एक्टर प्रकाश राज इंडियन सिनेमा में एक जाना-माना नाम हैं. उन्होंने कई सारी भाषाओं की फिल्मों में काम किया हुआ है. वो बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्में जैसे 'वॉन्टेड', 'सिंघम', 'दबंग 2', 'गोलमाल अगेन' में भी नजर आ चुके हैं. साउथ की कई बड़ी हिट फिल्मों में भी उन्होंने काम किया हुआ है. प्रकाश राज सोशल मीडिया पर अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. वो कई मुद्दों पर सवाल उठाते रहते हैं.
प्रकाश राज ने सुनाई अपने परिवार की कहानी
हाल ही में प्रकाश राज ने 'लल्लनटॉप' को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने कई सारी बातों पर अपनी राय रखी है. अपने बॉलीवुड में करियर से लेकर, एक्टर ने पॉलिटिक्स पर भी अपनी राय रखी. लेकिन इस बीच उनके परिवार की कहानी और स्ट्रगल ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. प्रकाश राज ने बताया कि उनकी मां ने बचपन में बहुत कुछ सहा है. उनके परिवार ने हमेशा से सिर्फ स्ट्रगल ही किया है.
एक्टर ने बताया, 'मेरी मां 12 साल की उम्र में अनाथ हो गई थीं. जब मेरी नानी की मौत हुई, तब मेरे नाना के पास उतना पैसा नहीं था. उन्होंने मेरी मां और उनकी दो बहनों को एक अनाथ आश्रम में डाल दिया. वो और उनकी बहनें वहां पली-बढ़ीं और वहीं उन्होंने क्रिश्चियन धर्म को अपना लिया. जिसके बाद वो एक हॉस्पिटल में नर्स भी बन गईं. कुछ समय के बाद वो बेंगलुरु शिफ्ट हो गईं. उनकी लाइफ का एक ही मकसद रहा कि जीवन से किस तरह निपटना है. उनके पास कोई पैसा नहीं था.'
'मेरे पिता मंजूनाथ राय मंगलूरु छोड़कर बेंगलुरु आए क्योंकि वो पढ़ना नहीं चाहते थे. वो वहां बुक बाइंडिंग का काम किया करते थे. मेरे माता-पिता की मुलाकात हॉस्पिटल में हुई जहां दोनों को एक-दूसरे से प्यार हुआ. फिर मैं पैदा हुआ, लेकिन उनकी पूरी जिंदगी सिर्फ स्ट्रगल में बीती है. मेरे परिवार में मैंने अगर कभी कुछ बड़ी चीज देखी तो वो एक साइकिल थी.'
बचपन मैं कैसे थे प्रकाश राज? मां के साथ कैसा था उनका रिश्ता?
प्रकाश राज ने आगे अपने बचपन के दिनों को भी याद किया. वो बताते हैं कि वो काफी शांत किस्म के इंसान थे जिसके कारण उनकी मां काफी चिंता में रहती थीं. एक्टर ने बताया, 'मेरे बचपन की काफी खूबसूरत यादें हैं. मैं बहुत शांत बच्चा था. मेरी मां चिंता में रहती थीं कि ये बच्चा कैसे अपनी जिंदगी में कुछ कर पाएगा. मैं बहुत भोला था, मेरी बहन और छोटा भाई बहुत चालाक थे.'
'यहां तक कि जब मैं 28 साल का हुआ तब भी उन्हें सिर्फ मेरी चिंता रहती थी कि इसके पास काम नहीं है, थिएटर प्ले करता है. ये अपनी लाइफ में क्या करेगा? वो भगवान से प्रार्थना करती थीं कि भगवान मुझे और काम दो ताकि मैं इसका ध्यान रख सकूं. उन्होंने सिर्फ मेरी चिंता ही की है. अब मैं इतना सक्सेसफुल हो गया हूं, इसके बाद भी मेरी मां को विश्वास नहीं हो पाता. वो इतनी सिंपल हैं कि अगर आप उन्हें बताएंगे कि ये दवाइयां हजार रुपये की हैं, वो उसे नहीं खाएंगी.'
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