अयान मुखर्जी की 'ब्रह्मास्त्र' ट्राइलॉजी पहली बार 2017 में ऑफिशियली अनाउंस की गई थी. बीच-बीच में खबरें आती रहीं कि ये बहुत बड़े बजट में बन रही है, इसमें मार्वल की सुपरहीरो फिल्मों वाला फील होगा. रिपोर्ट्स आती रहीं और जनता में ये जिज्ञासा बढ़ती रही कि आखिर अयान ऐसा क्या जादुई बना रहे हैं!
2022 की शुरुआत से ही ऑडियंस जिस एक फिल्म का इंतजार लगातार कर रही थी वो 'ब्रह्मास्त्र पार्ट 1: शिवा' थी. लेकिन रिलीज से कुछ ही समय पहले फिल्म को लेकर खूब विवाद हुआ. सोशल मीडिया पर फिल्म के बॉयकॉट की अपीलें होने लगीं. एक समय तो ऐसा आया कि हर दिन बॉयकॉट वाले हैशटैग टॉप ट्रेंड्स में दिखने लगे. लेकिन फिर आया 9 सितंबर वाला शुक्रवार. बॉक्स ऑफिस का वो शुक्रवार जो फिल्म, एक्टर, डायरेक्टर सबकी तकदीर बदलने की ताकत रखता है.
'ब्रह्मास्त्र' थिएटर्स में पहुंची और सुबह के पहले शोज में ही थिएटर्स भरे मिले. एडवांस बुकिंग से ही फिल्म ने लगभग 22 करोड़ रुपये का ग्रॉस कलेक्शन कर लिया था. मगर पहले दिन की कमाई के आंकड़े आने पर हर कोई चौंक गया. 'ब्रह्मास्त्र' ने इंडिया में पहले ही दिन 36 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन किया.
3 दिन में फिल्म 124 करोड़ कमा चुकी थी और इसका वर्ल्डवाइड कलेक्शन 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर गया. ओपनिंग वीकेंड पार हो चुका है और माना जा रहा है कि बॉक्स ऑफिस पर अपना पहला हफ्ता पूरा होने तक 'ब्रह्मास्त्र' का कलेक्शन 180 करोड़ रुपये के आसपास होगा.
ऐसे में हर कोई हैरान है कि जिस फिल्म के लिए इतना नेगेटिव माहौल था, वो इतनी कमाई कैसे कर रही है? और बात सिर्फ नेगेटिविटी की भी नहीं है, इसे बहुत ज्यादा अच्छे रिव्यू भी नहीं मिले थे, मगर फिर भी फिल्म कमाए चली जा रही है. आखिर ऐसा कैसे? शायद फिल्म को जज करने में लोगों से गलती हुई. आइए बताते हैं कैसे:
1. स्पेशल इफेक्ट्स में कम भरोसा
एक अनकहा परसेप्शन है कि हिंदी जनता बॉलीवुड की स्पेशल इफेक्ट्स वाली फिल्में नहीं पसंद करती. उसे स्क्रीन पर एक फैंटेसी वाली दुनिया देखनी ही है, तो वो हॉलीवुड में बनी मार्वल वाली फिल्में देख लेती है. लेकिन शायद असल में ऐसा है नहीं. जनता में भारत में बनने वाली 'विजुअल स्पेक्टेकल' यानी, स्क्रीन पर एक अनोखी दुनिया खड़ी कर देने वाली फिल्मों को लेकर एक्साइटमेंट रहती है. और इसका सबूत है कि रिव्यू खराब होने के बावजूद 'रा वन' से लेकर 'कृष 3' तक, ऐसी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस ग्रॉस कलेक्शन जोरदार रहा.
जनता एक टाइम के बाद शायद ऐसी फिल्मों को मौका देना बंद कर भी देती, लेकिन बीच में एसएस राजामौली 'बाहुबली' फ्रैंचाइजी और RRR जैसी फिल्में ले आए. अब जनता को ये तो यकीन है कि इंडिया में भी मेकर्स वर्ल्ड क्लास स्पेशल इफेक्ट्स और फैंटेसी वर्ल्ड स्क्रीन पर ला सकते हैं.
2. सोशल मीडिया का माहौल
'ब्रह्मास्त्र' की रिलीज से एक महीना पहले ही सोशल मीडिया पर इसकी ट्रोलिंग शुरू हो गई थी. बॉलीवुड हेट वैसे भी पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर खूब फैली है. ट्विटर पर कभी 'ब्रह्मास्त्र', कभी आलिया भट्ट तो कभी रणबीर कपूर को लेकर बॉयकॉट वाले हैशटैग ट्रेंड करने लगे. लेकिन इस तरह के ट्रेंड्स पर बेहद बेसिक सा ध्यान देकर आप जान सकते हैं कि ये टार्गेटेड ट्रोलिंग होती है.
क्यों होती है? इसका जवाब पक्के तौर पर कोई नहीं दे सकता. लेकिन ये ट्रोलिंग एक चेन की तरह होती है. ये टार्गेटेड ट्रोलिंग अब एक रूटीन सोशल मीडिया प्रैक्टिस हो चुकी है, लेकिन इसे 'पब्लिक का मूड' मान लेना एक बहुत बड़ी गलती है. आज भी बहुत सारे लोग इस बात से हैरान हैं कि इतनी ट्रोलिंग के बाद भी फिल्म चल कैसे रही है, जबकि ये एक तरह का वर्चुअल गेम है, रियलिटी नहीं.
3. 'फर्स्ट रिव्यू' इफेक्ट
इधर कुछ महीनों से सोशल मीडिया से एक नई आफत उतरी है- 'सबसे पहला रिव्यू'. एक तरफ फिल्मों पर लिखने वाले दुनिया भर की फिल्में देख-देख के, पढ़-पढ़ के अपने बाल पका चुके हैं. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर एक अकाउंट काफी चल निकला है. इसके डिस्क्रिप्शन में लिखा हुआ है 'ओवरसीज सेंसर बोर्ड'. अकाउंट से दावा होता है कि ये फिल्म का सबसे पहला रिव्यू है.
गूगल आपके हाथ में हैं, आप खुद ही चेक कर सकते हैं कि ऐसा कोई सेंसर बोर्ड दुनिया में है या नहीं. और अगर एक पल को मान भी लें कि ऐसा कुछ अस्तित्व में है भी, तो भी सेंसर बोर्ड से जुड़े आदमी का फिल्म का स्वाद बता देना अपने आप में बहुत अनैतिक है और एथिक्स के बहुत खिलाफ है.
तो बस ये 'फर्स्ट रिव्यू' आता है, और जो ट्रोलिंग मशीनरी पहले से एक्टिव है वो इसकी पूंछ पकड़कर पीछे-पीछे चल देती है. जबकि ये अकाउंट पहले 'रेस 3' को ब्लॉकबस्टर, 'जीरो' को सर्वोत्तम और 'सम्राट पृथ्वीराज' को शानदार बता चुका है!
4. बॉलीवुड से ऊब
भले ही सोशल मीडिया ट्रेंड्स और हैशटैग आपका असल भरोसा डिजर्व न करते हों और इनके इरादे संदिग्ध लगते हों, लेकिन बॉलीवुड से ऊब एक बहुत रियल चीज है. 'ब्रह्मास्त्र' का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन साफ बताता है कि जनता ने रणबीर-आलिया की फिल्म को मौका दिया है. लेकिन पिछले कुछ समय में सक्रीयता से कंटेंट फॉलो करने वाले, फिल्म रिव्यू करने वाले और पक्के फिलमची लोग बॉलीवुड के कंटेंट से थोड़े तो जरूर ऊबे हैं.
सीधी वजह ये है कि लॉकडाउन ने लोगों को नए कंटेंट का एक्सपोजर दिया है. उस दौर में ओटीटी की पॉपुलैरिटी बढ़ी, टिपिकल बॉलीवुड फैन्स ने भी साउथ का बेहतरीन सिनेमा एक्सप्लोर किया और दुनिया भर का कंटेंट खोज-खोजकर देखा. जब ये लोग वापिस थिएटर्स में लौटे तो अधिकतर फिल्में वही रिलीज हुईं जिनके शूट 2019 के हुए पड़े थे. खुद 'ब्रह्मास्त्र; का भी अधिकतर हिस्सा तभी का शूट हुआ है. इसलिए टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल से लोगों को ऊबन भी हो गई. ऊबे हुए लोगों ने सोशल मीडिया के नेगेटिव ट्रेंड्स से कनेक्ट किया और मान लिया कि हां ये ट्रोलिंग तो ठीक ही हो रही है!
हालांकि, ऑडियंस हमेशा रिव्यू करने वालों से बहुत ज्यादा रहम दिल होती है. बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स और मार्वल स्टाइल का फैंटेसी वाला सिनेमा, कॉलेज जाने वाली टाइप यंग ऑडियंस को अपील करता है. और इसने फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर जोरदार स्टार्ट दिया.
5. करण जौहर की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी
'ब्रह्मास्त्र' के मेकर करण जौहर कितने बड़े मार्केटिंग जीनियस हैं, ये वो कई बार साबित कर चुके हैं. उनका मार्केटिंग प्लान उन जगहों, उन लोगों को टारगेट करता है जो उनकी पोटेंशियल ऑडियंस है. 'ब्रह्मास्त्र' की मार्केटिंग में इस बार लोगों को फिल्म से जोड़ने पर बहुत ध्यान दिया गया. चाहे दिल्ली में फिल्म फैन इवेंट हो, या फैन्स के लिए फिल्म की एडवांस स्क्रीनिंग. ये सारा प्लान फिल्म को फायदा तो पहुंचा ही रहा है, साथ ही रियल लोगों तक फिल्म को पहुंचा रहा है जो वर्चुअल हेट की काट है.
इन बातों को समझने के बाद सीधा निचोड़ यही निकलता है कि फिल्मों को जनता को फिल्म में बस कोई एक पॉइंट देखने लायक मिलना चाहिए और वो भरपूर मौका देती है. 'ब्रह्मास्त्र' में ऐसे दो पॉइंट तो थे ही, भारतीय माइथोलॉजी पर बना फैंटेसी वर्ल्ड और बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स. जनता ने इतने पर ही फिल्म को उठा लिया. इसलिए सोशल मीडिया ट्रेंड्स को जनता का मूड मानने की गलती न करें, फिलमची हैं, तो फिल्म को मौका देना चाहिए और फिल्म को गाली भी देनी हो तो कम से कम देखने के बाद देनी चाहिए, उससे बात में वजन आता है!
सुबोध मिश्रा