किया था? गगरानी ने जवाब दिया कि उन्होंने नवंबर के मध्य में दो बार निरीक्षण किया.
कोर्ट ने कहा, 'यदि समिति कह रही है कि कई नियमों का उल्लंघन हुआ है और आप कह रहे हैं कि निरीक्षण किया, तो आपकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती है. हम काम रोकना नहीं चाहते, हम चाहते हैं कि आप कार्रवाई करें. बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं.' पीठ ने आगे कहा, 'अपने कमिश्नर को पूरे शहर में लेकर जाएं और बताएं कि कितने निर्माण स्थलों पर हरी तिरपाल लगी है. 35 मीटर की धातु की चादरें लगभग कहीं नहीं हैं.'
कोर्ट ने साफ किया, 'हम विकास को नहीं रोकना चाहते. यह सिर्फ बिल्डरों की लापरवाही का नतीजा है.' BMC के कमिश्नर की ओर से पेश वकील SU Kamdar ने कहा कि निरीक्षण आज ही फिर से करवाया जाएगा.
विद्या