विटामिन D काफी जरूरी विटामिन है. इसका मुख्य काम कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाना है. भारत में विटामिन D की कमी कितना बड़ा खतरा बन चुकी है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के टॉप एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और 2015 में पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. अंबरीश मिथल इसे सबसे कॉमन डेफिशिएंसी बताया है. हाल ही में डॉ. अंबरीश एक पॉडकास्ट में पहुंचे जहां उन्होंने इसकी कमी के बारे में बताया.
डॉ. अंबरीश ने कहा, 'भारत में सबसे कॉमन डेफिशिएंसी है, विटामिन डी. अगर विटामिन डी नहीं होगा तो कैल्शियम हमारी हड्डियों तक नहीं पहुंचेगा. विटामिन डी धूप से मिलता है डाइट में नहीं होता. अंडे में थोड़ा यानी 20 यूनिट के आसपास विटामिन डी होता है और फिनलैंड में खाई जाने वाली किसी तरह की फिश में भी होता है जो यहां नहीं होती.' यानी शरीर में कैल्शियम की मात्रा चाहे जितनी हो, जब तक विटामिन D पर्याप्त नहीं होगा, हड्डियां मजबूत नहीं बन पाएंगी. भारतीय खानपान आमतौर पर विटामिन D की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर पाता.
'सबसे बड़ी बात ये है कि पॉल्यूशन इतना ज्यादा है कि आज के समय में विटामिन D पाने के लिए धूप में बैठना भी अब उतना असरदार नहीं रहा. क्योंकि प्रदूषण की वजह से UV रेज पहुंचते ही नहीं है इसलिए स्किन तक तो विटामिन डी नहीं मिलता.'
डॉ. अंबरीश ने कहा, यदि आप 1000 से 2000 यूनिट डेली ले रहे हैं और उसके अलावा कुछ नहीं ले रहे हैं तो भी आपको विटामिन डी की कमी नहीं होगी.'
ये बात साफ है कि शहरों में रहने वाले लोग जिनके डेली रूटीन, ऑफिस और कार तक सीमित रहते हैं, उनमें विटामिन डी की सबसे अधिक कमी पाई जाती है. ऐसे लोग न धूप में जाते हैं और न ही उनकी लाइफस्टाइल में आउटडोर एक्टिविटी होती है. विटामिन D की लगातार कमी से हड्डियां कमजोर होना, थकान, मांसपेशियों में दर्द, बार-बार बीमार पड़ना जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं.
डॉ. मिथल की बात सीधा संकेत देती हैं कि विटामिन D अब सिर्फ धूप का नहीं, बल्कि हेल्थ प्रायोरिटी का मामला है इसलिए इस पर सभी को ध्यान देना चाहिए.
आजतक हेल्थ डेस्क