दिल्ली सरकार के जल मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाते हुए अब राजधानी के बड़े निजी वाणिज्यिक संस्थानों पर पानी के बिल को सीवरेज बहाव के आधार पर तय करने का फैसला किया है. इसमें होटल, मॉल, हॉस्पिटल, प्राइवेट स्कूल और बैंक्वेट हॉल जैसे संस्थान शामिल होंगे.
जल मंत्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा कि इन संस्थानों के पास वैध जल कनेक्शन नहीं है और सरकार को नहीं पता कि ये पानी कहां से लेते हैं. इसके बावजूद वे हर दिन लाखों लीटर सीवरेज सिस्टम में गंदा पानी छोड़ते हैं. इससे सरकार को हर साल सैकड़ों करोड़ का नुकसान हो रहा है.
पानी के बिल को सीवरेज बहाव के आधार पर तय होंगे
सरकार अब ऐसे सभी संस्थानों की सीवरेज निकासी के आधार पर पानी की खपत का अनुमान लगाएगी और उसी के अनुसार बिल वसूलेगी. जिनके पास वॉटर मीटर नहीं हैं या जल स्रोत का खुलासा नहीं कर सकते, उन्हें सीवरेज बहाव के अनुसार भुगतान करना होगा.
गरीब तबकों और झुग्गीवासियों पर इसका असर नहीं पड़ेगा
यह नीति सिर्फ वाणिज्यिक संस्थानों पर लागू होगी. घरेलू उपभोक्ताओं, गरीब तबकों और झुग्गीवासियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. प्रवेश वर्मा ने कहा कि यह टैक्स नहीं, जिम्मेदारी है. अब कोई भी संस्था मुफ्त पानी लेकर करोड़ों का मुनाफा नहीं कमा सकेगी. यह फैसला जवाबदेही और पारदर्शिता की ओर एक बड़ा कदम है.
सुशांत मेहरा