बिहार में सियासत की पिच पर इन दिनों नीतीश कुमार आक्रामक मोड में नजर आ रहे हैं. उन्होंने पिछले तीन दिन में अपनी गठबंधन सहयोगी दो पार्टियों के तीन नेताओं की क्लास लगा दी है. ऐसे समय में जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल दलों के नेता दावा कर रहे हैं कि नीतीश की पार्टी के कई विधायक उनके संपर्क में हैं, नीतीश कुमार के इन आक्रामक तेवरों के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा कि नीतीश बड़े ही सधे हुए राजनेता है. नीतीश अगर गठबंधन के सहयोगी दलों के विधायकों पर भड़के तो जरूर कोई ठोस वजह होगी.
नीतीश कुमार के आक्रामक तेवर की वजह क्या
नीतीश के बारे में कहा जाता है कि सियासत की हवा किस ओर बह रही है छोड़िए, किस ओर बह सकती है ये भी वे भांप लेते हैं. महाराष्ट्र में सियासत के समीकरण क्या बदले, बिहार में भी हलचल बढ़ गई. महाराष्ट्र में अजित पवार ने चाचा शरद पवार के खिलाफ जाकर एनडीए सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ले थी. इसके बाद बीजेपी नेताओं से लेकर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान तक ने दावा किया कि जेडीयू के कई विधायक उनके संपर्क में हैं.
विपक्ष के दावों के बीच नीतीश एक्टिव हुए और अपने विधायकों, सांसदों के साथ मुलाकात की, बात की. नीतीश कुमार की इस कवायद के बाद हलचल और बढ़ गई. नीतीश के फिर से एनडीए में वापस लौटने के कयास लगाए जाने लगे लेकिन राजनीति के जानकार इसे कुनबा एकजुट रखने और टूट की किसी भी संभावना को पूरी तरह खत्म करने की कवायद बता रहे हैं.
खुद को महागठबंधन का बॉस साबित करने की कोशिश
पिछले कुछ समय में आरजेडी प्रमुख लालू यादव की छवि सुपर सीएम की बनी है, खासकर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के मामले के बाद. आरजेडी कोटे के मंत्री चंद्रशेखर की अपने ही विभाग अपर सचिव केके पाठक के बीच चल रही रार खुलकर सामने आ गई थी. इसे लेकर नीतीश कुमार के नाराज होने की बात कही जा रही थी. विवाद बढ़ा तो लालू यादव ने चंद्रशेखर को अपने आवास पर बुलाकर बातचीत की थी.
लालू यादव ने चंद्रशेखर से बात करने और उसके बाद नीतीश को फोन कर उन्हें उनके पास भेजने की जानकारी दी. चंद्रशेखर ने सीएम नीतीश से मुलाकात के बाद कहा कि अपर सचिव से जुड़े मामले में कोई बात नहीं हुई है. इस घटनाक्रम के बाद लालू यादव की सुपर सीएम की इमेज बन गई. ये कहा जाने लगा कि मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार हैं लेकिन सरकार लालू भी चला रहे हैं. अब नीतीश ने लालू परिवार के सबसे करीबी, राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई सुनील सिंह को फटकार लगाई है जिसे लालू की सुपर सीएम वाली इमेज तोड़ने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.
गठबंधन धर्म का पालन करने की दी नसीहत
मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले महागठबंधन के विधानमंडल दल की बैठक में सीएम नीतीश ने विधायकों को एकजुट रहने की नसीहत दी. सीएम नीतीश ने कहा कि सभी घटक दलों को गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए. सभी विधायक सचेत रहें. उन्होंने आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि आप बीजेपी के एजेंडे पर चल रहे हैं. अमित शाह से मुलाकात भी की है और छपरा से चुनाव भी लड़ने वाले हैं. सुनील सिंह ने इस पर कहा कि मेरी विश्वसनीयता पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता.
नीतीश कुमार को सता रही कौन सी चिंता
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि महाराष्ट्र में जिस तरह पहले उद्धव ठाकरे और फिर शरद पवार के साथ हुआ, उसके बाद नीतीश सतर्क हैं. नीतीश को कहीं न कहीं ये आशंका है कि उनकी पार्टी के विधायक-सांसद टूटकर बीजेपी और आरजेडी में न चले जाएं और उनका हाल उद्धव-शरद पवार जैसा हो जाए. जेडीयू विधायकों के टूटने के आसार कम हैं लेकिन कहीं सांसद न छिटक जाएं. नीतीश सधे राजनेता हैं, सभी संभावनाओं और शंका-आशंका को बेहतर समझते हैं. इसीलिए नीतीश ने सांसदों को भी बुलाकर बात की.
क्या लालू-नीतीश में चल रहा शह-मात का खेल
बिहार के ताजा घटनाक्रम के बाद ये भी कहा जा रहा है कि लालू यादव और नीतीश कुमार आज साथ हैं और सियासी सफर के शुरुआती दिनों में भी दोनों अच्छे साथी रहे. लेकिन दोनों ही नेता बिहार की राजनीति में लंबे समय तक मुख्य प्रतिद्वंदी भी रहे हैं. ऐसे में क्या दोनों के बीच फिर से कड़वाहट तो नहीं आ रही?
रशीद किदवई ने कहा कि जनता परिवार से निकली पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ शह-मात का खेल खेलती रही हैं और यही इनकी सबसे बड़ी खामी रही है. लेकिन ताजा परिस्थितियों में ऐसा नहीं लग रहा. लालू परिवार के सबसे करीबी सुनील सिंह को जब नीतीश ने अमित शाह के साथ फोटो को लेकर झाड़ लगाई और उन्होंने जवाब देना शुरू किया, तेजस्वी ने उनके पास जाकर शांत भी कराया, नीतीश से कुछ नहीं कहा. नीतीश की गाड़ी में उनके साथ ही तेजस्वी और तेजप्रताप का विधानसभा जाना भी ये संदेश देने की कोशिश ही है कि महागठबंधन में 'ऑल इज वेल' है.
बिकेश तिवारी