कांग्रेस से निलंबित नीलेश कुंभानी का नामांकन गड़बड़ियों के चलते खारिज कर दिया गया था. इस वजह से सूरत सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार की निर्विरोध जीत तय हो गई थी. कांग्रेस ने न सिर्फ इस सीट पर चुनाव प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की बल्कि नीलेश को भी छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था. करीब 20 दिनों के बाद शनिवार को फिर से सामने आए नीलेश कुंभानी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने उन्हें 2017 में सबसे पहले धोखा दिया था.
'2017 में कांग्रेस ने दिया था धोखा'
कुंभानी ने कहा कि वह प्रदेश पार्टी अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल और पार्टी के राजकोट लोकसभा उम्मीदवार परेश धनानी के प्रति सम्मान के कारण इतने दिनों तक चुप रहे. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के नेता मुझ पर विश्वासघात का आरोप लगा रहे हैं. ये कांग्रेस ही थी जिसने 2017 के विधानसभा चुनावों में मुझे सबसे पहले धोखा दिया जब सूरत की कामरेज विधानसभा सीट से मेरा टिकट आखिरी समय पर काट दिया गया था.'
'AAP नेताओं के साथ प्रचार पर थी आपत्ति'
कुंभानी ने कहा, 'पहली गलती कांग्रेस ने की थी, मैंने नहीं.' उन्होंने दावा किया, 'मैं यह नहीं करना चाहता था लेकिन मेरे समर्थक, कार्यालय के कर्मचारी और कार्यकर्ता परेशान थे क्योंकि पार्टी सूरत में पांच स्वयंभू नेताओं द्वारा चलाई जा रही है और वे न तो काम करते हैं और न ही दूसरों को काम करने देते हैं.'
नीलेश कुंभानी ने बताया, 'आप और कांग्रेस भारत गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन जब मैं यहां आप नेताओं के साथ प्रचार करता था तो इन नेताओं ने आपत्ति जताई.' कुंभानी पहले सूरत नगर निगम में कांग्रेस के पार्षद भी रह चुके हैं. उन्होंने 2022 का विधानसभा चुनाव कामरेज से लड़ा था लेकिन भाजपा से हार गए थे.
सूरत में क्या हुआ था?
गुजरात की सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नॉमिनेशन निरस्त हो गया था. नीलेश का नॉमिनेशन निरस्त होने और अन्य उम्मीदवारों के अपना नामांकन वापस लेने के बाद इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार मुकेश दलाल का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है.
कांग्रेस ने इस सीट पर चुनाव प्रक्रिया निरस्त करने की मांग करते हुए कोर्ट जाने की बात कही थी. पार्टी ने नीलेश कुंभानी को लेकर भी सख्त रुख अपनाया था. कांग्रेस ने नीलेश को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था.
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