व्यंग्य: 100 साल बाद इस तरह याद की जाएंगी पूनम पांडे

इतिहास तो आपने खूब पढ़ा होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है कि जब हमारे समय का इतिहास लिखा जाएगा तो वह किस तरह लिखा जाएगा. पेश है भविष्य में लिखे जाने वाले इतिहास का एक लुगदी उदाहरण.

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पूनम पांडे पूनम पांडे

आदर्श शुक्ला

  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

इतिहास तो आपने खूब पढ़ा होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है कि जब हमारे समय का इतिहास लिखा जाएगा तो वह किस तरह लिखा जाएगा. पेश है भविष्य में लिखे जाने वाले इतिहास का एक लुगदी उदाहरण.

मैं खाली समय हूं, मेरे पास बहुत टाइम है तो आज मैं आपको भारतीय तमाशे का इतिहास बताऊंगा. भारतीय तमाशे को दो कालखंडों में बांटा जा सकता है. टीवी तमाशा युग और सोशल मीडिया तमाशा युग. टीवी तमाशा युग में इतिहास ने कई विभूतियों को देखा, लेकिन इन सबमें सबसे ऊपर थीं राखी सावंत. हालांकि हालिया दौर में सनी लियोन इन्हें टक्कर देने की कोशिश की लेकिन इनकी फैन फॉलोविंग भी कम नहीं हुई. राखी सावंत युग के अवसान के बाद तमाशे ने अगले दौर में प्रवेश किया.

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सोशल मीडिया तमाशा युग में. इस दौर में बहुत भारी प्रतिस्पर्धा थी. एक तरफ कमाल आर खान जैसे लोग ट्विटर पर थोक के भाव सस्ते ट्वीट्स गिराए जा रहे थे तो दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों ने भी इस माध्यम को अबकी बार से लेकर पांच साल टाइप नारों से नाश कर रखा था. इन तमाम विपरीत परिस्थितियों से निबटते हुए सिर्फ अपनी मेहनत और निजी संपदा के बल पर पूनम पांडे ने अपना लोहा मनवाया.

नीले रंग के फेसबुक और नीले रंग के ट्विटर के दौर में जनकवि हनी सिंह ने यह वैज्ञानिक खोज भी कर दी थी कि पानी भी ब्लू ही होता है. तो नीलेपन की इंतिहा वाले इस दौर में पूनम पांडे ने लोगों की मांग और अपनी टांग पर पूरा भरोसा किया. उन्होंने हर वो चीज नुमाया की जो जनता देखना चाहती थी. मन से वैराग्य को अपना चुकीं पूनम जानती थीं कि कपड़े-लत्ते मोह-माया हैं तो वह इन तामझामों से दूर ही रही.

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उन्होंने दुनिया को यह ज्ञान दिया कि देशभक्ति सिर्फ जताने के साथ-साथ दिखाने की भी चीज होती है. पूनम ने 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप में ट्विटर पर यह मुनादी पिटवा दी कि अगर टीम इंडिया खिताब जीत जाती है तो वह बिना कपड़ों के मैदान का चक्कर लगाएंगी. इस घोषणा के बाद भारतीय रणबांकुरों ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीतकर ही दम लिया. हालांकि इतिहास जयचंद के बाद उस इंसान को ही गद्दार मानेगा जिसने इस घोषणा को अमलीजामा पहनाने और पूनम को सारे जामे उतारने से रोका. पूनम ने हालांकि अपने प्रशंसकों को निराश होने का मौका नहीं दिया. ट्विटर के जरिए मुफ्त में पूनम ने गरीब और इच्छुक जनता की झोली समय-समय पर खूब भरी.

ट्विटर ने कभी उनको कभी ब्लू टिक मार्का वेरिफाइड अकाउंट मयस्सर नहीं कराया, लेकिन फिर भी उनके फॉलोअरों में कोई कमी नहीं आई. उनके जादू का अंदाजा इसी तथ्य से लगाइए कि भारत वर्ल्ड कप में जो भी मैच जीतता ट्रेंड पूनम करने लगती. #PoonamPandeyKoBulao सोशल मीडिया तमाशा युग में पूनम की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखी जाती है.

पूनम प्रकृति पर इंसान के विजय की प्रतीक हैं. उन्होंने शरीर में जो अंग नहीं जंचा उसे बदलवा लिया. ट्विटर के कारनामोें की वजह से उन्हें एक बॉलीवुड फिल्म भी मिली जिसका नाम था 'नशा'. यह दुनिया का पहला ऐसा नशा था जो इतनी जल्दी उतरा. इसके बाद इसे नशामुक्ति केंद्रों ने अपने केंद्र में दिखाना शुरू कर दिया. पूनम ने हिप्पोक्रेसी के खिलाफ अभियान चलाया. जो है उसे दिखाना ही चाहिए. कहते हैं कि ईमानदारी की क्लोज फाइट में अरविंद केजरीवाल उनसे इसी बेबाकी से पिछड़ गए. सोशल मीडिया की इस महानायिका को लुगदी इतिहासकार का प्रेम भरा रिट्वीट.

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