स्टॉक लिमिट ने कैसे बिगाड़ा दिल्ली के दाल व्यापरियों का स्वाद, जानें क्यों दी केंद्र को चेतावनी

दाल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने मूंग दाल को छोड़कर अन्य सभी दाल पर स्टॉक लिमिट तय कर दी है. दाल के थोक व्यापारी अब 200 टन और रिटेल कारोबारी को 5 टन तक दाल स्टॉक कर सकते हैं.

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दाल दाल

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 11:50 PM IST
  • ज्यादातर दालों पर केंद्र ने तय की स्टॉक लिमिट
  • रिटेल कारोबारी खरीद सकते हैं पांच टन दाल
  • थोक कारोबारी के लिए यह सीमा 200 टन

दाल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने मूंग दाल को छोड़कर अन्य सभी दाल पर स्टॉक लिमिट तय कर दी है. दाल के थोक व्यापारी अब 200 टन और रिटेल कारोबारी को 5 टन तक दाल स्टॉक कर सकते हैं. इस बीच एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी में थोक बाजार के दाल व्यापरियों ने केंद्र सरकार को बंद की चेतावनी दी है और तुरंत स्टॉक लिमिट हटाने की मांग उठाई है.

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सोमवार को दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन ने पुरानी दिल्ली के नया बाज़ार में केंद्र सरकार की स्टॉक लिमिट नीति का विरोध करते हुए जमकर नारेबाज़ी की. 'आजतक' की टीम से पिछले 45 साल से नया बाज़ार में दाल का व्यापार कर रहे कुलभूषण गुप्ता ने कहा कि दाल व्यापारी रोजाना 100 से 200 टन दाल का व्यापार करता है. स्टॉक लिमिट से व्यापार को नुकसान ही होगा. जब लॉकडाउन था तब भी व्यापारियों ने नुकसान की चिंता किए बिना सप्लाई जारी रखी. अब आगे तीसरी लहर की संभावना है, अगर फिर से लॉकडाउन लगता है तो सरकार स्टॉक लिमिट की वजह से स्थिति को संभाल ही नहीं पाएगी.

दिल्ली में पल्सेस एंड बीन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप जिंदल ने कहा कि नया बाजार एशिया की सबसे बड़ी मंडी है. यहां रोजाना लाखों टन दाल का व्यापार होता है. देश मे 1974 में जब 25 करोड़ की आबादी थी तब भी 200 टन स्टॉक की अनुमति थी और आज 130 करोड़ की आबादी है तो कम से कम 2000 टन की स्टॉक लिमिट होनी चाहिए. स्टॉक लिमिट की नीति लागू करने के लिए केंद्र सरकार को मिसगाइड किया गया है. 10 साल पहले थोक और रिटेल के दाम में 20% का गैप होता था, जो गैप आज बढ़कर 80% तक पहुंच गया है.

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दाल व्यापरियों का कहना है कि केंद्र सरकार को रिटेल बाज़ार में 20% को कैप लगानी चाहिए. जबकि सिर्फ मसूर दाल के अलावा अन्य दाल के थोक के दाम मैक्सिमम सपोर्ट प्राइज से बेहद कम हैं. दाल व्यापारी प्रदीप जिंदल का कहना है दिल्ली में दाल की पैदावार नहीं होती है. उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से दिल्ली को दाल की सप्लाई होती है.

दाल व्यापरियों के मुताबिक, पांच जुलाई को नया बाजार अनाज मंडी में अलग अलग दालों के थोक दाम :

1. उड़द - 75 से 90 रु प्रति किलो

2. मसूर - 68 से 76 रु प्रति किलो

3. मूंग - 69 से 80 रु प्रति किलो

4. अरहर - 80 से 90 रु प्रति किलो

5. चना - 54 से 59 रु प्रति किलो

दिल्ली ग्रेन ममर्चेंट एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी सचिन शर्मा पिछले 12 साल से दाल का व्यापार कर रहे हैं.  सचिन शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की स्टॉक लिमिट नीति के मुद्दे पर एक प्रतिनिधिमंडल बनाया गया है जो केंद्र सरकार के सामने दाल व्यापारियों को मांग रखेगा. इसके अलावा कोर्ट में कानूनी लड़ाई की तैयारी भी चल रही है क्योंकि व्यापारी लॉकडाउन से पहले ही मर चुका है. अब काला कानून लाया गया है जबकि कोरोना काल में जान पर खेलकर दाल व्यापारियों ने काम किया है. अगर केंद्र सरकार स्टॉक लिमिट नहीं हटाती है तो बंद का ऐलान भी किया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो कृषि मंत्रालय, दिल्ली सचिवालय और संसद के बाहर दाल बेचने को तैयार हैं ताकि दाल के भाव को लेकर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. 

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5 जुलाई को रिटेल मार्किट में दाल के दाम(स्त्रोत - उपभोक्ता मंत्रालय)

1. उड़द - 113 रूपए प्रति किलो

2. मसूर - 87 रूपए प्रति किलो

3. मूंग - 100 रुपए प्रति किलो

4. अरहर - 110 रूपए प्रति किलो

5. चना - 73 रूपए प्रति किलो

दिल्ली ग्रेन ममर्चेंट एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट गौरव गुप्ता पिछले 20 साल से नया बाजार में दाल का व्यापार कर रहे हैं. गौरव गुप्ता ने कहा कि सरकार का स्टॉक लिमिट का फैसला हास्यास्पद है. केंद्र सरकार किसानों से 7 से 8% दाल खरीदती है जबकि बाकी बची 92 से 93% दाल ट्रेडर्स खरीदते हैं. अगर 200 टन की लिमिट लागू करने से भविष्य में महंगाई बढ़ सकती है. दिल्ली में माल बेचने में 3 दिन तक लग जाते हैं, कभी मौसम की मार तो कभी गाड़ी खराब हो जाती है. अगर दाल व्यापरी एक दिन का माल गोदाम में रखेगा तो मजदूरों का क्या होगा? 

 

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