दिल्ली में पीने लायक पानी मिलना बड़ी चुनौती, यमुना के बढ़ते प्रदूषण ने बढ़ाई चिंता

दिल्ली में साफ पानी के स्त्रोत काफी कम हैं, ऐसे में यमुना नदी पर निर्भरता जरूरत से ज्यादा रहती है. यही वजह है कि दिल्ली जल बोर्ड के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में इस पानी को साफ किया जाता है ताकि साफ पानी दिल्ली को मिल सके.

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यमुना का प्रदूषित पानी दिल्ली को कर रहा बीमार यमुना का प्रदूषित पानी दिल्ली को कर रहा बीमार

सुशांत मेहरा

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 8:12 PM IST
  • यमुना का प्रदूषित पानी दिल्ली को कर रहा बीमार
  • दिल्ली में साफ पानी की चुनौती बड़ी

राजधानी दिल्ली में साफ पानी की बड़ी समस्या है. सिर्फ जगह बदलती हैं, लेकिन गंदे पानी की शिकायत सब जगह समान रूप से देखने-सुनने को मिल जाती हैं. इसकी एक बड़ी वजह यमुना नदी का वो गंदा पानी भी है जो समय के साथ ना सिर्फ और ज्यादा विषैला होता जा रहा है, बल्कि कई बीमारियों का कारण भी बन रहा है.

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अब इस प्रदूषित यमुना नदी के बारे में सबकुछ जानने के लिए वजीराबाद  बैराज का रुख करना जरूरी हो जाता है. यही वो जगह है जहां से दिल्ली में यमुना नदी की शुरुआत होती है और उसकी मैली होने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. नालों का गंदा पानी सीधे यमुना में गिरता है, वहीं फैक्ट्री कारखानों से निकलने वाला रासायनिक पदार्थ भी यमुना नदी में ही छोड़े जाते हैं, ऐसे में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है और नदी एकदम काली दिखाई पड़ती है.

दिल्ली में साफ पानी की चुनौती

हैरानी की बात ये भी है कि दिल्ली में साफ पानी के स्त्रोत काफी कम हैं, ऐसे में यमुना नदी पर निर्भरता जरूरत से ज्यादा रहती है. यही वजह है कि दिल्ली जल बोर्ड के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में इस पानी को साफ किया जाता है ताकि साफ पानी दिल्ली को मिल सके. लेकिन बावजूद इसके दिल्ली के लोगों को साफ पानी नही मिल पा रहा है. दिल्ली के लोग पानी के कारण लगातर किडनी, लिवर ,डायरिया जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.

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दिल्ली जल बोर्ड के समर एक्शन प्लान के मुताबिक बीते 7 महीनों में दिल्ली जल बोर्ड को पानी को लेकर लगभग 23 हजार से ज्यादा शिकायते मिली हैं. उसमें भी 1400 से ज्यादा सैम्पल्स को क्वालिटी टेस्ट के लिए भेजा गया था. परिणाम बताते हैं कि 1400 में से 668 सैम्पल फेल हुए हैं. यानी लगभग 47 प्रतिशत पानी पीने लायक नहीं था.

कोर्ट ने क्या कहा था?

पर्यावरण एक्सपर्ट अनिल सूद बताते हैं कि 1995 में कोर्ट की तरफ से एक आर्डर दिया गया था कि इंडस्ट्री से निकलने वाले अनट्रीटेड पानी को यमुना में डिस्पैच नहीं किया जाए. लेकिन उस आदेश के बावजूद भी कई फैक्ट्रियों ने नियम का सख्ती से पालन नहीं किया. इसका नतीजा ये हुआ कि अब यमुना का पानी जरूरत से ज्यादा प्रदूषित हो चुका है. 

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