Health and Fitness: क्या आप मीट छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं. अगर हां तो ये खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है. चेन्नई के वेलाचेरी में अपोलो क्लिनिक के डॉक्टर यशोध कुमार रेड्डी ने मीट छोड़ने से शरीर पर होने वाले असर के बारे में बताया है जिसे जानकर आप खुद के लिए ज्यादा सही फैसला कर पाएंगे.
फिजिशियन और डायबेटोलॉजिस्ट यशोध कुमार रेड्डी कहते हैं, मीट छोड़ने से आपकी आंतें स्वस्थ रहेंगी और कुल मिलाकर कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य यानी हृदय (Cardio) और चयापचय (Metabolic) संबंधी समस्याओं (मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, इंसुलिन रेसिस्टेंस) में सुधार होगा. अंग्रेजी वेबसाइट 'हिंदुस्तान टाइम्स' के साथ एक इंटरव्यू में डॉ. रेड्डी ने विस्तार से बताया कि शाकाहारी जीवनशैली से पाचन तंत्र पर क्या असर हो सकता है.
प्लांट बेस्ट खाना खाने के फायदे
डॉ. रेड्डी ने बताया कि शाकाहारी भोजन अपनाने से स्वाभाविक रूप से फाइबर और प्लांट बेस्ड पोषक तत्वों का सेवन बढ़ जाता है जो पाचन और आंतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी होते हैं.
उन्होंने कहा कि प्लांट बेस्ड डाइट पेट के गुड बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ावा देती है और हेल्दी माइक्रोबायोम को बनाए रखने में भी मदद करती है. बिफीडो बैक्टीरिया और लैक्टोबैसिली जैसे गुड बैक्टीरिया फल, सब्जियों, साबुत अनाज और फलियों में मौजूद डायट्री फाइबर का सेवन करते हैं. इसके बाद ये अपने भोजन स्रोत को फर्मेंट करने के बाइ-प्रॉडक्ट के रूप में शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (SCFAs) का उत्पादन करते हैं.
गुड बैक्टीरिया को मिलता है पोषण
डॉ. रेड्डी ने आगे कहा, इस तरह के शॉर्ट-चेन फैटी एसिड सूजन को कम करने और आंतों की दीवार के चारों ओर एक सुरक्षात्मक परत बनाने में मदद करते हैं. शरीर में डायट्री फाइबर की मात्रा बढ़ने पर स्टूल पास होना भी आसान हो जाता है. इसके साथ ही कब्ज जैसी कई दिक्कतें भी दूर रहती हैं.
पॉलीफेनॉल्स जो पौधों पर आधारित फूड्स में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, आंत में हानिकारक बैक्टीरिया को कम करने में भी फायदेमंद होते हैं और इसलिए सूजन को कम करते हैं और कुल मिलाकर एक स्वस्थ पाचन तंत्र बनाते हैं.
शुरुआती गैस और सूजन को मैनेज करना
हालांकि डाइट में अचानक बदलाव से कभी-कभी आपको कुछ समय के लिए असुविधा हो सकती है. डॉ. रेड्डी ने कहा कि जब कोई नॉन-वेजिटेरियन से वेजिटेरियन डाइट पर स्विच करता है तो उनके पेट के बैक्टीरिया को फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट में अचानक हुई बढ़ोतरी के साथ एडजस्ट होने में समय लगता है. ये कॉम्पोनेंट पेट में फर्मेंटेशन प्रोसेस से गुजरते हैं जिससे नॉर्मल मेटाबॉलिक प्रोडक्ट के तौर पर गैस बनती है.
लेकिन एक बार जब शरीर नई डाइट के साथ एडजस्ट हो जाता है तो गैस और पेट फूलने से जुड़ी कोई भी परेशानी आमतौर पर ठीक हो जाती है. इस बदलाव को आसान बनाने के लिए डॉ. रेड्डी ने धीरे-धीरे फाइबर का सेवन बढ़ाने, पर्याप्त मात्रा में लिक्विड पीने और प्रोबायोटिक्स वाले फूड्स खाने का सुझाव दिया.
फायदे और जोखिम
डॉ. रेड्डी ने बताया कि एक अच्छी तरह से बैलेंस्ड वेजिटेरियन डाइट हेल्दी बॉडी से जुड़ी है. लेकिन क्या वेजिटेरियन या वीगन डाइट के लंबे समय तक पेट के स्वास्थ्य के लिए कोई रिस्क भी है? इस पर डॉ. रेड्डी बताते हैं कि बैलेंस्ड वेजिटेरियन डाइट बेहतर कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य से जुड़ी है. हाई-फाइबर, पोषक तत्वों से भरपूर प्लांट फूड बैड कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, मोटापा, हाइपरटेंशन और टाइप 2 डायबिटीज को कम करने में मदद करते हैं. ऐसी डाइट से हार्ट डिसीस से होने वाली मौत का खतरा भी कम होता है.
बैलेंस डाइट है जरूरी वरना...
हालांकि डॉ. रेड्डी ने चेतावनी दी कि खराब तरीके से प्लान की गई वेजिटेरियन या कई पाबंदियों वाली वीगन डाइट से शरीर में विटामिन B12, आयरन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैट की कमी हो सकती है. इन कमियों से हड्डियों के फ्रैक्चर या इंसुलिन रेजिस्टेंस और डिस्लिपिडेमिया जैसी मेटाबॉलिक समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए लंबे समय तक पेट और ओवरऑल हेल्थ को मेंटेन करने के लिए सभी जरूरी पोषक तत्वों का बैलेंस्ड सेवन करना सबसे जरूरी है.
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