बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर जल्द ही एक नई और चुनौतीपूर्ण भूमिका में नजर आने वाली हैं. वो मशहूर लावणी डांसर और तमाशा कलाकार विठाबाई नारायणगांवकर की बायोपिक में लीड किरदार निभाने जा रही हैं. महाराष्ट्र की इस दिग्गज लोककला कलाकार की जिंदगी पर बनने वाली ये फिल्म न सिर्फ मनोरंजन से भरपूर होगी, बल्कि महाराष्ट्र की लोक परंपरा को भी बड़े पर्दे पर फिर से जीवंत करने का भी दावा करती है.
तैयारी में जुटीं श्रद्धा कपूर
विठाबाई के किरदार के लिए श्रद्धा को चुना गया है, ये किरदार उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है. वो इस किरदार की तैयारी के लिए जी-जान से जुटी हैं. श्रद्धा लावणी की ट्रेनिंग ले रही हैं. वैसे तो श्रद्धा महाराष्ट्र से ही ताल्लुक रखती हैं, पर खबर है कि बावजूद इसके वो यहां कि हर संस्कृति, भाषा और हावभाव पर गहरी पकड़ बना रही हैं. खबर है कि उनके ऑपोजिट फिल्म में रणदीप हुड्डा को कास्ट किया गया है.
फिल्म की शूटिंग 2025 की शुरुआत में महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में शुरू होने की उम्मीद है, जहां विठाबाई ने अपने जीवन के कई साल प्रदर्शन करते हुए बिताए थे. फिल्म को लक्ष्मण उतेकर डायरेक्ट करने वाले हैं. अब आपको बताते हैं कि आखिर विठाबाई कौन थीं जिनकी दर्दभरी जिंदगी को वो पर्दे पर दिखाने वाली हैं.
कौन थीं विठाबाई नारायणगांवकर?
विठाबाई भाऊ मांग नारायणगांवकर का जन्म जुलाई 1935 में पंढरपुर, महाराष्ट्र में हुआ था. उनका परिवार पीढ़ियों से तमाशा और लावणी कला से जुड़ा हुआ था. उनके दादा नारायण खुडे ने एक प्रसिद्ध तमाशा मंडली की स्थापना की थी, जिसे बाद में उनके पिता और चाचा ने आगे बढ़ाया.
बचपन से ही विठाबाई को लोककला और नृत्य में गहरी रुचि थी. उन्होंने कम उम्र में ही मंच पर प्रदर्शन शुरू किया और जल्द ही महाराष्ट्र के गांव-गांव में उनका नाम गूंजने लगा. उनके नृत्य में भाव, नजाकत और लोक लय का अद्भुत संगम देखने को मिलता था.
जब खुद काटनी पड़ी अपनी गर्भनाल (Umblical Cord)
लोकनृत्य की मशहूर कलाकार विठाबाई की जिंदगी में दर्द भी कम नहीं थे. वो अपनी कला के लिए इतनी जुनूनी थीं कि एक ऐसा पल आया जब परफॉर्मेंस के दौरान ही उन्हें इसकी अग्निपरीक्षा भी देनी पड़ी. विठाबाई 10 महीने की प्रेग्नेंट थीं, जब वो तमाशा करने गई थीं. परफॉर्म करने के दौरान उन्हें अचानक से दर्द उठा... विठाबाई बच्चे को जन्म देने वाली थीं. उन्होंने लेबर पेन महसूस किया.
इसके बाद उन्होंने जो किया उसने उनकी हिम्मत और कला-प्रेम को हमेशा के लिए अमर बना दिया. विठाबाई तुरंत मंच के पीछे गईं और खुद ही अपनी बेटी को जन्म दिया. उस जमाने में हर जगह मेडिकल सुविधाएं मौजूद नहीं होती थीं. किसी फैसिलिटी के न होने के बावजूद विठाबाई ने अपनी बेटी को जन्म दिया. साथ ही अपनी गर्भनाल काटने के लिए जब उन्हें कोई धारदार चीज नहीं मिली तो उन्होंने पास पड़े एक पत्थर का इस्तेमाल किया और खुद ही उसे काट दिया.
बच्चे को जन्म देकर तुंरत मंच पर गईं विठाबाई
हालांकि जब मंच से अचानक विठाबाई गायब हुईं, तब वहां इकट्ठा हुए लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया, वो कहने लगे कि अगर विठाबाई नहीं लौटीं, तो वो तमाशा के पैसे नहीं देंगे. मंच के पीछे से विठाबाई सब सुन रही थीं. उन्हें बेटी को जन्म दिए हुए बस कुछ पल बीते थे, तो उन्होंने अपनी नवजात बेटी को एक साड़ी में लपेटा, उसे वहीं लिटाया, और कुछ ही मिनटों में वापस मंच पर लौट आईं.
उन्होंने अपनी परफॉर्मेंस पूरी की, जैसे कुछ हुआ ही न हो. उनकी ये हिम्मत देख वहां मौजूद लोगों के सिर शर्म से झुक गए, उन्होंने फैसला लिया कि वो इस तमाशे के पूरे पैसे विठाबाई को देंगे. जब परफॉर्मेंस के बाद विठाबाई को अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टरों ने उनके इस साहस की खूब तारीफ की.
तमाशा और लावणी की पहचान बनीं विठाबाई
विठाबाई ने तमाशा कला को नया आयाम दिया. उस दौर में जब महिला कलाकारों के लिए मंच पर आना आसान नहीं था, विठाबाई ने लोक संस्कृति और महिला सशक्तिकरण दोनों को अपने नृत्य से जाहिर किया. उनकी परफॉर्मेंस सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं थीं, बल्कि समाज की झलक भी पेश करती थीं. वो पारंपरिक मराठी संगीत और लावणी के साथ संवेदनशील सामाजिक मुद्दों को भी अपनी परफॉर्मेंस में शामिल करती थीं.
श्रद्धा कपूर की फिल्म से बंधी उम्मीदें
श्रद्धा कपूर ने हाल के वर्षों में अपने अलग अलग किरदारों से दर्शकों को इम्प्रेस किया है. 'आशिकी 2', 'छिछोरे', 'साहो', 'स्त्री' जैसी फिल्मों के बाद अब वो इस बायोपिक में एक कलाकार के संघर्ष से भरे जीवन को पर्दे पर दिखाने जा रही हैं. हालांकि वो पहले भी 'हसीना पार्कर' फिल्म से अपना जौहर दिखा चुकी हैं. लेकिन इस फिल्म को तब सफलता नहीं मिली थी.
इस फिल्म में उन्होंने दाऊद की बहन हसीना का किरदार निभाया था. तब भी श्रद्धा की कोशिशों में कहीं कोई कमी नहीं थी लेकिन पर्दे पर ये फिल्म अपना जादू बिखेरने में नाकामयाब रही थी. 18 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 9 करोड़ ही कमा पाई थी. श्रद्धा का कमाल अभी तक किसी फीमेल लीड फिल्म में देखने को नहीं मिल पाया है. ऐसे में श्रद्धा के लिए इस फिल्म की कामयाबी बहुत मायने रखती है. हालांकि फैंस की चहेती श्रद्धा से उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं, लेकिन क्या वो ये नई उड़ान भर पाएंगी.
आरती गुप्ता