इमरान खान को SC से राहत लेकिन सेना की कोर्ट में बढ़ेगी मुश्किल, क्या जुल्फिकार अली भुट्टो जैसा होगा हाल? जानें क्या है पाकिस्तान का Army Act

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी है. कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया था. हालांकि कोर्ट के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. वहीं अब सेना इमरान खान पर नकेल कसने जा रही है. बताया जा रहा है कि 9 मई से 12 मई के बीच इमरान के समर्थकों ने सेना के कई अफसरों के आवास और प्रतिष्ठानों पर जो हमले किए थे, उस मामले में यह कार्रवाई की जा रही है.

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इमरान खान पर फिर लटकी गिरफ्तारी की तलवार (फाइल फोटो) इमरान खान पर फिर लटकी गिरफ्तारी की तलवार (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2023,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान को भ्रष्टाचार के मामले में 9 मई को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पाकिस्तान में ऐसे हालात बन गए थे, जिसे देखकर कहा जा सकता था कि पाकिस्तान तेजी से गृहयुद्ध की ओर बढ़ रहा है. इमरान को जैसे ही पैरामिलिट्री फोर्स ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर से अरेस्ट किया, पीटीआई समर्थक सड़क पर उतर आए थे. उन्होंने इमरान की गिरफ्तारी को "अवैध" और "गैरकानूनी" बताते हुए कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन शुरू कर दिए थे. यह हिंसा कई दिन तक चली.

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पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीटीआई के 500 से ज्यादा समर्थकों ने गिरफ्तारी के अगले दिन लाहौर में पीएम आवास पर हमला बोल दिया. उन्होंने वहां पेट्रोल बम दागे. वहां खड़े सभी वाहनों में आग लगा दी. उन्होंने लाहौर में सेना के कमांडरों के आवास और रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर भी हमला बोल दिया था. उन्होंने कोर कमांडर हाउस (जिन्ना हाउस) को भी नुकसान पहुंचाया था. वहीं 130 साल पुरानी मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज की इमारत में आग लगा दी थी.

इसके अलावा सरकारी और निजी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया. रावलपिंडी में डीपीओ इंडस्ट्रियल एरिया में जमकर उत्पात मचाया था. उन्होंने करीब 25 करोड़ रुपये की संपत्तियां नष्ट कर दीं. इसके अलावा रामना, तारनोल और सांगजनी पुलिस स्टेशनों पर फायरिंग भी की. पुलिस इस हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट कर चुकी है. इनमें 76 को रावलपिंडी GHQ पर हमले के आरोप में अरेस्ट किया गया है. इस हिंसा में 8 लोगों की जान भी चली गई.

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'नस्लें याद रखेंगी...' सेना प्रमुख ने दी थी चेतावनी

वहीं सैन्य प्रतिष्ठानों और अफसरों पर हमले को ब्लैक डे बताते हुए पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने चेतावनी दी कि सेना ऐसी किसी भी को बर्दाश्त नहीं करेगी. हमला करने वालों पर ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि नस्लें याद रखेंगी. उन्होंने कहा कि हम किसी भी योजनाकारों, उकसाने वालों, भड़काने वालों और इस बर्बरता को अंजाम देने वालों को नहीं छोड़ेंगे. 

पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (ISPR) के मुताबिक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर अब इमरान खान और उनकी पार्टी के नेताओं और समर्थकों पर कार्रवाई करने जा रहे हैं. सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करना और उसकी साजिश रचने, जासूसी जैसे सैन्य अपराधों को रचने वालों पर आर्मी एक्ट और ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट के तहत यह कार्रवाई की जाएगी.

वैसे सेना के इशारे पर इमरान की गिरफ्तार के आरोप लग रहे हैं. दरअसल सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही इमरान खान शहबाज सरकार और सेना पर लगातार हमलावर थे. इमरान खान ने खुले मंच से कई बार पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा पर अपनी सरकार गिराने के आरोप लगाए थे. इसके बाद उन्होंने नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर भी शहबाज सरकार की मदद करने का आरोप लगाया था. 

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इस एक्ट से इमरान को क्या हो सकती है सजा

पाकिस्तान की मीडिया के मुताबिक इमरान खान पर आर्मी एक्ट की धारा 59 और 60 के तहत कार्रवाई होगी. उनके खिलाफ पाकिस्तान की मिलिट्री सिमरी कोर्ट में सुनवाई होगी. इस एक्ट में दोष साबित होने पर इमरान को मौत की सजा या उम्रकैद की सजा हो सकती है. धारा- 59 के तहत दोषी पाए जाने पर सजा-ए-मौत का प्रावधान है. इस धारा का इस्तेमाल असैन्य अपराधों के लिए किया जाता है. 

सेना अपनी कोर्ट में इसलिए चलाना चाहती है केस

इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने उनको जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बांदियाल ने कहा कि हाई कोर्ट परिसर से की गई गिरफ्तारी न्यायपालिका के इतिहास का सबसे अपमानजनक वाकया है. उन्होंने इमरान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार दिया है.

हालांकि कोर्ट के इस फैसले का शहबाज सरकार ने विरोध शुरू कर दिया है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी शरीफ ने बंदियाल पर पाकिस्तान में न्यायिक मार्शल लॉ थोपने का आरोप तक लगा दिया. उन्होंने कहा कि आज, जब सेना लोकतंत्र और पाकिस्तान के संविधान के साथ खड़ी है. पाकिस्तान में पांचवा मार्शल लॉ, न्यायिक मार्शल लॉ इस इमारत से थोपा जा रहा है. उन्होंने कहा कि पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान जो कर रहे हैं, ऐसा आतंकी या पाकिस्तान के दुश्मन भी नहीं कर सकते.

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पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पर इमरान खान को बचाने के आरोप लग रहे हैं. उन पर आर्मी एक्ट के तहत केस दर्ज होने के बाद इमरान खान का मामला सेना के हाथ में चला जाएगा. इसके बाद उन्हें सजा मिलने तक राहत की उम्मीद न के बराबर रह जाएगी. इमरान खान के समर्थकों का आरोप है कि इमरान को सलाखों के पीछे भेजने के लिए सरकार सेना की मदद ले रही है.

इमरान पहले ही जता चुके हैं यह आशंका

इमरान खान ने पिछले दिनों ट्वीट कर सरकार पर आरोप लगाया था कि उन्हें लंबे समय तक जेल में रखने की प्लानिंग हो रही है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम लिए बिना लिखा कि लदंन में उनके खिलाफ ये साजिश तैयार की गई है. लंदन प्लान के तहत उन्हें गिरफ्तार करके मिलिट्री कानून के तहत 10 साल के लिए सलाखों के पीछे डालने की साजिश रची गई है.

भ्रष्टाचार के मामले में अरेस्ट हुए थे इमरान

इमरान खान पर 100 से भी ज्यादा केस दर्ज है. इन्हें में एक अल कादिर ट्रस्ट मामला है. इस मामले में 9 मई को उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उन्हें नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) और पाक रेंजर्स ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर से अरेस्ट किया था. यह मामला अल कादिर यूनिवर्सिटी से जुड़ा है. इस ट्रस्ट का गठन 2019 में किया गया था, जिसका मालिकाना हक इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीवी के पास है. ट्रस्ट के जरिए पंजाब प्रांत के झेलम में सोहावा इलाके में अल-कादिर यूनिवर्सिटी का गठन करना था.

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इमरान पर आरोप है कि इस विश्वविद्यालय के लिए इमरान और उनकी पत्नी ने एक रेशिडेंशियल कॉम्प्लेक्स की जमीन गैर कानूनी तरीके से हड़प ली. राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरा (NAB) ने 3 मई को इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीवी समेत पीटीआई से जुड़े कई नेताओं पर केस दर्ज किया गया है.

जब जुल्फिकार अली भुट्टो को दे दी गई फांसी

पाकिस्तान के इतिहास में एक पूर्व पीएम को फांसी पर चढ़ाया जा चुका है. वह पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो थे. उन्हें 4 अप्रैल 1979 को सूली पर चढ़ाया गया था. दरअसल 10-11 नवंबर 1974 की आधी रात को लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कार सवार मोहम्मद अहमद खान कसूरी की हत्या कर दी थी. कसूरी पाकिस्तान के खानदानी रईस और सबसे बड़े वकील थे. कसूरी जुल्फिकार अली भुट्टो से बहुत प्रभावित थे, यही वजह थी कि उन्होंने भुट्टो की पार्टी पीपीपी ज्वाइन कर ली थी. हालांकि बाद में भुट्टो के तानाशाही व्यवहार के कारण कसूरी ने भुट्टो का साथ छोड़ दिया था.

अहमद रजा कसूरी ने अपने पिता अहमद खान कसूरी की हत्या के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया था. इस मामले की जांच चल ही रही थी कि तभी उस समय के सेना प्रमुख जनरल जिया उल-हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार का तख्तापलट कर दिया. जनरल उल-हक ने मार्शल लॉ लगा दिया और भुट्टो को जेल में डाल दिया गया.

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18 मार्च 1978 को लाहौर हाईकोर्ट ने भुट्टो को अहमद खान कसूरी की हत्या का दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन कोई राहत नहीं मिला. आखिरकार 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया.

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