दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने संस्थान में मिलने वाले खाने को लेकर मोर्चा खोल दिया है. दावा किया है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अधिकारियों ने कई अनियमितताओं और सफाई की संतोषजनक स्थिति ना पाए जाने पर एम्स के एक छात्रावास मेस को बंद करा दिया था. हॉस्टल मेस के कई फोटोज भी सामने आए हैं.
मेस में ना तो साफ सफाई दिखती है और ना ही फ्रेश सब्जी. लेकिन एम्स प्रशासन ने बिना जांच के सभी अनियमितताओं को दरकिनार कर एक घंटे के भीतर फिर से मेस को खुलवा दिया.
मामले को लेकर रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन की तरफ से एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया को चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में बताया गया है कि 10 अगस्त को एफएसएसएआई की टीम के औचक निरीक्षण के दौरान खाद्य पदार्थों में कीड़े मिले थे.
तब सभी लोगों ने तर्क दिया कि अगर यह गड़बड़ी जारी रही तो यह स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी तबाही मचा सकती है. छात्रावास वार्डन, सुरक्षा अधिकारियों और एफएसएसएआई के एक अधिकारी की मौजूदगी में आरडीए, साइंटिस्ट्स आफ यंग सोसाइटी (SYS) और एम्स स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ASA) के प्रतिनिधियों ने भी निरीक्षण किया.
RDA अध्यक्ष डॉ. जसवंत जांगड़ा ने बताया कि ईट राइट कैंपस (Eat Right Campus) पहल के तहत एफएसएसएआई के अधिकारियों ने हॉस्टल के मेस की जांच की थी. मेस का निरीक्षण करने वाले एफएसएसएआई अधिकारियों के साथ रेजिडेंट डाक्टरों ने भी पत्र पर अपने हस्ताक्षर के साथ अपनी समीक्षा छात्रावास प्रशासन को भेजी थी.
डॉ. जसवंत जांगड़ा ने बताया कि मेस में लंबे समय से अनियमितताएं हो रही हैं. मेस में सामान की आपूर्ति करने वालों को बार-बार चेतावनी भी दी जा चुकी है. लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा है.
मामले को लेकर डॉ. विनय कुमार ने ट्वीट किया. उन्होंने मेस में मौजूद सामानों की फोटो भी शेयर की और लिखा- एम्स का खाना इतना निम्न और गंदा है कि खाने का मन ना करे.
लेकिन ड्यूटी और काम के प्रेशर में हम सब यही दूषित खाना खाने को मजबूर हैं. जब हमने आवाज उठाई और FSSAI के अधिकारियों के निरीक्षण के बाद मेस बंद करवा दी, तो 1 घंटे में मेस खुलवा कर हमारे खिलाफ ही कार्रवाई की बात कह दी...
विनय कुमार ने मामले को लेकर दूसरा ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा- अच्छा-शुद्ध खाना, हमारा अधिकार है. हम इसके लिए पैसे देते हैं… तो खराब अशुद्ध खाना जब मिलेगा, आवाज़ तो उठाएंगे ही. हमें डराओ मत कि एम्स में रह नहीं पाओगे. किसकी मिली भगत है कि मेस का मालिक कुछ भी बोल देता है. पता है पर डर से बोले कौन? हम बोलेंगे…चुप करा पाओ तो करा लो…
aajtak.in