कार्तिक आर्यन और लव स्टोरीज का रिश्ता थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड है. जरूरत से थोड़ा ज्यादा बोलने वाले बॉय-नेक्स्ट-डोर वाला स्टीरियोटाइप भी कार्तिक ने खूब प्ले किया है. इस मामले में 'तू मेरी में तेरा में तेरा तू मेरी' का ट्रेलर कुछ खास एक्साइटिंग तो नहीं लग रहा था. अनन्या पांडे पिछले कुछ टाइम से अच्छा काम कर रही हैं और कार्तिक के साथ उनकी जोड़ी ट्रेलर में ठीक लग रही थी. मगर ये भी 'तू मेरी में तेरा…' देखने की पर्याप्त वजह नहीं थी.
लेकिन एक बॉलीवुडिया कहानियों में जवान हुआ दिल कितना भी एडल्ट होने की कोशिश करे, लव स्टोरीज के क्यूट और ड्रीमी संसार में मुस्कुराते हुए खोए रहने की तलब खत्म कहां होती है! ऐसी ही तलब में कमाल की 'सैयारा' हाथ लग गई थी. और इसी तलब में तय हुआ कि 'तू मेरी में तेरा…' को भी एक चांस दिया जाए.
कार्तिक और अनन्या की एक्टिंग में है ठहराव
कार्तिक और अनन्या फिल्मी क्लीशे में डूबे नामों वाले यंग किरदार हैं― रेहान उर्फ रे और रूमी. मीट क्यूट यानी संयोग से टकराने वाली मुलाकात होती है. रे अपनी मम्मी (नीना गुप्ता) के साथ यूएस में वेडिंग प्लानर है. रूमी के नाम से अगर आपको नहीं पता लगा तो बता देते हैं कि वो राइटर है.
पहले 20 मिनट में लड़का बहुत बकबक कर रहा है और फेमिनिज्म को ताने देने लगा है तो कन्फर्म हो जाता है कि हीरो कार्तिक आर्यन हैं. विदेशों की खूबसूरत लोकेशंस में अपोजिट पर्सनालिटीज का प्यार में पड़ना भी होने लगता है. और इस प्यार में पड़ने वाले पोर्शन में, दोनों की बातों में थोड़ा-थोड़ा इंटरेस्ट आना शुरू होता है. यहां कुछ अच्छे गाने और क्वर्की डायलॉगबाजी से माहौल भी बनता है.
कार्तिक और अनन्या की एक्टिंग में एक ठहराव सा आता अब दिखने लगा है. यंग अजनबियों की फर्राटेदार बकबक से निकल के दोनों जब इमोशंस में गहरे उतर रहे हैं तो दोनों की एक्टिंग ही मामला संभालती है.
लव स्टोरीज का बेसिक ब्लू प्रिंट लगभग एक जैसा ही होता है. बदलता है, कनफ्लिक्ट और उसका ट्रीटमेंट. इंटरवल से पहले कनफ्लिक्ट का माहौल बन चुका है. कार्तिक का मनमौजी-आवारा-मस्तीखोर रे अब सीरियस हो रहा है. अनन्या की राइटर रूमी का सीरियस कवर इश्क में उतरने लगा है. और तभी रूमी के बाऊजी कनफ्लिक्ट बन जाते हैं. लेकिन 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' वाले अमरीश पुरी की तरह नहीं. यहां दिक्कत लव स्टोरी पर पिता का रिएक्शन नहीं. एक दूसरी इमोशनल सिचुएशन है.
टुकड़ों-टुकड़ों में ये इम्प्रेस करती है फिल्म
प्यार में छत्तीस तरह के पंगे लव स्टोरीज में आपने देखे होंगे. पर ‘तु मेरी में तेरा…’ में पंगा है भूगोल यानी जियोग्राफी. कैसे? ये बता दिया तो स्पॉइलर होगा, इसलिए खुद देखियेगा.
सेकंड हाफ की शुरुआत एक शादी की तैयारी से होती है. इंटरवल खत्म होने के थोड़ी देर बाद ही एक मजेदार सीक्वेंस है. फंक्शन में क्लासिक 90s शादी वाले गानों पर घरवाले परफॉर्म कर रहे हैं. इस तरह के सीक्वेंस किसी भी बॉलीवुड लवर को खुश कर सकते हैं. बल्कि, थ्रोबैक और कॉलबैक्स के मामले में ‘तू मेरी मैं तेरा…’ काफी रिच है.
लेकिन जैसा कि फर्स्ट हाफ खत्म होने पर हमने कहा― लव स्टोरीज की जान क्लाइमेक्स होता है. लव स्टोरी में आया पंगा कैसे दूर होता है, इससे तय होता है कि लव स्टोरी कितनी सॉलिड है. ‘तू मेरी मैं तेरा…’ इस मामले में आईडिया तो बढ़िया देती है पर वो एक बहुत सुविधाजनक सा आईडिया है. प्रैक्टिकल दुनिया में इस आईडिया को जमीन पर आना, काम से कम आज तो बहुत मुश्किल है.
ऐसे आईडियाज बरसाने के मामले में ‘तू मेरी मैं तेरा…’ काफी तेज है. और टुकड़ों-टुकड़ों में ये फिल्म इम्प्रेस भी करती है. मगर सब जोड़ने पर उतनी कमाल नहीं लगती, जितने वो टुकड़े हैं. लेकिन समीर विद्वान्स की ‘तू मेरी मैं तेरा…’ उन टुकड़ों में एक ईजी-कंफर्टेबल फिल्म है. इसे आप पार्टनर या फैमिली के साथ हंसते-मुस्कुराते देख सकते हैं. ओवरऑल चटपटापन फिल्म में अच्छा है और एक्टर्स का काम भी मामले को फ्लो में रखता है. ‘तू मेरी में तेरा’ ग्रेट भले ना हो, मगर एक कंफर्टेबल वॉच तो है.
सुबोध मिश्रा