हल्दी-मेहंदी रस्म के बाद बारात निकालने की थी तैयारी, मगर दूल्हे में निकल आई कमी

Chhattisgarh News: महिला एवं बाल विकास अधिकारी अनीता अग्रवाल ने बताया कि नाबालिग बालक के घर में हल्दी और मेहंदी की रस्म पूरी कर ली गई थी. मुंगेली जिला बारात जाने के लिए तैयारी चल रही थी. जिसे समय रहते बारात को रोका गया. 

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बाल विवाह रुकवाने पहुंची पुलिस प्रशासन की टीम. बाल विवाह रुकवाने पहुंची पुलिस प्रशासन की टीम.

aajtak.in

  • जांजगीर चांपा,
  • 19 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में जिला प्रशासन ने समय रहते एक बाल विवाह को रुकवा लिया. नाबालिग की बारात जिला मुंगेली जाने वाली थी. इससे पहले ही प्रशासन के अधिकारियों ने दूल्हे के माता-पिता को समझाइश देकर विवाह को रुकवा लिया.  

दरअसल, जिला प्रशासन को सूचना मिली थी कि पामगढ़ जनपद पंचायत के भिलौनी गांव में होने जा रही शादी में दूल्हे की उम्र कम है. जिस पर कलेक्टर आकाश छिकारा ने बाल विवाह रोकने के निर्देश दिए हैं. महिला एवं बाल विकास अधिकारी अनीता अग्रवाल, जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजेंद्र जायसवाल और पुलिस की टीम ने नाबालिग बालक की शादी रुकवाई. विवाह के योग्य नहीं होने पर माता-पिता और परिजनों ने शादी रोकने पर सहमति जताई. 

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मार्कशीट के आधार पर दूल्हे की उम्र 20 साल 9 माह 10 दिन पाई गई. वही, मुंगेली जिले की बालिका की उम्र के लिए समन्वय किया गया. इसके बाद पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने दूल्हे के माता-पिता को शादी न करने की समझाइश देते हुए कानूनी कार्रवाई से अवगत कराया गया. 

हल्दी-मेहंदी रस्म के बाद बारात निकलने की थी तैयारी 

महिला एवं बाल विकास अधिकारी अनीता अग्रवाल ने बताया कि नाबालिग बालक के घर में हल्दी और मेहंदी की रस्म पूरी कर ली गई थी. मुंगेली जिला बारात जाने के लिए तैयारी चल रही थी. जिसे समय रहते बारात को रोका गया. 

बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया 

इस दौरान मौके पर उपस्थित अधिकारियों ने बाल विवाह से होने वाली परेशानियों से अवगत कराया. साथ ही कानूनी कार्रवाई के बारे में भी बताया गया, जिसमें बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की उम्र 18 वर्ष निश्चित है.

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निश्चित उम्र से कम होने की स्थिति में बाल विवाह करने पर माता-पिता समेत रिश्तेदार, टेंट, डीजे साउंड, भोजन बनाने वाले रसोइया और विवाह करने वाला पंडित के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इस अधिनियम के तहत 2 वर्ष के कठोर आश्रम कारावास और 1 लाख रु के जुर्माना अथवा दोनों से भी दंडित करने का प्रावधान है. 

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