दिल्ली की हवा सुधारने का हाई-टेक फार्मूला... AI से बदलेगी प्रदूषण नीति, सरकार और IIT कानपुर की बड़ी प्लानिंग

दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार AI और डेटा आधारित एक नई, सालभर चलने वाली रणनीति पर काम कर रही है. इसके तहत IIT कानपुर के साथ सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.

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रदूषण से निपटने के लिए IIT कानपुर के साथ AI सिस्टम पर काम करती दिल्ली सरकार (Photo: PTI) रदूषण से निपटने के लिए IIT कानपुर के साथ AI सिस्टम पर काम करती दिल्ली सरकार (Photo: PTI)

सुशांत मेहरा

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST

दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब अत्याधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को केंद्र में रखते हुए एक नई, व्यापक और सालभर चलने वाली रणनीति पर काम कर रही है. दिल्ली सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा-ड्रिवन सिस्टम के ज़रिये प्रदूषण को उसके स्रोत पर ही नियंत्रित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. इसी कड़ी में दिल्ली सरकार इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर के साथ सहयोग की संभावना तलाश रही है.

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पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रस्तावित सहयोग का उद्देश्य दिल्ली में प्रदूषण के कारणों की सूक्ष्म स्तर पर पहचान करना और उनके आधार पर लक्षित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करना है. 

इसके लिए हाइपरलोकल सोर्स अपॉर्शनमेंट, सेंसर-आधारित रियल-टाइम मॉनिटरिंग और सैटेलाइट डेटा का उपयोग किया जाएगा, ताकि यह स्पष्ट रूप से पता चल सके कि किस इलाके में किस स्रोत से प्रदूषण बढ़ रहा है.

डेटा और विज्ञान के आधार पर लिए जाएंगे फैसले

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली की प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई अब केवल मौसमी अभियानों तक सीमित नहीं रहेगी. सरकार 365 दिनों का ऐसा एक्शन प्लान तैयार कर रही है, जिसमें सभी निर्णय वैज्ञानिक साक्ष्यों, रियल-टाइम डेटा और मापनीय परिणामों के आधार पर लिए जाएंगे. उन्होंने साफ किया कि हर कार्रवाई का असर सीधे हवा की गुणवत्ता में दिखना चाहिए और सरकार इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही है.

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‘Whole-of-Government’ क्लीन एयर फ्रेमवर्क पर ज़ोर

दिल्ली सरकार एक ‘Whole-of-Government’ क्लीन एयर फ्रेमवर्क विकसित करने पर भी काम कर रही है, जिसके तहत दिल्ली-एनसीआर की सभी संबंधित एजेंसियों को एक साझा डेटा प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा. नगर निगम, जिला प्रशासन, ट्रैफिक पुलिस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य प्रवर्तन एजेंसियां एक ही वैज्ञानिक आधार पर काम करेंगी. इससे न केवल कार्रवाई में तेजी आएगी, बल्कि जवाबदेही भी तय की जा सकेगी.

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि जब सभी एजेंसियां एक ही डेटा और वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर काम करती हैं, तो कार्रवाई ज्यादा सटीक और प्रभावी होती है. सरकार का उद्देश्य दिल्ली को तात्कालिक “फायरफाइटिंग” मॉडल से निकालकर स्थायी और दीर्घकालिक समाधान की ओर ले जाना है.

यह भी पढ़ें: दिल्ली-NCR में कोहरे और प्रदूषण का डबल अटैक, विजिबिलिटी जीरो; IMD का रेड अलर्ट

चार मोर्चों पर एकसाथ सख्त कार्रवाई

दिल्ली सरकार फिलहाल चार प्रमुख क्षेत्रों - वाहन उत्सर्जन, सड़क और निर्माण धूल, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग तथा कचरा प्रबंधनपर एक साथ सख्त कार्रवाई कर रही है. निर्माण स्थलों पर डस्ट कंट्रोल नॉर्म्स को सख्ती से लागू किया जा रहा है. इसके साथ ही मैकेनिकल रोड स्वीपिंग, सड़कों पर पानी का छिड़काव, एंटी-स्मॉग गन्स और इलेक्ट्रिक पोल्स पर लगाए गए मिस्ट स्प्रे सिस्टम के माध्यम से धूल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा रहा है.

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प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की पहचान कर जिला मजिस्ट्रेट और डिविजनल कमिश्नर के नेतृत्व में सीलिंग और बंदी की कार्रवाई भी जारी है. वहीं, लैंडफिल साइट्स पर बायो-माइनिंग के ज़रिये प्रतिदिन लगभग 35 मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट का निपटान किया जा रहा है.

24 घंटे में व्यापक फील्ड एक्शन

दिल्ली सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 500 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाले 250 और 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले 92 निर्माण और विध्वंस (C&D) स्थलों का भौतिक निरीक्षण किया गया. इसी अवधि में 6,291 किलोमीटर सड़कों की मैकेनिकल सफाई और 1,694 किलोमीटर सड़कों पर पानी का छिड़काव किया गया.

वाहन प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 7,023 वाहनों पर चालान किए गए. ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए 41 ट्रैफिक प्वाइंट्स को जाम मुक्त किया गया, जबकि ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से 65 गैर-गंतव्य ट्रकों को डायवर्ट किया गया.

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