विटामिन डी को 'सनशाइन विटामिन' इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये हमारे शरीर की कई जरूरी प्रॉसेस में अहम भूमिका निभाता है. ये न सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाता है, बल्कि इम्यून सिस्टम को भी बेहतर रखता है ताकि शरीर बीमारियों से लड़ सके. यही वजह है कि बहुत से लोग इसे अपने रोजाना के हेल्थ रूटीन में इसे सप्लीमेंट के रूप में शामिल कर लेते हैं.
लेकिन हाल के समय में विटामिन डी के सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अब इसका ओवरडोज होना एक आम समस्या बनती जा रही है. कई लोग सोचते हैं कि ज्यादा विटामिन डी लेने से हेल्थ और अच्छी होगी, जबकि असलियत इसके बिल्कुल उलट है. विटामिन डी की ज्यादा मात्रा शरीर में कैल्शियम को जरूरत से ज्यादा बढ़ा देती है, जिससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. सबसे बड़ा खतरा ये है कि बहुत बार लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे ओवरडोज ले रहे हैं और जब तक इसका अहसास होता है, तब तक ये आपकी किडनी को नुकसान पहुंचना शुरू हो चुका होता है.
इसलिए ये जानना बहुत जरूरी है कि ओवरडोज आखिर कैसे होता है, किन संकेतों पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और इसे लेने की सुरक्षित मात्रा क्या है. सही जानकारी आपको समय रहते सावधान कर सकती है और बड़ी समस्या से बचा सकती है.
कैसे किडनी को नुकसान पहुंचाती है विटामिन डी की ज्यादा मात्रा?
जब कोई बहुत ज्यादा विटामिन डी ले लेता है, तो खून में कैल्शियम का लेवल बहुत बढ़ जाता है. इसे ही हाइपरकैल्सीमिया कहा जाता है. इसके बाद किडनी को इस एक्स्ट्रा कैल्शियम को छानने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है. धीरे-धीरे इससे बहुत सी दिक्कतें हो सकती हैं.
इन दिक्कतों में किडनी में कैल्शियम जमना (नेफ्रोकैल्सीनोसिस), किडनी स्टोन, अचानक किडनी डैमेज और गंभीर मामलों में किडनी फेलियर की समस्या भी होती है. एक केस स्टडी (Journal of Renal Injury Prevention) में पाया गया कि विटामिन डी की ओवरडोज सिर्फ खुद दवा लेने से नहीं, बल्कि डॉक्टर की गलती से भी हो जाती है. शुरुआती लक्षण भी काफी हल्के होते हैं, इसलिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
विटामिन डी ज्यादा मात्रा लिया जाए तो क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
1. मतली और उल्टी: कैल्शियम ज्यादा होने से पेट खराब रहता है. लगातार मतली, उल्टी और पेट दर्द हो सकता है.
2. बहुत प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना: किडनी एक्स्ट्रा कैल्शियम को बाहर निकालने की कोशिश करती है, इसलिए बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है और बहुत प्यास लगती है.
3. मसल्स में कमजोरी और थकान: कैल्शियम का इंबैलेंस मसल्स को कमजोर कर देता है. छोटी-छोटी चीजें करने में भी थकान लगती है.
4. ध्यान न लगना या भ्रम होना: ज्यादा कैल्शियम दिमाग पर असर डालता है. इससे भ्रम, चिड़चिड़ापन या ध्यान लगाने में परेशानी हो सकती है.
5. पीठ के निचले हिस्से या कमर के बगल में दर्द: ये किडनी स्टोन या किडनी पर दबाव का संकेत हो सकता है.
6. सूजन और सांस लेने में दिक्कत (सीरियस केस में): किडनी ठीक से काम न करे तो शरीर में पानी रुकने लगता है, जिससे पैर सूज सकते हैं और सांस फूल सकती है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
एडल्ट्स को कितना चाहिए विटामिन डी?
ज्यादातर एडल्ट्स के लिए दिन में सिर्फ 400 से 1,000 IU विटामिन डी काफी होता है. समस्या तब होती है जब कोई लंबे समय तक 4,000 IU से ज्यादा लेने लगे. अगर कोई रोज 8,000–12,000 IU जैसी ज्यादा डोज ले, तो ये शरीर के लिए जहर जैसी बन सकती है.
कई लोग गलती से 60,000 IU वाली कैप्सूल रोज खा लेते हैं, जबकि वो हफ्ते में सिर्फ एक बार लेने के लिए होती है. बहुत ज्यादा विटामिन डी लेने से खून में कैल्शियम बढ़ जाता है और इसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है. इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना हाई डोज लेना नुकसान कर सकता है.
विटामिन डी की ओवरडोज से कैसे बचें?
- सप्लीमेंट सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लें.
- दूसरों को लेते देख खुद से न शुरू करें.
- एक साथ कई विटामिन डी प्रोडक्ट ना लें (जैसे मल्टीविटामिन + हाई डोज कैप्सूल + इंजेक्शन).
- जितना लिखा है सिर्फ उतनी ही डोज़ लें.
- अगर लंबे समय से ले रहे हैं, तो विटामिन D और कैल्शियम का ब्लड टेस्ट कराते रहें.
आजतक हेल्थ डेस्क