बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई सारे रोल्स ऐसे हैं जो फिल्मों में एक छोटी ड्यूरेशन रखते हैं. ऐसे में उस रोल को प्ले करने वाले कलाकारों के लिए खुद को आकर्षण में लाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. वे कहीं आपके जेहन के कोने में पड़े रहते हैं या बहुतों पर तो आपका ध्यान भी शायद नहीं जाता. जैसे कि कोई सेकेंड विलन हो गया. अब किसी भी फिल्म में एक विलन का प्रभाव दिखाने के लिए उसके कैरेक्टर को स्ट्रॉन्ग रखा जाता है ताकि जनता को ज्यादा से ज्यादा एंटरटेन किया जा सके. उसकी मौजूदगी बड़े-बड़े एक्टर को स्क्रीन में फीका कर जाती है. तो फिर किसी साइड विलन क्या ही कर सकता है. मगर कुछ अपवाद भी दुनिया में होते हैं. ऐसा ही एक अपवाद हैं मैकमोहन.
मैकमोहन का जन्म 24 अप्रैल, 1938 को कराची में हुआ था. एक्टर ने अपने करियर में करीब 200 फिल्मों में काम किया. इस दौरान उन्होंने साइड विलन के रोल प्ले किए. 70s और 80s की फिल्मों में तो वे लगभग हर दूसरी फिल्म का हिस्सा रहते थे. शोले फिल्म के बारे में कहा जाता है कि उसके हर एक किरदार ने दर्शकों के बीच खासी पॉपुलैरिटी हासिल की. इसी में से एक नाम था सांभा का. गब्बर का वफादार. सिर्फ इसी रोल ने मैकमोहन को देशभर में पहचान दिला दी. एक्टर ने 10 मई, 2014 को दुनिया को अलविदा कह दिया. उनकी पुण्यतिथि पर बता रहे हैं एक्टर के बारे में कुछ बातें.
एक्टर नहीं क्रिकेटर बनना चाहते थे
भारत में हर एक बच्चा अपने करियर की शुरुआत में एक बार तो क्रिकेटर या एक्टर बनने के बारे में सोचता ही है. बॉलीवुड के सांभा को मगर पहले एक्टर नहीं बनना था. वे अपने करियर में एक क्रिकेटर बनना चाहते थे. मगर अचानक से उन्होंने अपना मन बदल लिया और थिएटर ज्वाइन कर लिया. उनका ये फैसला उनके हित में गया. उन्होंने बॉम्बे के फिल्मालया स्कूल ऑफ एक्टिंग से अभिनय की तालीम ली. फिर चेतन आनंद के असिस्टेंट के तौर पर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की.
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सुनील दत्त से थी पुरानी यारी
बहुत कम लोगों को इस बारे में पता होगा कि बॉलीवुड के लिजेंड्री एक्टर सुनील दत्त से मैक मोहन की जिगरी दोस्ती थी. दोनों लखनऊ में साथ पढ़े थे. इसके अलावा एक्ट्रेस रवीना टंडन के भी वे रिश्तेदार थे.
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शम्मी कपूर की फिल्म से करियर की शुरुआत
शम्मी कपूर की फिल्म जंगली से एक्टर ने साल 1961 में बतौर एक्टर शुरुआत की. इसके बाद वे कई बड़ी फिल्मों का हिस्सा रहे. वे शाहगिर्द, मनोरंजन, शोले, खून पसीना, ईमान धरम, डॉन, जानी दुश्मन, काला पत्थर, कुर्बानी, दोस्ताना, शान, कालिया, सत्ते पे सत्ता, अल्लाह राखा, सूरमा भोपाली, लश्कर, बाप नंबरी बेटा दस नंबरी, अजूबा, हमशक्ल, आंखें, प्रेम रोग, बॉम्बे टू गोवा और लक बाई चांस जैसी फिल्मों में नजर आए. एक्टर की फाइनल फिल्म थी अजय देवगन की अतिथि तुम कब जाओगे. इस फिल्म की शूटिंग की शुरुआत में ही एक्टर को पता चला कि वे कैंसर से पीड़ित हैं. 10 मई, 2010 को उनका निधन हो गया.
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