5 साल के दिविज का नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज, जानें कैसे बनाया रिकॉर्ड

टीकमगढ़ के 5 वर्षीय दिविज ने 9 अंकों के जोड़ मात्र 7 मिनट 44 सेकंड में हल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड बनाया है. दिविज की इस उपलब्धि पर उन्हें मेडल और सर्टिफिकेट से नवाजा गया है. दिविज की इस उपलब्धि से उनके परिजनों के साथ-साथ शहर के लोगों में खुशी का माहौल है. शहर के लोग दिविज के माता-पिता और दादा-दादा को बधाई दे रहे हैं.

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दिविज सतभैया. दिविज सतभैया.

सुधीर कुमार जैन

  • टीकमगढ़,
  • 08 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST
  • 5 साल के दिविज का इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज
  • दिविज ने 9 अंकों के जोड़ मात्र 7 मिनट 44 सेकंड में किए हल

प्रतिभा कभी उम्र की मोहताज नहीं होती. आप अपनी प्रतिभा को किसी भी उम्र में दिखा सकते हैं. आज हम आपको जिस बच्चे की कहानी सुनाने जा रहे हैं. उसके साथ भी ऐसा ही कुछ है. हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के रहने वाले दिविज सतभैया की.

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर के रहने वाले दिविज सतभैया महज 5 साल के हैं. इस छोटी सी उम्र से दिविज ने इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया है. दिविज की इस उपलब्धि से उनके जिले का नाम पूरी दुनिया रोशन हो गया है. दिविज एल केजी कक्षा में पढ़ते हैं और उनकी मैथ्स में काफी ज्यादा रूचि है. अब आप सोच रहे होंगे कि इस बच्चे ने आखिर ऐसा किया क्या है?

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दरअसल, दिविज ने 9 अंकों के जोड़ मात्र 7 मिनट 44 सेकंड में हल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड बनाया है. दिविज की इस उपलब्धि पर उन्हें मेडल और सर्टिफिकेट से नवाजा गया है. टीकमगढ़ जिले के इस 5 वर्षीय होनहार बालक की उपलब्धि से उनके परिजनों के साथ-साथ शहर के लोगों में भी खुशी का माहौल है. शहर के लोग दिविज के माता-पिता और दादा-दादा को बधाई दे रहे हैं.

5 साल के दिविज ने इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड दर्ज कराया नाम

ऑनलाइन क्लास से मिला मार्गदर्शन
जब दिविज महत तीन साल के थे, तभी से उनके माता पिता ने उनके इस टैलेंट को पहचान लिया था. उन्हें पता चल गया था कि दिविज अंकों में बेहद रूचि रखते हैं. कोरोना काल में जब सभी स्कूल बंद थे और लोग इस कठिन समय में स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे थे. उस वक्त ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से ही सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. इस दौरान जब दिविज की स्कूल टीचर को उनके इस टैलेंट का पता चला तो उन्होंने भी दिविज को खूब प्रोत्साहित किया. उन्हीं के मार्गदर्शन में दिविज ने खूब मेहनत की और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा लिया.

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