चौंकिए नहीं चुनाव है! हरियाणा में सोशल इंजीनियरिंग के साथ परिवारवाद पर भी BJP-कांग्रेस का फोकस

बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों ने हरियाणा के विधानसभा चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चत करने के लिए तमाम पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा दल अपनी रणनीति में सफल होता है और हरियाणा की जनता किसे अपना समर्थन देती है. इस बार के चुनाव से आप चौंकिएगा नहीं!

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बीजेपी-कांग्रेस के लिए टिकट वितरण बना सिरदर्दी बीजेपी-कांग्रेस के लिए टिकट वितरण बना सिरदर्दी

मनजीत सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 28 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:49 AM IST

हरियाणा में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर टिकट बंटवारा राजनीतिक दलों के लिए सिरदर्दी बनती जा रही है. यहां परंपरागत जाति, समुदाय और क्षेत्र के अलावा, राजनैतिक दल नए समीकरणों पर भी विचार कर रहे हैं, जैसे कि परिवारवाद और सोशल इंजीनियरिंग पर भी फोकस कर रही हैं.

सत्तारूढ़ बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की रेस में है. इस बार पार्टी के सामने बड़ी चुनौती दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को टिकट देने की है. पार्टी सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीजेपी को मौजूदा मंत्रियों और सांसदों के बेटे और बेटियों को टिकट देने की सलाह दी है. परिवारवाद पर इस बदलते रुख के चलते हरियाणा के लोगों में आश्चर्य हो सकता है.

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हाई कमांड को भेजी गई 90 सीटों की लिस्ट

दस साल की एंटी-इनकम्बेंसी का सामना कर रही बीजेपी के नेताओं ने गुरुग्राम में दो दिनों तक मंथन किया और 90 सीटों के लिए पार्टी उम्मीदवारों का चयन किया है. पार्टी आलाकमान को एक जांची-परखी सूची सौंपी गई है, जिसे आने वाले दिनों में मंजूरी मिल सकती है.

बीजेपी के कुछ संभावित परिवारवादी उम्मीदवारों में बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह के बेटे मोहित पंघाल, पूर्व सांसद श्रुति चौधरी, कृष्णपाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र गुर्जर और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव शामिल हैं.

राव इंद्रजीत सिंह की मुसीबत

कहा जा रहा है कि गुरुग्राम मंथन में शामिल रहे राव इंद्रजीत सिंह डायरेक्ट अपनी बेटी के लिए टिकट नहीं मांग पाए हैं, हालांकि, स्क्रीनिंग कमेटी के अन्य सदस्यों और समर्थकों ने उन्हें लिस्ट में आरती का नाम जोड़ने की सलाह दी है. कहा जा रहा है कि वह पार्टी हाई कमांड से थोड़ा नाराज भी चल रहे हैं, जिनकी बेटी को टिकट देने की मांग 2014 और 2019 में ठुकरा दी गई थी.

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वह स्वतंत्र प्रभार के साथ मंत्री भी बनना चाहते थे लेकिन पार्टी ने पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को ही तरजीह दी. देखा जाए तो वह हरियाणा में 14 सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं, जिनमें दक्षिणी हरियाणा की सीटें शामिल हैं. इस क्षेत्र में अहिर्वाल समुदाय का दबदबा है.

उन्होंने बागड़ और जीटी रोड बेल्ट के अपने समर्थकों के लिए भी टिकट मांगी है, लेकिन अब लिस्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि आखिर इस बार पार्टी ने उनको कितना फ्री हैंड दिया है.

बीजेपी के एक सीनियर नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि लीडरशिप कोई चांस लेने के मूड में नहीं है, क्योंकि एक गलत फैसला पार्टी के परफोर्मेंस को प्रभावित कर सकता है. पार्टी नेता ने कहा कि अंतिम फैसला हाई कमांड का होगा, लेकिन जो भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, या जिनका परफोर्मेंस खराब रहा है, वे टिकट से महरूम रह सकते हैं.

कांग्रेस का गैर-जाट पर फोकस

कांग्रेस भी बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग को मात देने के लिए गैर-जाट समुदायों को ज्यादा टिकट देने पर विचार कर रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि पिछले विधानसभा चुनावों में हार की वजहों का मुकाबला करने के लिए यह रणनीति अहम हो सकती है.

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कांग्रेस ने उन 15 नेताओं की एक लिस्ट भी तैयार की है, जो लगातार दो चुनाव हार चुके हैं, जिन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा. इसमें 27 पार्टी उम्मीदवार शामिल हैं जिन्होंने 2019 के विधानसभा चुनावों में हार गए थे. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हरियाणा में इस बार गैर जाट को ज्यादा तरजीह दे सकती है, जिनमें ब्राम्हण, पंजाबी और अन्य पिछड़ी जातियां शामिल हो सकती हैं, जिससे बीजेपी के ओबीसी और गैर जाट कार्ड को चुनौती दी जा सके.

टिकट के लिए आए 5000 आवेदन

हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता केवल ढींगरा ने इस पूछे जाने पर कहा, "एक मजबूत उम्मीदवार होना ही पार्टी टिकट पाने की पहली शर्त है, पार्टी हाई कमान का फैसला अंतिम होगा." पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कमजोर प्रदर्शन और खराब उम्मीदवार की वजह से आठ से दस वर्तमान विधायकों का टिकट कट सकता है. पार्टी को टिकट के लिए 5000 से ज्यादा आवेदन आए हैं.

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