पूर्व CJI बीआर गवई ने फ्रीबीज पर जताई चिंता, 'बुलडोजर जस्टिस' पर भी रखी अपनी बात

बीआर गवई ने फ्रीबीज, बुलडोजर जस्टिस और कई मुद्दों पर अपनी पर बेबाक राय रखी. उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका सिर्फ प्रहरी की भूमिका निभाती है, जबकि कार्यान्वयन कार्यपालिका का काम है.

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एजेंडा आजतक में बुलडोजर जस्टिस पर क्या बोले गवई (Photo-ITG) एजेंडा आजतक में बुलडोजर जस्टिस पर क्या बोले गवई (Photo-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 10 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:48 PM IST

'एजेंडा आजतक 2025' में पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी.आर गवई ने भारत के संविधानवाद, सामाजिक-आर्थिक न्याय न्यायिक सक्रियता और फ्रीबीज जैसे मुद्दों पर बात की. गवई ने न्यायपालिका की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कानून बनाना संसद का काम है. संविधान और कानूनों द्वारा दिए गए कर्तव्यों, हकों और ज़िम्मेदारियों को निभाना कार्यपालिका का काम है और न्यायपालिका एक प्रहरी की तरह काम करती है ताकि यह जांच सके कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून संविधान के दायरे में हैं या नहीं. 

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उन्होंने कहा कि यह भी देखा जाता है कि क्या कार्यपालिका संविधान और कानूनों के तहत उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों का पालन कर रही है या नहीं. जो निर्देश अदालत देती है, उसका कार्यान्वयन करना कार्यपालिका का काम है और जब ऐसा नहीं किया जाता है, तो अदालत संज्ञान लेती है. जस्टिस गवई ने जोर दिया कि संविधान के निर्माताओं, विशेषकर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का मानना ​​था कि केवल राजनीतिक लोकतंत्र पर्याप्त नहीं है."जब तक राजनीतिक लोकतंत्र के साथ सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र नहीं होगा, तब तक सही मायने में सच्चा लोकतंत्र नहीं आ सकता."
 
फ्रीबीज पर क्या बोले गवई?

फ्रीबीज पर बात करते हुए गवई ने कहा जो लोग पिछड़े हैं उनके लिए कुछ करने पर विवाद की बात नहीं हैं, जैसे कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में सूखा आया था, तो लोगों को रोजगार देने की बात की गई, तो इस तरह की स्कीम का हमेशा स्वागत करना चाहिए, लेकिन फ्रीबीज बिना कुछ किए किसी के खाते में पैसा पहुंचाना, इससे तो उन लोगों को काम करने की कुछ इच्छा ही नहीं रहेगी. ऐसे लोगों को अगर कुछ देना हैं, तो उनसे कुछ काम भी करवाना चाहिए. 
 
'बुलडोजर जस्टिस' पर गवई ने क्या कहा?

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'बुलडोजर जस्टिस' से जुड़े अपने एक महत्वपूर्ण फैसले पर बात करते हुए, गवई ने कहा कि उन्होंने इस मामले में विस्तृत फैसला दिया था, जहां उन्होंने एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा- 'अगर आप किसी का घर गिराते हैं, तो वो सजा केवल आरोपी को नहीं दी जाती है. उससे पूरा परिवार प्रभावित हो जाता है. हमने इस बारे में जजमेंट में पूरा निर्देश दिया था कि अगर अधिकारी कोर्ट के निर्देशों की अवलेहना करेंगे तो कोर्ट की अवमानना का मामला होगा.'   

न्यायिक पारदर्शिता और विश्वास का महत्व

गवई ने जनता के विश्वास को न्यायपालिका का आधार बताया और कहा कि जजों को हमेशा ऐसा आचरण करना चाहिए जो न्यायपालिका की छवि को बढ़ाए और आम नागरिक के विश्वास को बहाल करे. उन्होंने कहा- "न्यायपालिका एक ऐसी संस्था है, जिसमें देश के आखिरी नागरिक का भी विश्वास है.

कॉलेजियम सिस्टम पर उठने वाले सवालों पर उन्होंने कहा कि पर्याप्त पारदर्शिता है. उन्होंने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट अपनी वेबसाइट पर प्रोसीजर डालता है, और चीफ जस्टिस द्वारा उम्मीदवारों के साथ इंटरेक्शन भी शुरू किया गया है. नियुक्ति से पहले एग्जीक्यूटिव से भी व्यापक परामर्श लिया जाता है.

सूचना का अधिकार (RTI) और सरकारी पारदर्शिता

राइट टू इंफॉर्मेशन (RTI) एक्ट पर पूछे गए सवाल पर, जवाब देते हुए गवई ने इसे एक 'गेम चेंजर' बताया, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि आरटीआई एक्ट अच्छा है, लेकिन कई स्थानों पर सूचना आयुक्तों के पद खाली हैं, जिससे एक्ट का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनके अनुभव में, कुछ लोगों द्वारा आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग ब्लैकमेलिंग के लिए किया गया है, लेकिन कानून का मूल उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, जो बहुत महत्वपूर्ण है.

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