चीन से भारत तक फैला था HMPV का प्रकोप...छोटे बच्चे सबसे ज्यादा HMPV पॉजिटिव, हर साल बढ़ा संक्रमण का बोझ

HMPV के ऊपर हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि इस वायरस ने सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित किया है. ये नतीजे तमिलनाडु में 2019 से 2023 और 2024 से 2025 के दौरान एकत्र हुए डेटा के आधार पर सामने आए हैं. रिसर्च टीम ने बताया कि इस वायरस से सबसे ज्यादा असर 1 से 2 साल के बीच के बच्चों में देखने को मिला है.

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HMPV से सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने का दावा (Photo: AI generated) HMPV से सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने का दावा (Photo: AI generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

2025 की शुरुआत में चीन से भारत में फैलने वाले सांस के संक्रमण ह्यूमन मेटाप्यूमोवायरस (HMPV) पर एक स्टडी की गई जिसमें पाया गया है कि HMPV ने भारत में सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों को किया है जिनमें भी सबसे ज्यादा संख्या 1 से 2 साल के बीच के बच्चों की थी. द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया जर्नल में पब्लिश स्टडी में यह भी पाया गया कि ज्यादातर HMPV पॉजिटिव मामलों में सांस की गंभीर बीमारी या फ्लू जैसे लक्षण दिखे, जिनमें बुखार और खांसी सबसे सामान्य लक्षण थे.

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हालांकि, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और तमिलनाडु सरकार के हेल्थ विभाग के रिसर्चर्स ने कहा है कि HMPV के फैलने या इसके असर के तरीके में हाल ही में कोई नया बदलाव नहीं देखा गया है. यानी यह दावे से नहीं कहा जा सकता है कि वायरस में आए किसी बदलाव की वजह से इसका बच्चों के ऊपर प्रकोप बढ़ा है.

चीन के बाद भारत में फैला था वायरस

भारत में यह प्रकोप 2024 के आखिर में चीन में शुरू हुए मौसमी प्रकोप से संबंधित पाया गया है जिससे कई मरीजों के केस में तेजी देखी गई. भारत में जो HMPV का प्रकोप हुआ, उसका संबंध चीन में 2024 के अंत में फैले मौसमी प्रकोप से जुड़ा माना गया था और उस समय चीन में मामलों की संख्या बढ़ने और इसके असर की वजह से यह काफी चर्चा में रहा था. रिसर्च के मुताबिक, चीन में सांस की बीमारियों के 6 प्रतिशत से अधिक मामले और अस्पताल में भर्ती होने वाले 5 प्रतिशत से अधिक मरीज HMPV वायरस की वजह से थे.

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स्टडी से पता चला कि चीन में छह प्रतिशत से ज्यादा सांस की बीमारियों और पांच प्रतिशत अस्पताल में भर्ती होने की संख्या के पीछे HMPV वायरस ही जिम्मेदार था. भारत में 2025 जनवरी के दूसरे हफ्ते में गुजरात और पुडुचेरी जैसे राज्यों में इसके मामले सामने आने लगे थे.

रिसर्च टीम ने डेटा का आकलन किया

तमिलनाडु में इंटीग्रेटेड इन्फ्लूएंजा निगरानी मॉडल के तहत टीम ने साल 2019 से 2023 और 2024 से 2025 के दौरान एकत्र किए गए डेटा का एनालिसिस किया था. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के तहत 2014 में स्थापित वायरस रिसर्च एंड डायग्नॉस्टिक लैबरोटेरी नेटवर्क की प्रयोगशालाओं ने इनके परीक्षण किए.

2019-2023 के बीच 20,000 से ज्यादा लोगों का HMPV के लिए परीक्षण किया गया, जिनमें से 1030 (3.2 प्रतिशत) पॉजिटिव पाए गए और 2024 में 11,100 से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया जिनमें से 367 (3.3 प्रतिशत) पॉजिटिव पाए गए थे.

बच्चों पर हुए अधिकतर टेस्ट

1-2 साल के बच्चों में सबसे ज्यादा पॉजिटिविटी देखी गई, 2019-2023 में 4.5 प्रतिशत (128/2864) और 2024 में 4.6 प्रतिशत (70/1508) पॉजिटिव पाए गए. इसके अलावा टीम ने कहा कि बुखार और खांसी सबसे आम लक्षण थे जो 2019 से 2023 के बीच 70.3 प्रतिशत और 2024 में 79.6 प्रतिशत (292/8398) मामलों में देखे गए. 

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इस वायरस से होने वाली बीमारी की अवधि आमतौर पर 11 दिन तक रही जबकि अस्पताल में औसतन 7 दिन रहना पड़ता है.

रिसर्च टीम ने कहा कि 2024 में अधिक टेस्टिंग और पॉजिटिव मामलों से पता चलता है कि HMPV की भारत में सांस की एक बड़ी बीमारी से जुड़े वायरस के रूप में पहचान की गई है. ऐसे तेजी से फैलते वायरस के बोझ को समझने और उससे लड़ने के लिए एक मजबूत नेटवर्क को बनाना जरूरी है.

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