UP Election: यूपी जीतने को ताबड़तोड़ जनसभाएं, बीजेपी ने दिखाया दम तो अखिलेश का भी रहा जोर

यूपी चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है. धूल उड़ाते हेलिकॉप्टर और जनसभा में चुनावी नारे लगाते कार्यकर्ता अब इस चुनाव के लिए शांत हो चुके हैं. प्रचार के लिए लोगों तक पहुंचने वाले नेता लखनऊ-दिल्ली का रुख कर चुके हैं तो रैलियों को सफल बनाने के आयोजन में लगे कार्यकर्ता भी आराम फरमा रहे हैं. अब सबकी नजर 7 मार्च को आखिरी चरण के मतदान के बाद 10 मार्च को आने वाले परिणाम पर है.

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पीएम मोदी की जनसभा (फाइल फोटो) पीएम मोदी की जनसभा (फाइल फोटो)

शिल्पी सेन

  • लखनऊ,
  • 06 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 रैलियां-जनसभाएं कीं
  • प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम भी नहीं रहे पीछे
  • कांग्रेस ने वर्चुअल सभाओं पर दिया ज्यारा जोर

चुनाव आयोग द्वारा सभाओं पर पाबंदी हटने के बाद सभी नेता जमीन पर उतरे और यूपी के अलग-अलग हिस्सों में छोटी-बड़ी रैलियां कीं. सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रहे सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर मुख्य रूप से चुनौती पेश करने वाले अखिलेश यादव तक ने एक दिन में पांच से सात सभाएं कीं. सभाओं के मामले में इस बार प्रियंका गांधी भी पीछे नहीं रहीं और खास तौर पर नुक्कड़ सभा करके ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश की. हालाकि इस बार रोड शो का भी बोलबाला रहा लेकिन चुनाव आयोग की पाबंदी हटने के बाद रैलियों ने चुनाव का माहौल गरमा दिया.

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सीएम योगी ने हर दिन कीं 5-7 रैलियां

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे ज्यादा सभाएं कीं. सभी प्रत्याशियों ने सीएम योगी की सभा की मांग की थी. इसको देखते हुए उनकी एक दिन में 5-7 सभाएं लगाई गईं. उन्होंने 207 सभाएं कीं. 

दोनों डिप्टी सीएम ने मारा शतक

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सभाएं भी बहुत हुईं. अपने क्षेत्र सिराथू में प्रचार के अलावा केशव मौर्य ने भी रैलियों का सैंकड़ा पार किया. खास बात यह है कि जिस तरह से ऐन चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी जैसे मंत्रियों ने पार्टी का साथ छोड़ा तो ओबीसी वोटों को साधने की और ज्यादा जिम्मेदारी केशव मौर्य पर आ गई इसलिए अपने चुनाव को सम्भालने के साथ उनको खास तौर पर पिछड़े वोटों की दृष्टि से अहम क्षेत्रों में सभाएं करनी पड़ीं.

डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने भी प्रचार के लिए 100 से ज्यादा जनसभाएं कीं. उनके जिम्मे प्रबुद्ध वर्ग को जोड़ने के लिए संवाद की भी जिम्मेदारी रही. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी संगठन के काम के साथ लगातार सभाएं कीं.

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पीएम ने 28 तो शाह ने की 61 रैलियां-रोड शो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं को लेकर हर बार संख्या पर बात होती रही है लेकिन इस बार बीजेपी ने स्ट्रैटेजी में बदलाव करते हुए पीएम मोदी के लिए बड़ी सभाओं के अलावा अन्य स्टार प्रचारकों की अपेक्षाकृत छोटी जनसभाओं का प्लान बनाया. छोटी सभाओं के जरिए सघन प्रचार किया जा सकता है. शुरू में प्रधानमंत्री ने वर्चुअल सभाओं को सम्बोधित किया लेकिन बाद में उनकी सभाएं शुरू हुईं. सिर्फ पीएम की बड़ी सभाएं हुईं. प्रधानमंत्री ने 28 रैलियां कीं. वहीं गृह मंत्री अमित शाह भी इस बात यूपी में प्रचार में पूरी तरह से सक्रिय दिखे. पश्चिमी यूपी में डोर टू डोर कैम्पेन के जरिए लोगों तक पहुंचने के अलावा 61 रैलियां और रोड शो किया.

अखिलेश ने निकालीं 14 रथ यात्राएं
 

चुनाव प्रचार में अपनी पार्टी की ओर से अकेले कमान सम्भाल रहे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी रोड शो कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया. साथ ही गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के प्रत्याशियों के लिए भी रैलियां की. शुरू में पश्चिमी यूपी में जयंत चौधरी के साथ संयुक्त सभाएं कीं. वहीं पूर्वांचल के रण में सभी सहयोगी दलों के साथ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सभा की. विजय रथ यात्रा के जरिए अखिलेश यादव ने एक जिले से दूसरे ज़िले के बीच दूरी को तय करते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को चुनौती दी. अखिलेश ने अलग-अलग रूट्स पर 14 रथ यात्राएं कीं. साथ ही अखिलेश यादव ने चुनाव घोषित होने के बाद 117 जनसभाएं कीं. 

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प्रियंका गांधी ने 42 रोड शो किए

यूपी में सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाली नेताओं में प्रियंका गांधी वाड्रा हैं. प्रियंका अलग-अलग मुद्दों को लेकर सरकार के विरोध में कई बार सड़कों पर उतरीं. वहीं चुनाव घोषित होने के बाद प्रियंका ने 167 सभाएं कीं. इसमें नुक्कड़ सभाएं भी शामिल हैं. इधर प्रियंका ने रोड शो पर भी पूरी ताकत लगाते हुए 42 रोड शो और डोर टू डोर कैम्पेन किए. कांग्रेस की चर्चा भले ही बीजेपी को चुनौती देने के मामले में समाजवादी पार्टी से कम रही हो पर प्रियंका गांधी ने अपनी वर्चुअल और वास्तविक सभाओं से यूपी की 340 विधानसभाओं को छुआ.

बसपा ने की कम सभाएं

बसपा सुप्रीमो मायावती की रैलियों को लेकर इस बार विश्लेषकों का मानना है कि इस बार अपेक्षाकृत कम सभाएं उन्होंने की हैं. उनकी सभाओं से उनके वोटर्स को मिले संदेश कम नहीं आंका जा सकता. सतीश चंद्र मिश्रा के ऊपर भी इस समय प्रचार को लेकर बड़ी जिम्मेदारी थी. उन्होंने भी सभाएं कर बीएसपी के लिए माहौल बनाया.

 

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